Saturday, April 27, 2024
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अरुण जेटली जयंती विशेष: वो नेता जो था दोस्तों का दोस्त और विरोधियों का भी खास

अरुण जेटली का नाम देश के उन नेताओं में आता तह, जिनकी सभी दलों के नेताओं से दोस्ती थी। यह दोस्ती केवल कहने की नहीं बल्कि जरुरत के समय साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने वाली थी।

Sudhanshu Gaur Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: December 28, 2023 12:24 IST
Arun Jaitley- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV अरुण जेटली

अरुण जेटली जयंती विशेष: 28 दिसंबर को भारत में दो ऐसी शख्सियतों ने जन्म लिया। जिन्होंने देश की दसा और दिशा दोनों ही बदल दीं। एक का जन्म साल 1932 में गुजरात में हुआ था और दूसरा साल 1952 में देश की राजधानी दिल्ली में। पहले शख्स ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से अपना लोहा दुनियाभर में मनवाया तो दूसरे ने देश की राजधानी दिल्ली से पूरे देश में अपने नाम का लोहा मनवाया। पहले शख्स थे रिलायंस ग्रुप के संस्थापक धीरूभाई अंबानी और दूसरे थे देश के पूर्व वित्त मंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे खास दोस्तों में से एक अरुण जेटली। 

इस लेख में हम बात करेंगे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे ख़ास दोस्त अरुण जेटली के। अरुण जेटली के बारे में कहा जाता था कि एक बार वह किसी को अपना दोस्त मान लेते थे तो उसके लिए वह पूरी दुनिया से भी लड़ जाते थे। दोस्तों की मुसीबत को वह अपनी मुसीबत मानते थे और उसे दूर करने के लिए वह किसी भी हद तक जाते थे। राजनीतिक रूप से बात करें तो शायद ही ऐसा कोई दल होगा, जिसके नेताओं से उनकी दोस्ती नहीं थी।

 Arun Jaitley

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अरुण जेटली

राज्यसभा में जब बिल पास कराने के लिए काम आई दोस्ती

इसकी बानगी नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में देखने को मिली थी। मोदी सरकार के बिल लेकर आई थी। लोकसभा में एनडीए के पास पूर्ण बहुमत था, लेकिन राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं था। इसलिए कई बार बिलों को पास कराने के लिए उसे विपक्ष के सांसदों का समर्थन लेना पड़ता था। ऐसा ही एक मौका साल 2017 में आया था। एक बिल को राज्यसभा से पास कराना था लेकिन सरकार के पास बहुमत नहीं था। राज्यसभा में नेता सदन की जिम्मेदारी अरुण जेटली के ही पास थी और उन्होंने तत्कालीन समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल से कहा कि उनकी पार्टी इसे पास कराने में उनका साथ दे।

विपक्ष उम्मीद लगाए बैठा था कि यह बिल राज्यसभा में गिर जाएगा और उनकी एक प्रकार से नैतिक जीत हो जाएगी। लेकिन उन्हें शायद नहीं पता था कि अरुण जेटली पहले ही अपनी दोस्ती के दम पर नरेश अग्रवाल के से बिल पास कराने की बात कर चुके हैं। सदन के पटल पर बिल रखा गया और एनडीए के साथ-साथ सपा के सांसदों ने भी इस बिल के समर्थन में वोटिंग की। बिल सदन से पास हो गया। हालांकि यह किस्सा अरुण जेटली के निधन के बाद नरेश अग्रवाल ने उनकी याद में सुनाया, तब जाकर विपक्षी सांसदों समेत आम लोगों के इस बारे में मालूम हुआ।

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जेटली ने अपनी कैरियर की शुरुआत बतौर वकील की थी

अरुण जेटली ने अपनी कैरियर की शुरुआत बतौर वकील की थी। वो देश के सबसे बड़े वकीलों में गिने जाते थे, लेकिन राजनीतिक जीवन में ऐसे उलझे कि उन्हें अपने केस भी लड़ने के लिए वकील रखने पड़े। एक बार वो इंडिया टीवी के शो 'आप की अदालत' में बताते हैं कि वह राजनीति में ज्यादा उम्मीदों के साथ नहीं आए थे, लेकिन जनता और उनकी पार्टी उन्हें ऐसा प्यार और समर्थन देगी कि उन्हें वकालत ही छोड़नी पड़ जाएगी। अरुण जेटली एक समय में बीजेपी की रीढ़ लाल कृष्ण आडवाणी, कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया और जदयू के नेता शरद यादव जैसे बड़े नेताओं के वकील रहे थे।

मोदी सरकार में मिला वित्त और रक्षा मंत्रालय 

अरुण जेटली जब 2014 में बीजेपी के जीतने के बाद मोदी कैबिनेट में शामिल हुए तो उन्हें वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री जैसा अहम मंत्रालय मिला। कुछ समय बाद ही कहा जाने लगा कि यह मोदी सरकार कम जेटली सरकार ज्यादा है। क्योंकि माना जाता था कि देश के आर्थिक सुधार का कोई भी फैसला हो, पीएम मोदी बिना जेटली की सलाह के कोई भी फैसला नहीं लेते थे। मोदी सरकार के अफ्ले कार्यकाल में जब वह वित्त मंत्री थे तभी देश में नोटबंदी, जीएसटी, जनधन योजना और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर जैसे बदलावकारी कदम उठाए गए। 

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आज उनकी जयंती है। बताया जाता है कि जब वह जीवित थे तो उनके यहां उनके दोस्तों का जमावड़ा लगता था। वह अपने दोस्तों के साथ पुराने दिनों में चले जाते थे। वह इस दिन भूल जाते थे कि वह देश के इतने ताकतवर व्यक्ति हैं। इसका एक वाकया इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ और और चेयरमैन रजत शर्मा ने भी साझा किया। उन्होंने बताया कि आज के दिन हर साल अरुण जेटली का जन्मदिन एक मौका होता था दोस्तों से मिलने का और घंटों अरुण जी की बातें सुनने का। लेकिन अब बस उनकी बातें और उनकी यादें ही हम सबके साथ हैं। 

रजत शर्मा एक किस्सा सुनाते हुए बताते हैं कि मैं अपने कॉलेज में पहले दिन गया, जहां फ़ीस जमा करते समय मेरे पास छुट्टे पैसे थे। इन्हें देखकर फ़ीस जमा करने वाले अधिकारी भड़क गए। वह मुझपर चिल्लाने लगे कि यह छुट्टे पैसे लेकर क्यों आए हो। काफी कहने के बाद वह उन्हें लेने पर राजी हुए। इसके बाद जब उसमें चार रुपए कम निकले तो उनका पारा सातवें आसमान पर था। उस वक्त वहां अरुण जेटली आ गए और उन्होंने उस अधिकारी को जमकर डांट लगाई। इसके बाद उन्होंने अपने पास से उन्हें पांच रुपए निकालकर दिए और मेरी फ़ीस जमा कराई। इसके बाद वो मुझे कैंटीन लेकर गए और वहां बैठकर चाय पिलाई।

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