Monday, April 29, 2024
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Electric Crisis in India: लंबे समय के लिए अंधेरे में डूब सकते हैं बिहार और महाराष्ट्र समेत देश के ये 13 राज्य, जानें क्या है वजह

Electric Crisis in India: यूपीए-2 सरकार के दौरान देश के कई राज्य एक साथ अंधेरे में डूब गए थे। इसकी वजह पावर ग्रिडों का फेल हो जाना था। अब एक बार फिर से बिहार, महाराष्ट्र, और मध्यप्रदेश समेत 13 राज्यों के लंबे समय तक के लिए अंधेरे में डूब जाने का खतरा मंडराने लगा है।

Dharmendra Kumar Mishra Written By: Dharmendra Kumar Mishra
Updated on: August 19, 2022 19:01 IST
Electric Crisis- India TV Hindi
Electric Crisis

Highlights

  • 13 राज्यों में काटी जा सकती है बिजली की सप्लाई
  • इंडियन एनर्जी एक्सचेंज ने बिजली बकाया न देने पर राज्यों को चेताया
  • 5085 करोड़ रुपये से अधिक का है बकाया

Electric Crisis in India: यूपीए-2 सरकार के दौरान देश के कई राज्य एक साथ अंधेरे में डूब गए थे। इसकी वजह पावर ग्रिडों का फेल हो जाना था। अब एक बार फिर से बिहार, महाराष्ट्र, और मध्यप्रदेश समेत 13 राज्यों के लंबे समय तक के लिए अंधेरे में डूब जाने का खतरा मंडराने लगा है, लेकिन अबकी बार इसकी वजह पावर ग्रिड फेल होना या बिजली संकट होना नहीं है। दरअसल एंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आइईई) ने बकाया नहीं जमा करने पर 13 राज्यों से अब आगे बिजली का सौदा करने से मना कर दिया है। ऐसे में इन राज्यों के अंधेरे में डूबने का खतरा मंडरा रहा है। अभी कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने भी बिजली का बकाया बिल जमा नहीं करने वालों को इसके लिए चेताया था। साथ ही समय पर अपना बिल भरने की सलाह दी थी। बावजूद 13 राज्यों में ढुलमुल स्थिति बनी रही। इसके चलते इंडियन एनर्जी एक्सेंज को यह कदम उठाना पड़ा है। 

इन राज्यों पर मंडराया खतरा

आइईई के इस कदम से महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, मणिपुर, मिजोरम और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में हड़कंप मच गया है। अब सभी राज्य आइईई के संपर्क में हैं और बिजली संकट को दूर करने के लिए वार्ता का दौर चल रहा है। बिजली संयंत्रों का यदि बकाया भुगतान नहीं किया जाता है तो मुद्दे का हल निकलना मुश्किल हो सकता है। हालांकि आइईई राज्यों को किश्तों में बकाया बिल के भुगतान की सहूलियत दे सकता है। 

उद्योगों और आम जनता की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
यदि बिजली सप्लाई ठप कर दी गई तो इससे इन राज्यों की जनता के सामने भारी मुश्किल खड़ी हो सकती है। साथ ही उद्योगों और व्यापार पर भी संकट आ सकता है। इसके अलावा सार्वजनिक सेवाएं ठप होने से राज्यों में हाहाकार की स्थिति पैदा हो सकती है। बिजली नहीं मिलने से सुरक्षा उपकरण भी काम करना बंद कर सकते हैं। ऐसे में राज्यों में बहुत बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। 

5085 करोड़ रुपये का बकाया
उक्त 13 राज्यों पर 5085 करोड़ रुपये का भारी भरकम बकाया है। सरकार ने अब पावर एक्सचेंजों का बकाया भुगतान समय से करने के लिए नई पॉलिसी लागू की है। इसके तहत यदि सात महीने तक राज्यों की बिजली वितरण कंपनियां पावर एक्सचेंजों का बकाया भुगतान नहीं करती हैं तो बिजली सप्लाई अवरुद्ध कर दी जाएगी। इन्हीं नए नियमों के तहत 13 राज्यों पर प्रतिबंध लग गया है। इससे राज्यों पर बिजली का बकाया जमा करने का दबाव बढ़ गया है। 

आठ अगस्त को लाया गया बिजली संशोधन विधेयक आज से लागू
बीते आठ अगस्त को लाया गया बिजली संशोधन विधेयक 2022 को आज 19 अगस्त से लागू कर दिया गया है। हालांकि अभी इस बिल में संशोधन की संभावनाओं पर महीने के अंत में संसदीय समिति चर्चा कर सकती है। जनता दल यूनाइटेड के सांसद राजीव रंजन इस संसदीय समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं। 

50 फीसद से अधिक बिजली दक्षिणी राज्यों को 
इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से सर्वाधिक बिजली की सप्लाई दक्षिणी राज्यों को की जाती है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्य पावर एक्सचेंज से 50 फीसद से अधिक बिजली खरीदते हैं। बिजली की खरीद पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत होती है। मगर राज्यों कि बिजली वितरण कंपनियां समय पर पावर एक्सचेंजों का भुगतान नहीं करतीं। इससे आइईई को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए नए विधेयक के जरिये अब बकायेदार राज्यों पर शिकंजा कसा जाने लगा है। 

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