संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। इस सत्र में केंद्र सरकार ने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पेश करन और उन्हें पारित करने की योजना बनाई है। मॉनसून सत्र 21 जुलाई से लेकर 21 अगस्त तक चलेगा, हालांकि 13 और 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह को ध्यान में रखते हुए संसद की कार्यवाही नहीं होगी। बता दें कि केंद्र सरकार ने इस सत्र में जीएसटी (संशोधन) विधेयक 2025 और कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2025 समेत कई विधेयकों को लोकसभा में लाने की तैयारी कर रही है। भारत में संसद सत्र के कुल तीन होते हैं, बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र।
बजट सत्र
बजट सत्र संसद का सबसे महत्वपूर्ण सत्र है, जो सामान्यतः फरवरी से मई तक चलता है। इसमें सरकार वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत करती है। यह सत्र दो चरणों में होता है: पहले चरण में बजट प्रस्तुति और सामान्य चर्चा, और दूसरे चरण में विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक पर चर्चा। इस दौरान विभिन्न मंत्रालयों के लिए धन आवंटन पर विचार-विमर्श होता है। राष्ट्रपति का अभिभाषण भी इस सत्र की शुरुआत में होता है, जिसमें सरकार की नीतियों और योजनाओं का उल्लेख होता है। यह सत्र राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मानसून सत्र
मानसून सत्र आमतौर पर जुलाई से अगस्त या सितंबर तक आयोजित होता है। यह सत्र विधायी कार्यों और नीतिगत मुद्दों पर केंद्रित होता है। इसमें विभिन्न विधेयक पेश किए जाते हैं, और संसद सदस्य सरकारी नीतियों, सामाजिक मुद्दों और जनहित के मामलों पर चर्चा करते हैं। मानसून सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल में सांसद महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते हैं। यह सत्र कृषि, जल प्रबंधन और बुनियादी ढांचे जैसे मौसमी मुद्दों पर विशेष ध्यान देता है। सरकार इस दौरान नए कानूनों को पारित करने और मौजूदा नीतियों की समीक्षा करने का प्रयास करती है।
शीतकालीन सत्र
शीतकालीन सत्र नवंबर से दिसंबर तक चलता है और संसद का अंतिम प्रमुख सत्र होता है। यह सत्र विधायी कार्यों, नीति समीक्षा और जनहित के मुद्दों पर केंद्रित होता है। इसमें कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश और पारित किए जाते हैं। सांसद विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं। प्रश्नकाल और शून्यकाल में सांसद सरकार से जवाब मांगते हैं। यह सत्र ठंड के मौसम में होने के कारण छोटा हो सकता है, लेकिन इसका महत्व कम नहीं है। शीतकालीन सत्र में सामाजिक, आर्थिक और राजनीवादी मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श होता है।
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