Tuesday, April 30, 2024
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जज लोया पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, SIT जांच कराये जाने की मांग खारिज

जज लोया की मौत एक दिसंबर 2014 को कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से उस वक्त हुई थी जब वह अपने एक सहकर्मी की बेटी की शादी में शिरकत के लिए नागपुर गए थे। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर एवं डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 16 मार्च को इन अर्जियों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 19, 2018 13:40 IST
No probe in Judge Loya case, rules Supreme Court- India TV Hindi
जज लोया पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, SIT जांच कराये जाने की मांग खारिज  

नई दिल्ली: पिछले करीब साढ़े तीन साल से सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज बीएच लोया की मौत को लेकर सियासत का जो खेल खेला जा रहा था उसपर सुप्रीम कोर्ट ने फुल स्टॉप लगा दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने जज लोया की मौत के मामले में SIT जांच कराये जाने की मांग खारिज कर दी है और लोया की मौत को स्वाभाविक मौत बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की मौत की जांच से संबंधित सभी जनहित याचिकाएं खारिज कर दीं।

जज लोया की मौत एक दिसंबर 2014 को कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से उस वक्त हुई थी जब वह अपने एक सहकर्मी की बेटी की शादी में शिरकत के लिए नागपुर गए थे। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर एवं डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 16 मार्च को इन अर्जियों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में कहा कि

-जज लोया की मौत प्राकृतिक थी, SIT जांच नहीं होगी

-केस से जुड़े सभी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया
-मामले का कोई आधार नहीं है ऐसे में फिर से जांच नहीं
-न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है
-ये अदालत की आपराधिक अवमानना करने जैसा है    
-न्यायपालिका की प्रक्रिया पर सवाल उठाने के लिए याचिका दाखिल
-ऐसी याचिकाएं राजनीतिक फायदे के लिए डाली गई
-राजनीतिक लाभ के लिए कोर्ट का इस्तेमाल बेहद खतरनाक
-जो जज इस मामले की सुनवाई कर रहे थे, उन पर भी आरोप लगे
-जनहित याचिका का दुरुपयोग किया गया

जज लोया की मौत का मामला जितना कानूनी था उससे कहीं ज्यादा राजनीतिक था। जज लोया की मृत्यु की परिस्थितियों की स्वतंत्र जांच के लिये कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ओर महाराष्ट्र के पत्रकार बी एस लोन ने शीर्ष अदालत में याचिकायें दायर की थीं। ऐसे में जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया बीजेपी ने प्रेस कॉन्प्रेंस करके राहुल गांधी और कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया और माफी की मांग की।

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अमित शाह समेत देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने पीआईएल पर सवाल उठाते हुए कहा, कुछ लोगों ने पीआईएल को 'पॉलिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेशन और पैसा इंटरेस्ट लिटिगेशन बना लिया है।'

बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि इन याचिकाओं के पीछे अदृश्य हाथ किसी का था तो वह कांग्रेस का था, राहुल गांधी का था। इससे नीचा स्तर भारत की राजनीति में कभी नहीं हुआ। इसके लिए राहुल गांधी को क्षमा याचना करनी चाहिए। कांग्रेस ने न्यायपालिका को सड़क पर लाने का काम किया है। पात्रा ने कहा कि कांग्रेस ने हिंदुस्तान की जनता का विश्वास खो दिया है। इसलिए बदले के भाव से आप जल रहे हैं, यह उचित नहीं है। सर्वोच्च न्यायाल ने आज जवाब दिया है।

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