Saturday, April 27, 2024
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महाराष्ट्र ड्रामे की इनसाइड स्टोरी, एक फोन कॉल ने कर दिया शिवसेना का प्लान फेल

पहले खबर आई थी कि कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने के लिए मूड बना चुकी है लेकिन इसी बीच सोनिया गांधी ने एक फोन कॉल किया और सबकुछ बदल गया।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 12, 2019 7:28 IST
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महाराष्ट्र ड्रामे की इनसाइड स्टोरी, एक फोन कॉल ने कर दिया शिवसेना का प्लान फेल

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में एनसीपी को सरकार गठन के लिए न्योता मिलने के बाद वहां हालात और दिलचस्प हो गया है। सबकी नजरें कांग्रेस की ओर है कि वो क्या फैसला करती है। बदले हुए हालात में ये देखना भी होगा कि शिवसेना को एनसीपी समर्थन करती है या फिर शिवसेना के समर्थन से एनसीपी सरकार बनाने के लिए आगे बढ़ती है। इससे पहले खबर आई थी कि कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने के लिए मूड बना चुकी है लेकिन इसी बीच सोनिया गांधी ने एक फोन कॉल किया और सबकुछ बदल गया।

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बता दें कि शिवसेना को राज्यपाल से सरकार बनाने का न्योता मिला था लेकिन तय वक्त पर शिवसेना जरूरी विधायकों की चिट्ठी लेकर राज्यपाल के सामने नहीं पहुंच सकी। लिहाजा शिवसेना को बैकफुट पर आना पड़ा वो भी तब जब शिवसेना की ओर से केंद्र में शामिल अरविंद सावंत ने इस्तीफा तक दे दिया। तो ऐसा क्या हुआ कि शिवसेना को जरूरी विधायकों का समर्थन की चिट्ठी नहीं मिल सकी?

सोमवार शाम सूरज ढलने तक शिवसेना को उम्मीद थी कि सरकार उसकी बन जाएगी और जरूरी आंकड़ों की चिट्टी उसे मिल जाएगी लेकिन इस बीच एक फोन कॉल ने शिवसेना के मंसूबे पर पानी फेर दिया। दिल्ली में कांग्रेस की करीब चार घंटे लंबी चली बैठक के बाद एक चिट्ठी सामने आई जिसमें साफ-साफ लिखा था कि कांग्रेस अध्यक्ष ने पूरे मामले पर शरद पवार से बात की है और आगे भी एनसीपी के साथ चर्चा करेगी।

महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन देने के लिए 10 जनपथ में लंबी मीटिंग चल रही थी। सूत्र बताते हैं कि इसी दौरान एक कॉल ने सब कुछ बदल दिया। दरअसल सोनिया गांधी ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से बात करने के लिए कॉल किया। दोनों नेताओं के बीच महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर बात हुई। बातों बातों में सोनिया को पता चला कि एनसीपी ने भी शिवसेना को समर्थन की चिट्ठी नहीं दी है।

शरद पवार की ओर से सोनिया को दी गई जानकारी ने कांग्रेस आलाकमान को सकते में डाल दिया। सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी को ये समझते देर न लगी कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच चीजें अभी भी स्पष्ट नहीं हुई है। इस फोन कॉल के बाद कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। कांग्रेस ने बयान में कहा कि सरकार गठन पर चर्चा तो जरूर हुई, लेकिन अभी कुछ तय नहीं हुआ है और आगे भी सोनिया गांधी शरद पवार से बात करेंगी।

वहीं महाराष्ट्र के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सोनिया गांधी को बताया है कि अगर बीजेपी को हटाकर शिवसेना-एनसीपी को सरकार बनाने दी गई, तो नुकसान कांग्रेस का ही होगा। दोनों क्षेत्रीय दल एनसीपी और शिवसेना राज्य में जम जाएंगे और कांग्रेस की हालत उत्तर प्रदेश जैसी हो जाएगी। जिस तरह उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी का साथ देने पर कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ है और कांग्रेस अब भी वहां अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही है, वैसी ही स्थिति महाराष्ट्र में भी हो जाएगी।

कांग्रेस-एनसीपी के इसी गुगली में शिवसेना फंस गई। इस बीच कांग्रेस का एक धड़ा भी शिवसेना को समर्थन देने के खिलाफ बयान देने लगा। फिलहाल जो हालात है उसमें शिवसेना के साथ एनसीपी और कांग्रेस के मिलने से ही वैकल्पिक सरकार मुमकिन दिख रही है। 288 सीटों वाली विधानसभा में शिवसेना की 56 सीट, कांग्रेस की 44 और एनसीपी की 54 सीटों को मिलाकर 154 सीटों का आंकड़ा होता है जो कि बहुमत के लिए 145 से नौ सीटें ज्यादा हैं।

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