Sunday, April 28, 2024
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Rajat Sharma's Blog |अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा : कांग्रेस की दुविधा

मुझे लगता है कांग्रेस और दूसरे मोदी विरोधी दलों ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाने का फैसला करके गलती की है। खासतौर पर 52 सीटों वाली कांग्रेस ने एक बड़ा अवसर अपने हाथ से गंवा दिया है। कांग्रेस को तो ये समझना चाहिए था कि देश के जो करोड़ों लोग हैं, वो रामलला का मंदिर बनने से उत्साहित हैं।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: January 17, 2024 6:22 IST
Rajat sharma, IndiaTV- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

अयोध्या में सोमवार को कांग्रेस के नेताओं की रामभक्ति का नज़ारा दिखा। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय, पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत, यूपी प्रभारी अविनाश पांडे जैसे तमाम नेता अयोध्या पहुंचे, ‘जय श्रीराम’, ‘जय जय सियाराम’, ‘सियावर रामचन्द्र की जय’ के नारे गूंजे। वैसे तो ये कोई बड़ी बात नहीं  है, भगवान राम के नारे कोई भी लगा सकता है, सरयू में डुबकी लगाकर रामलला के दर्शन कोई भी कर सकता है लेकिन कांग्रेस के नेताओं का अयोध्या जाकर सरयू में डुबकी लगाना और जय श्रीराम के नारे लगाना इसलिए बड़ी बात है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इंकार कर दिया है, रामजन्भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आमन्त्रण को ठुकरा दिया है। लेकिन सोमवार को मकर संक्रांति पर कांग्रेस के तमाम नेताओं ने अयोध्या पहुंचकर सरयू में डुबकी लगाई, पापों का प्रायश्चित किया, बजरंगबली के दर्शन किए, फिर राम के दरबार में हाजिरी लगाई, इसके बाद कहा कि हम तो पुराने रामभक्त हैं, बीजेपी वाले तो 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के नाम पर पाप कर रहे हैं, अधूरे मंदिर में रामलला का विग्रह स्थापित कर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि जिस काम को शंकराचार्य सनातन विरोधी बता रहे हैं, जिस कार्यक्रम में शंकराचार्य नहीं आ रहे हैं, उस समारोह में कांग्रेस के नेता क्यों जाएंगे। मंगलवार को कोहिमा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को राजनीतिक बताया, कहा कि कांग्रेस इस राजनीतिक कार्यक्रम में नहीं जाएगी क्योंकि बीजेपी-आरएसएस चुनावी फायदे के लिए ये कार्यक्रम करवा रही है। राहुल गांधी ने कहा, “मुझे धर्म से फायदा नहीं उठाना, मेरी उसमें दिलचस्पी नहीं है, मुझे धर्म को शर्ट बनाकर पहनने की जरूरत नहीं है, जो सच में धर्म के साथ पब्लिक रिश्ता रखता है, वही धर्म से फायदा उठाता है।” लेकिन सोमवार को अयोध्या में यूपी कांग्रेस के नेता क्या कर रहे थे?  ये सभी नेता दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ सरयू के तट पर पहुंचे, जय श्रीराम के नारे लगाए और डुबकी लगाई। कड़कड़ाती ठंड में सभी नेताओं ने पानी में खड़े होकर पूजा अर्चना की। ये नेता माथे पर त्रिपुंड लगाकर हनुमान गढ़ी पहुंचे और राम लला की पूजा की। अजय राय ने कहा, रामलला की अभी जो मूर्ति है वो तो पहले से प्राण प्रतिष्ठित है, इसलिए 22 जनवरी को क्या होने जा रहा है, ये तो बीजेपी वाले ही बता सकते हैं। स्नान ध्यान के बाद कांग्रेस के नेताओं ने हनुमान गढ़ी में बजरंग बली के दर्शन किए। इसके बाद सभी नेता रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास से मुलाक़ात की, उनका आशीर्वाद और प्रसाद लिया। चूंकि कांग्रेस के कार्यकर्ता पांर्टी का झंडा लेकर अयोध्या पहुंचे थे इसलिए रामभक्तों ने इसका विरोध किया। कुछ लोगों ने कार्यकर्ताओं के हाथ से छीनकर कांग्रेस का झंड़ा फाड़ दिया लेकिन पुलिस ने बीचबचाव कर हालात को संभाल लिया।

दोनों ओर से जमकर नारेबाजी हुई। दोनों पक्ष आमने सामने डटे रहे और नारेबाज़ी करते रहे। कांग्रेस के नेताओं ने हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास से  मुलाक़ात करने की कोशिश की लेकिन काफ़ी देर इंतज़ार के बाद भी महंत राजू दास उनसे नहीं मिले। बाद में महंत राजू दास ने कहा कि कांग्रेस नेताओं की भगवान राम में निजी आस्था पर उन्हें कोई शक नहीं है लेकिन उन्हें कांग्रेस की दोहरी नीति से ऐतराज़ है। महंत राजू दास ने कहा कि एक तरफ़ तो कांग्रेस, भगवान राम के अस्तित्व को नकारती है, प्राण प्रतिष्ठा का न्यौता ठुकराती है और फिर अपने नेताओं को रामलला के दर्शन के लिए भी भेजती है, भगवान राम के धाम में ये दोहरा चरित्र नहीं चलेगा। कांग्रेस नेताओं के अयोध्या दौरे में भक्ति कम, राजनीति ज्यादा थी। खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी भले ही न समझे कि आम जनमानस पर राम नाम का क्या असर है, प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बॉयकॉट का क्या असर होगा, लेकिन यूपी कांग्रेस के नेता राम नाम की शक्ति को भलीभांति जानते हैं, अयोध्या की महिमा को पहचानते हैं,  इसीलिए अजय राय भगवान राम के जयकारे लगाते, सरयू में डुबकी लगाते दिखे। लेकिन चूंकि हाईकमान ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर रहने का फैसला किया है, उस फैसले का विरोध कर नहीं सकते, ये उनकी मजबूरी है। इसलिए राम का नाम लेकर अपना काम किया। ये हाल सिर्फ कांग्रेस का नहीं हैं। मोदी विरोधी मोर्चे में शामिल ज्यादातर पार्टियों ने 22 जनवरी के कार्यक्रम से दूरी बनाई है। लेकिन ये पार्टियां असमंजस में है। उन्हें पता नहीं ठीक किया या गलत, इसलिए अब सारी पार्टियां  खुद एक दूसरों से बड़ा रामभक्त बताने में जुटी हैं। 

दिल्ली में मंगलवार को अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करवाया। लेकिन आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने एलान कर दिया कि कोई जाए न जाए, वो तो अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन जरूर करेंगे। हरभजन की ये गुगली केजरीवाल को मुसीबत में डालेगी। हरभजन ने एलान तो कर दिया है लेकिन अब इसके बाद सियासी गलियारों में ये चर्चा शुरू हो गई है कि हरभजन सिंह अगले दो महीनों में कुछ बड़ा कर सकते हैं। हो सकता है उनकी ball turn ले ले,  लोकसभा चुनाव से पहले हाथ में कमल का फूल लेकर अयोध्या पहुंचें। लेकिन ये सब अटकलबाजी  हैं। हकीकत ये है कि अयोध्या में राममंदिर बनने की खुशी दुनिया में बसे हर हिन्दू को है। ये कोई सियासी कार्यक्रम नहीं हैं। पांच सौ साल के बाद रामलला फिर भव्य मंदिर में विराजमान हो रहे हैं। इसलिए हर किसी को पार्टी राजनीति से ऊपर उठकर भक्तिभाव से इस खुशी में शामिल होना चाहिए। चूंकि साधु संतों, शंकराचार्यों, धर्माचार्यों ने राम मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह को आशीर्वाद दिया है, बड़े विद्वानों ने प्राणप्रतिष्ठा का महूर्त निकाला है, इसलिए इस पर किस पार्टी के नेता क्या कहते हैं, इससे रामभक्तों को कोई मतलब नहीं हैं। 

इस वक्त अयोध्या में हर तरफ सिर्फ रामभक्तों का हुजूम दिख रहा है। लोग भगवान राम के लिए तरह-तरह के उपहार ला रहे हैं। हर किसी को 22 जनवरी का इंतजार है। श्रीराम जन्मभूमित तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने भी ऐलान कर दिया कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों पूरी हो चुकी हैं। चंपत राय ने बताया कि क़रीब 150 संप्रदायों के लोगों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया हैं, प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त काशी के आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है और कर्मकांड की सारी प्रक्रिया वाराणसी के आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित करेंगे। रामलला की मूर्ति को 18 जनवरी को गर्भगृह में प्रवेश कराया जाएगा। 21 जनवरी तक वैदिक परंपराओं के साथ अनुष्ठान होंगे और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर होगी। 84 सेकेन्ड का मुहूर्त है और कार्यक्रम पूरा होने में करीब सवा घंटे का वक्त लगेगा। दुनिय़ा भर के रामभक्त आजकल अयोध्या आने के लिए उत्साहित हैं, इसमें धर्म का कोई भेद नहीं हैं। देश भर से मुस्लिम भाई भी रामलला के लिए प्रसाद, कपड़े और गहने  भेज रहे हैं। 

मुझे लगता है कांग्रेस और दूसरे मोदी विरोधी दलों ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाने का फैसला करके गलती की है। खासतौर पर 52 सीटों वाली कांग्रेस ने एक बड़ा अवसर अपने हाथ से गंवा दिया है। कांग्रेस को तो ये समझना चाहिए था कि देश के जो करोड़ों लोग हैं, वो रामलला का मंदिर बनने से उत्साहित हैं। उनमें बड़ी संख्या में कांग्रेस के समर्थक और वोटर भी हैं। ये सभी वो लोग हैं जिन्होंने भव्य राम मंदिर में रामलला को स्थापित करने के लिए 500 साल इंतज़ार किया। अब जब वो घड़ी आने वाली है तो लोगों की भावनाएं इस मंदिर से किस तरह जुड़ी हुई हैं, वो आज पूरे देश में दिख रहा है। इन बातों का कोई मतलब नहीं कि मंदिर पूरा नहीं बना, शंकराचार्य क्यों नहीं जा रहे, इसमें मोदी यजमान क्यों हैं। सब जानते हैं ये बेकार की बातें हैं। सबको मालूम है कि मोदी विरोध में ये सब किया जा रहा है। कोई कह रहा है पहले जाएंगे, कोई कह रहा है बाद में जाएंगे, उनके अपने नेता पूछ रहे हैं जाना ही है, तो फिर 22 तारीख में क्या problem है?  शुभ मुहूर्त में क्यों नहीं जाते? इतिहास बनते क्यों नहीं देखते? अब ऐसा ना हो कि जब टीवी पर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम देखें, देश के लोगों का उत्साह देखें ,तो लगे मौका सामने था, हमने खो दिया। और ऐसे मौके बार बार नहीं आते। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 15 जनवरी 2024 का पूरा एपिसोड

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