Sunday, May 05, 2024
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Rajat Sharma's Blog: चीन है कि मानता नहीं

भारत ने इस मुद्दे के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई बार बात की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल ने कोशिश की। राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षामंत्री से बात की। एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से बात की, लेकिन चीन कुछ भी मानने को तैयार नहीं है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: September 16, 2020 17:46 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी गतिरोध पर मंगलवार को संसद में पहला आधिकारिक बयान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिया। अपने बयान में रक्षा मंत्री ने कहा, चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश कर रहा है, जबकि भारत इस विवाद का शांतिपूर्ण हल करना चाहता है। भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता के प्रश्न पर कोई समझौता नहीं करेगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि विवाद की वजह चीन का निरन्तर आक्रामक रुख है। चीन एलएसी को लेकर बने मैकेनिज्म को नहीं मान रहा है, वह पूरी तरह से इसकी अवहेलना कर रहा है। चीन ने भारी तादाद में सैनिकों और हथियारों की तैनाती कर दी है। रक्षा मंत्री ने साफ-साफ कहा कि भारत किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। चीनी सैनिकों के साथ कई बार झड़प के बावजूद भारतीय सैनिकों का मनोबल ऊंचा है। रक्षा मंत्री ने कहा, चीन का कदम दोनों देशों के बीच अतीत में हुए समझौतों की अवहेलना है। 

राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन ने एलएसी के पार भारी तादाद में सैनिकों और हथियारों की तैनाती कर दी है। भारतीय सेना ने चीन के इस सैन्य जमावड़े के जवाब में पर्याप्त कदम उठाए हैं। उन्होंने यह माना कि भारत इस समय ‘पूर्वी लद्दाख में चुनौती का सामना कर रहा है', लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इन चुनौतियों के बारे में विस्तार से नहीं बताया कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। राजनाथ सिंह ने नपे-तुले शब्दों में संसद में जो कुछ कहा उसका मतलब समझने की जरूरत है। चीन लगातार आंखें दिखा रहा है और हमलावर की मुद्रा में है। एलएसी को लेकर अब तक जो परंपरा रही है या जो मैकेनिज्म बना है या फिर जो भी समझौते हुए हैं, चीन उसका पालन नहीं कर रहा है। चीन ने सरहद पर फौज को तैयार कर रखा है। भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जमा किए हुए है।

भारत ने इस मुद्दे के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई बार बात की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल ने कोशिश की। राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षामंत्री से बात की। एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से बात की, लेकिन चीन कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। मंगलवार को राजनाथ सिंह ने साफ-साफ संकेत दिए कि चीन कोई बात सुनने को तैयार नहीं है। न किसी तर्क को मानने को तैयार है, न किसी समझौते को और न अपने वादे को। इसीलिए हमारी फौज ने भी बराबर की तैयारी की है। राजनाथ सिंह ने जो कहा, उसका एक बड़ा मतलब ये है कि सीमा पर जंग के हालात से इनकार नहीं किया जा सकता। इसकी संभावना लगातार बनी हुई है। क्योंकि चीन कुछ भी मानने को तैयार नहीं है।

अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मंगलवार की रात हमने आपको अपने डिफेंस एडिटर मनीष प्रसाद और कैमरपर्सन चंद्रभान द्वारा लिए गए एक्सक्लूसिव विजुअल्स को दिखाया कि कैसे हमारी थल सेना और वायुसेना लद्दाख में एलएसी के पास पूरी तरह से मुस्तैद है। चीन से लगी सरहद पर हमारी सेना की तैयारियां देखकर अहसास होता है कि हमारी फौज कितनी एडवांस प्लानिंग करती है। कितनी बहादुरी से, कितने साइंटिफिक तरीके से प्लानिंग की गई है और हमारी फौज कितनी सक्षम है। साथ ही इन तस्वीरों से ये भी समझ में आता है कि रक्षा मंत्रालय ने 16 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनात जवानों के सपोर्ट के लिए कितने बड़़े पैमाने पर इंतजाम किए हैं। 

सेना के अधिकारियों और जवानों के मनोबल को देखकर विश्वास होता है कि हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि फॉरवर्ड बेस पर जिंदगी बहुत मुश्किल होती है। कितने भी इंतजाम कर लें, कितनी भी सुविधाएं दे दें, हड्डियां गलाने वाली कड़ाके की ठंड है और कुछ दिन बाद तो वहां बर्फ ही बर्फ होगी। ऑक्सीजन का लेवल और कम हो जाएगा, सांस लेना मुश्किल होगा। हमारे सैनिकों के पास इस मौसम से लड़ने का साजो-सामान है। खाने-पीने का इंतजाम और गोला बारूद है। लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि ऊंची चोटियों पर खतरा भी बेईंतहा है। 

सरहद पर तैयरियों की तस्वीरों को देखकर अपनी फौज के अफसरों और सैनिकों की बहादुरी पर गर्व होता है। ये सही है कि उनकी हिम्मत देखकर हौसला बढ़ता है और याद आता है कि उनसे जब-जब पूछा जाता है कि ‘हाऊज द जोश’... सभी बहादुर अफसर और जवान कहते हैं -‘हाई सर’। इस जोश के साथ पूरे देश को खड़ा रहने की जरूरत है। इस जज्बे को बार-बार सलाम करने की जरूरत है ताकि हमारे बहादुर सिपाहियों, जांबाजों को ये पता रहे कि पूरा देश उनके पीछे खड़ा है।

'आज की बात' में मंगलवार रात हमने आपको फॉरवर्ड बेस पर तैयारियों की तस्वीरें दिखाई। फॉरवर्ड लोकेशन्स पर ऐसी तैयारियां हैं, जैसी पहले कभी नहीं थी। राशन डिपो भरे हुए हैं। दवाओं का पूरा स्टॉक है। फ्यूल डिपो फुल हैं। ग्लोबमास्टर और चिनूक हैलीकॉप्टर दिन में कई-कई बार सामान के साथ फॉरवर्ड बेस पर पहुंच रहे हैं। आसमान में मिसाइलों से लैस जंगी जहाज लगातार चक्कर लगा रहे हैं। सरहद पर सेना के ठिकानों पर इतना गोला-बारूद और राशन पहुंचा दिया गया है कि अगर चीन कोई गड़बड़ी करता है और मौसम खराब होने के कारण सप्लाई लाइन कटती है तो भी हमारे सैनिकों को न तो हथियारों और गोला बारूद की कमी होगी और न ही खाने-पीने की चीजें कम पड़ेंगी। पूरी सर्दी अगर सप्लाई बंद रहे तो भी कोई दिक्कत नहीं होगी। 

सरहद पर बर्फीले ऊंचाई वाले इलाकों में अधिकारियों और जवानों के लिए 18 हजार से 20 हजार फीट की ऊंचाई पर टेंट लगाए गए हैं। ये ऐसे टेंट हैं जो माइनस 50 डिग्री तापमान में भी जवानों को सर्दी से बचाएंगे। इन टेंट्स में सोलर लाइट्स और हीटर के अलावा इनमें थ्री लेयर सूट्स, कैमोफ्लाज जैकेट, एवलांच किट से लेकर पूरी मेडिकल सप्लाई मौजूद है। ऐसे टेंट्स भी मौजूद हैं जो हमारे जवानों को भीषण सर्दी से बचाएंगे और अगर मौसम की वजह से कोई हादसा हो जाता है तो फिर ऐसी सूरत में भी जवानों को रेस्क्यू करने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। और बड़ी बात ये भी है कि एलएसी पर टेंशन को देखते हुए कम-से-कम 12 से 14 महीने तक राशन का स्टॉक जमा हो चुका है। यानी अगर चीन के साथ आगे लिमिटेड वॉर होता भी है या ऐसे हालात बनते हैं, तो फिर हमारे जवानों के लिए राशन की कोई दिक्कत नहीं होगी। सप्लाई लाइन जारी रहेगी।

हमें उम्मीद है कि चीन के जनरलों को ये अहसास होगा कि वे कैसी मूर्खता करने जा हैं। यदि वे अपने अड़ियल रूख पर कायम रहते हैं तो एकमात्र विकल्प सीमित युद्ध है। हमारे बहादुर जवान दुश्मन को कुचलने के लिए तैयार हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 15 सितंबर, 2020 का पूरा एपिसोड

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