Tuesday, April 30, 2024
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Explained: अगर चंद्रयान-3 का रोवर और लैंडर दोबारा नहीं जागे तो क्या होगा?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस महीने की शुरुआत में चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में भेजने के बाद से उन्हें दोबारा से जगाने की कोशिश कर रहा है। हम आपको बताएंगे कि अगर चंद्रयान-3 का रोवर और लैंडर दोबारा नहीं जागे तो क्या होगा?

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: September 23, 2023 19:54 IST
Chandrayaan-3- India TV Hindi
Image Source : ISRO चंद्रयान-3 को फिर से जगाने की कोशिश

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस महीने की शुरुआत में चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में भेजने के बाद से उन्हें दोबारा से जगाने की कोशिश कर रहा है। इसरो ने शुक्रवार को कहा कि उसने अपने मून मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ सम्पर्क करने के प्रयास किए हैं, ताकि उनके सक्रिय होने की स्थिति का पता लगाया जा सके लेकिन अभी तक उनसे कोई सिग्नल नहीं मिला है। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि लैंडर और रोवर से संपर्क करने का प्रयास जारी रहेगा। हम आपको बताएंगे कि अगर चंद्रयान-3 का रोवर और लैंडर दोबारा नहीं जागे तो क्या होगा? 

लैंडर और रोवर को इसरो ने स्लीप मोड में डाला था

दरअसल, चंद्रमा पर सूर्योदय होने के साथ ही इसरो ने लैंडर और रोवर के साथ फिर से कनेक्शन स्थापित करके, उन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास किया है ताकि वे आगे भी वैज्ञानिक प्रयोग जारी रख सकें। पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पर रात की शुरुआत होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों को इस महीने की शुरुआत में 4 और 2 सितंबर को निष्क्रय अवस्था (स्लीप मोड) में डाल दिया गया था। हालांकि, उनके रिसीवर चालू रखे गए थे। इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा, ‘‘हमने लैंडर और रोवर दोनों को ‘स्लीप मोड’ पर डाल दिया था क्योंकि चांद पर तापमान शून्य से 120-200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। बीस सितंबर से चंद्रमा पर सूर्योदय होगा और हमें उम्मीद है कि 22 सितंबर तक सौर पैनल और अन्य उपकरण पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगे, इसलिए हम लैंडर और रोवर दोनों को सक्रिय करने की कोशिश करेंगे।’’ 

ISRO कर रहा चालू करने की कोशिश 
लैंडर और रोवर दोनों चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में हैं और वहां पर सूर्योदय होने के साथ ही यह मानते हुए कि उनके सौर पैनल ऑप्टिमल रूप से चार्ज हो गए होंगे, इसरो उनकी स्थिति और कामकाज फिर से शुरू करने की क्षमता की जांच करने के लिए उनके साथ फिर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि उन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास किया जा सके। 

अगर नहीं चालू हुए लैंडर और रोवर तो? 
लैंडर और रोवर को स्लीप मोड में डालते समय इसरो ने कहा था कि अगर ये दोनों नहीं जागे तो ये ''भारत के चंद्र राजदूत के रूप में हमेशा के लिए वहीं रहेंगे।'' 22 सितंबर को जब चांद पर सूर्योदय होना था तो इसरो ने रोवर और लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। हालांकि चीन के मून लैंडर चांग'ई-4 और रोवर युतु-2 का उदाहरण देते हुए विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि रोवर और लैंडर चांद पर सुबह होते ही जाग सकते हैं। चीन के लैंडर और रोवर ने 2019 में अपनी पहली चांद की रात झेलने के बाद फिर से काम करना शुरू कर दिया था।

लेकिन, इसरो के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने बीबीसी को बताया था कि यह जरूरी नहीं है कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर दोबारा जाग जाएं क्योंकि चंद्रमा पर रात के दौरान तापमान -200 से -250 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और हमारी बैटरी को ऐसे अत्यधिक तापमान पर रहने या काम करने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है। 

इतना ही नहीं इसरो के पूर्व वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को मूल रूप से केवल 14 दिनों तक काम करने के लिए ही डिज़ाइन किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर वे (लैंडर और रोवर) पहली चंद्र रात में बचे रहे तो वे चांद पर और रातें गुजारने में सक्षम होंगे। मिश्रा ने कहा, “अगर यह एक चंद्र रात तक जीवित रहता है, तो मुझे यकीन है कि यह कई और चंद्र रातों तक जीवित रहेगा और यह संभवतः 6 महीने से एक साल तक काम कर सकता है, जो यह बहुत अच्छी बात होगी।''

चंद्रयान-3 ने 14 दिन चांद पर क्या किया?
बीते 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके। चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। लैंडर और रोवर का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और इन्हें वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए एक चंद्र दिन की अवधि (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालित करने के लिए तैयार किया गया था। इसरो को उम्मीद है कि ऐसे में जब चंद्रमा पर फिर से सूर्योदय हो गया है तो उन्हें फिर सक्रिय किया जा सकेगा ताकि वे वहां प्रयोग तथा अध्ययन जारी रख सकें।

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