नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए राज्यपाल ने राज्य की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एनसीपी को न्योता दिया है। न्योता मिलने के बाद अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी का एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार गठन की कोशिशें तेज कर दी हैं। बीती रात शरद पवार के घर पर एनसीपी की मीटिंग हुई जिसमें बदले हुए हालात पर चर्चा की गई। एनसीपी के पास आज शाम 8 बजे तक का वक्त है। आज एनसीपी की एक अहम मीटिंग भी है जिसमें पार्टी के पदाधिकारी और विधायक हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस भी आज एनसीपी से इस बारे में बात करेगी उसके बाद ही वो अपने पत्ते खोलेगी।
बता दें कि एनसीपी को सरकार गठन के लिए न्योता मिलने के बाद वहां हालात और दिलचस्प हो गया है। सबकी नजरें कांग्रेस की ओर है कि वो क्या फैसला करती है। बदले हुए हालात में ये देखना भी होगा कि शिवसेना को एनसीपी समर्थन करती है या फिर शिवसेना के समर्थन से एनसीपी सरकार बनाने के लिए आगे बढ़ती है।
दिल्ली में हुई कांग्रेस की बैठक में शिवसेना को समर्थन देने पर कोई फैसला नहीं किया जा सका है। कांग्रेस अब एनसीपी से चर्चा कर अंतिम फैसला लेगी। यानी महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर पेंच फंसा हुआ है। इस बीच बीजेपी पूरे हालात पर नजरें जमा रखी है और वेट एंड वॉच की पॉलिसी अपना रही है।
वहीं सरकार गठन का न्योता मिलने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर पर देर रात एनसीपी नेताओं की बैठक हुई जिसमें आगे की रणनीति बनाने पर चर्चा हुई। खबर है कि शरद पवार ने फोन पर उद्धव ठाकरे से फिर बात की है। इस बीच आज का दिन भी बेहद खास है। आज एनसीपी ने एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी के पदाधिकारी समेत सभी विधायक भी मौजूद रहेंगे।
माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद एनसीपी अंतिम फैसला करेगी। आज सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर ग्रुप की भी बैठक है जिसमें आगे की रणनीति और शिवसेना को समर्थन देने पर बात होगी। इस बीच बीजेपी पूरे हालात पर नजर बनाए हुए है।
हालांकि एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, 'अभी हम यह दावा नहीं कर रहे कि एनसीपी को सेना और कांग्रेस का साथ चाहिए।' उन्होंने कहा, 'मैं अभी यह नहीं कह सकता कि सेना हमारी तरफ समर्थन का हाथ आगे बढ़ाएगी।'
सोमवार शाम शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने साफ किया कि पार्टी के पास सरकार गठन के लिए जरूरी विधायकों का समर्थन है लेकिन उन्हें कुछ और समय चाहिए। हालांकि ठाकरे राज्यपाल के पास विधायकों का समर्थन पत्र पेश नहीं कर पाए, और कोश्यारी ने उनके द्वारा मांगे गए और समय की मांग को खारिज कर दिया।
अगर आज भी एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना सरकार बनाने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं करती है तो ये तय है कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना रहेगा। ऐसे में राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन के अलावा और कोई विकल्प बचता नहीं दिख रहा है।