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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'जस्टिस जोसेफ के आदेश को लेकर बदले की कोई भावना नहीं'

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि जस्टिस के.एम. जोसेफ की फाइल सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के लिए भेजने की केंद्र सरकार की कार्रवाई में उनके द्वारा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को निष्प्रभावी करने के आदेश देने से कुछ भी लेना देना नहीं था।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : May 02, 2018 11:47 pm IST, Updated : May 02, 2018 11:47 pm IST
Turning down Justice Joseph’s elevation to SC not linked with his Uttarakhand ruling: Law Minister R- India TV Hindi
Turning down Justice Joseph’s elevation to SC not linked with his Uttarakhand ruling: Law Minister Ravi Shankar Prasad

नई दिल्ली: कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि जस्टिस के.एम. जोसेफ की फाइल सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के लिए भेजने की केंद्र सरकार की कार्रवाई में उनके द्वारा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को निष्प्रभावी करने के आदेश देने से कुछ भी लेना देना नहीं था। प्रसाद ने मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "मैं अपने प्राधिकार की हैसियत से इस बात को अस्वीकार करता हूं कि दो कारणों से इसमें न्यायमूर्ति जोसेफ के फैसले से कोई संबंध नहीं है। पहला, उत्तराखंड में तीन-चौथाई बहुमत से भाजपा की अगुवाई में सरकार बनी है। दूसरा, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर ने आदेश की पुष्टि की थी।"

प्रसाद ने कहा, "न्यायमूर्ति खेहर ने ही सरकार की राष्ट्रीय न्यायिक आयोग की पहल खारिज कर दी थी।" सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने प्रख्यात अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा के साथ-साथ उत्तराखंड हाईकोर्ट  के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नति प्रदान करने के लिए उनके नाम की सिफारिश की। सरकार ने मल्होत्रा के नाम पर मंजूरी प्रदान की, लेकिन न्यायमूर्ति जोसेफ की फाइल कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के लिए वापस कर दी गई, जिसकी विधिक समुदाय और विपक्ष ने काफी आलोचना की। 

उत्तराखंड में 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार को बर्खास्त कर केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को न्यायमूर्ति जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले से मोदी सरकार की काफी छीछालेदार हुई थी। 

सरकार ने जोसेफ के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनसे 41 न्यायाधीश पूरे भारत में वरीयता क्रम में आगे हैं और न्यायमूर्ति जोसेफ को प्रोन्नति प्रदान करने से सर्वोच्च न्यायालय में क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ेगा। साथ ही सरकार ने कॉलेजियम को किसी दलित न्यायाधीश को शीर्ष अदालत में नियुक्त करने पर विचार करना चाहिए। कॉलेजियम ने बुधवार की शाम सरकार के दृष्किोण पर विचार-विमर्श किया लेकिन अपना फैसला स्थगित रखा। 

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