Friday, April 26, 2024
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झारखंड में सत्ताधारी दलों के विधायकों ने ही घेरी अपनी सरकार, विधानसभा के भीतर विरोध, बाहर धरना

झामुमो विधायक बैजनाथ राम ने कहा कि सरकार भले ही हमारी हो, लेकिन मैं पहले लातेहार का विधायक हूं और मेरा पहला दायित्व क्षेत्र की जनता के प्रति है। समस्याओं के समाधान के लिए मैं हर लोकतांत्रिक तरीका अपनाऊंगा।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: December 23, 2022 16:33 IST
झारखंड विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे विधायक- India TV Hindi
Image Source : TWITTER झारखंड विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे विधायक

झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य सरकार को कई मुद्दों पर सत्ताधारी दलों के विधायकों के ही विरोध का सामना करना पड़ा है। सदन के अंदर और बाहर सत्तारूढ़ विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों के कारण सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हुई। सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को लातेहार के विधायक बैजनाथ राम अपनी ही सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए विधानसभा के मुख्य द्वार के पास धरना पर बैठ गए। 

अस्पताल नहीं बना पर घोटाला हो गया

झामुमो विधायक बैजनाथ राम ने कहा कि पिछले तीन सालों से लातेहार के बालूमाथ में अस्पताल निर्माण की मांग वह उठा रहे हैं। सदन में भी कई बार इस मुद्दे को उठाया। मुख्यमंत्री से मिलकर भी इस बात को रखा लेकिन कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हमने मांग उठाई कि अस्पताल का निर्माण नहीं हुआ लेकिन 1 करोड़ 25 लाख का घोटाला जरूर हो गया। सरकार भले ही हमारी हो, लेकिन मैं पहले लातेहार का विधायक हूं और मेरा पहला दायित्व क्षेत्र की जनता के प्रति है। समस्याओं के समाधान के लिए मैं हर लोकतांत्रिक तरीका अपनाऊंगा। 

आरक्षण का पालन न होने पर भी सरकार को घेरा
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता धरना पर बैठे विधायक बैजनाथ राम से मुलाकात करने पहुंचे और उनके द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे पर आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन बैजनाथ राम ने उनसे बातचीत तक नहीं की। उन्होंने कहा कि मुझे स्वास्थ्य मंत्री की बातों पर भरोसा नहीं है। मैं मुख्यमंत्री से शिकायत करूंगा। इसके पहले बीते बुधवार को राज्य की प्राइवेट कंपनियों में झारखंड के लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का पालन न होने के सवाल पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही सरकार की घेराबंदी की। उनके सवालों पर श्रम एवं नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता ठोस जवाब नहीं दे पाए। 

"यह सरकार की नाकामी है..."
कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने सदन में कहा कि 12 सितंबर को ही सरकार ने निजी कंपनियों में 75 प्रतिशत आरक्षण के निर्णय को लागू किया था। एक महीने के भीतर इसका अनुपालन करना था। अधिसूचना के 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश था। तीन माह से ज्यादा हो गए। जब कंपनी ने रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया तो वह नियुक्ति क्या करेगा? इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि इसके लिए पोर्टल बनाया जा रहा है। प्रदीप यादव ने पलटवार किया कि जब पोर्टल नहीं बना तो 404 कंपनियों ने कहां रजिस्ट्रेशन कराया है? यह सरकार की नाकामी है। निजी कंपनियां पहले ही सारे पद भर देंगी। 

"सरकार की झूठी जय-जयकार नहीं कर सकते"
झामुमो के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने भी कहा कि अधिकारियों के कारण युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। अधिकारी राज्य में सभी पदों के लिए आउटसोर्सिंग कर रहे हैं। एक कमेटी बनाएं, जिससे पता चले कि इन कंपनियों में आरक्षण नियमों का पालन हो रहा है या नहीं? यह हमारे लिए शर्म की बात है। इसी तरह झामुमो के वरिष्ठ विधायक लोबिन हेंब्रम ने सदन के बाहर सरकार की डोमिसाईल पॉलिसी और नियोजन नीति पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने यहां तक कहा कि सरकार ने मुझसे 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति पारित होने के नाम पर ढोल पिटवा लिया, लेकिन बाद में पता चला कि यह नीति तो लागू ही नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह जनता से वादाखिलाफी है। वह झूठे तरीके से सरकार की जय-जयकार नहीं कर सकते।

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