अपने ऑफिस के काम के अलावा अब एक माँ को अपने बच्चों के भविष्य सवारने की जिम्मेदारी और चिंता सता रही थी। ऐसे में उनका हौसला परिवार के साथ बच्चो ने भी बढ़ाया, जिससे वो अपना सब दर्द भूल गई। किसी तरह उन्होंने बच्चो की परवरिश की और उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई। अपनी माँ के ज़ज़्बातो को समझ कर पंकज कुमार ने रात दिन माँ के सपनो को पूरा करने में लगा दिए। उन्होंने IAS बन कर माँ के जीवन भर के सारे दर्द को भुला दिया।
आज पंकज कुमार पाण्डेय उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर के जिलाधिकारी बन कर सेवा कर रहे है। इससे पहले वो उत्तरकाशी और चम्पावत के जिलाधिकारी भी रहे है। चम्पावत के जिलाधिकारी रहते हुए उन्हें जनगणना के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर जनगणना रजत पदक और सम्मान पत्र देकर राष्टृपति द्वारा सम्मानित भी किया गया है। अपनी कार्यशैली के कारण उनकी अलग पहचान बन रही है,वो सिर्फ काम में जुटे रहते है। चाहे रात के अँधेरे में ठण्ड से ठिठुरते गरीब लोगो पर कम्बल डालना हो,या राह चलते किसी की फरियाद सुनना हो। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान छाई रहती है।