Sunday, April 28, 2024
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आज ही के दिन लाहौर में घुसी थी भारतीय सेना, जानें पीएम शास्त्री के एक फैसले ने कैसे बदल डाला 1965 जंग का रुख

1965 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जे के लिए ऑपरेशन जिब्राल्टर शुरू किया था। बता दें कि जिब्राल्टर स्पेन के पास एक छोटा सा टापू है। अरब की सेनाओं ने इसी टापू के माध्यम से स्पेन पर कब्जा किया था।

Subhash Kumar Written By: Subhash Kumar
Updated on: September 06, 2023 9:35 IST
Indian army in lahore- India TV Hindi
Image Source : MINISTRY OF DEFENCE लाहौर में भारतीय सैनिक।

6 सितंबर की तारीख भारत के ऐतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। ये वही दिन था जब भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को उसकी कारिस्तानियों का जवाब दिया था। इसी तारीख को तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री के आदेश पर भारतीय सेना अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार कर लाहौर में घुस गई थी। भारत के इस बड़े कदम ने 1965 में हुए भारत-पाक जंग का पूपा रुख ही मोड़ कर रख दिया था। आइए जानते हैं इस पूरे किस्से को...

पाकिस्तान की करतूत

1962 में चीन सो युद्ध लड़ चुके भारत को उस वक्त आर्थिक रूप से काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। इस बात को पाकिस्तान ने मौके के रूप में देखा और जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने के लिए अभियान शुरू कर दिया। पाकिस्तान की सेना उस वक्त अमेरिका के उन्नत हथियारों से लैस थी। पाकिस्तान के लीडर अयूब खान ने इस अभियान को ऑपरेशन जिब्राल्टर नाम दिया था। 

जब लाहौर में घुसी सेना
पाकिस्तान की सेना ने अपनी पूरी ताकत को जम्मू-कश्मीर में झोंक दिया था। ऐसे में देश के पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने सेना को अतर्राष्ट्रीय सीमा को पार करने का आदेश दे दिया। भारत ने एक ओर जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सेना का सामना किया और दूसरी ओर अटारी-वाघा बॉर्डर से सेना ने लाहौर की ओर कूच कर दिया। रिपोर्ट की मानें तो पीएम शास्त्री ने कहा था- "इससे पहले पाकिस्तान कश्मीर पहुंचे मैं लाहौर पहुंचना चाहता हूं।"

पाक पर तीन तरफ से हमला
चीन युद्ध में नुकसान झेल चुकी भारतीय सेना पाकिस्तान को पूरी तरह से जवाब देने के लिए तैयार बैठी थी। जम्मू-कश्मीर के मोर्चे पर दबाव कम करने के लिए सेना ने  अमृतसर, फिरोजपुर और गुरुदासपुर यानी तीन ओर से पाकिस्तान पर हमला बोल दिया। पाकिस्तान को कभी उम्मीद नहीं थी कि भारतीय सेना अतर्राष्ट्रीय सीमा को पार कर जाएगी। नतीजतन भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे धकेलते हुए लाहौर के बड़े इलाके को अपने कब्जे में ले लिया।

ऐसे हुआ युद्ध विराम
पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के कारण लाल बहादुर शास्त्री की पूरे देश में जय-जयकार होने लगी थी। युद्ध में हार को सामने देख पाकिस्तान लगातार अमेरिका और अन्य देशों के पास युद्धविराम के लिए गुहार लगाने लगा। आखिरकार 23 सितम्बर 1965 को भारत-पाकिस्तान ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी। विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वक्त तक पाकिस्तान ने भारत के 210 वर्गमील इलाके पर कब्जा किए हुए था। वहीं, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 470 वर्ग मील और पाक अधिकृत कश्मीर के 270 वर्गमील इलाके को कब्जे में ले लिया था। 

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