चंडीगढ़ नगर निगम (एमसी) चुनाव में भाजपा को जीत मिली है और आप-कांग्रेस के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव के दौरान असेंबली हॉल में मंगलवार को उस समय जोरदार ड्रामा देखने को मिला, जब पीठासीन अधिकारी ने कांग्रेस और आप पार्षदों के आठ वोटों को अवैध घोषित कर दिया, जिससे मेयर चुनाव में भाजपा उम्मीदवार मनोज सोनकर की जीत का रास्ता साफ हो गया। सोनकर को आप के कुलदीप कुमार के 12 वोटों की तुलना में 16 वोट मिले, जबकि आठ वोट अवैध घोषित किए गए। इन परिणामों की घोषणा के बाद आप और कांग्रेस पार्षदों ने तुरंत विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, और भाजपा पर बेईमानी का आरोप लगाया। आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया और हाई कोर्ट जाने की बात कही।
आम आदमी पार्टी ने कहा कि सबसे पहली बात ये चुनाव 18 तारीख को होना था लेकिन अनिल मसीह बीमार कर दिये गये, इसे लेकर इस आदमी पर राजद्रोह का मुक़द्दमा होना चाहिए। पिछली बार तो एजेंट भी बुलाए थे इस बार तो एजेंट भी नहीं बुलाए गए। इसे लेकर हम कोर्ट में जाएँगे तो दिखायेंगे कि कैसे ये सब खेल हुआ है। कैमरे तो कोर्ट ने ही लगाये थे, उसके बाद हम हाई कोर्ट गए तो आज का दिन तय हुआ। आप ने आगे आरोप लगाया कि काउंटिंग एजेंट के हस्ताक्षर के बिना नहीं छुपा सकते एजेंटो के बिना ये लोग कौन होते हैं वेलोट पेपर को देखने वाले। चंडीगढ़ के मेयर को आज सीट पर बैठाया गया है उसे चुना नहीं गया है।
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नव निर्वाचित भाजपा के मेयर ने कहा...
चंडीगढ़ के नवनिर्वाचित मेयर मनोज सोनकर ने कहा, "...आरोप लगाना उनका (आप-कांग्रेस) काम है। जहां भी उनकी बात नहीं चलती, वे आरोप लगा देते हैं...सब कुछ कैमरे पर है। लेकिन जब वे ऐसा नहीं कर सके अपनी हार को पचाते हुए, उन्होंने यह माहौल बनाया और हम पर दोषारोपण करना शुरू कर दिया। मेयर के नाम की घोषणा के बाद उन्होंने मतपत्र फाड़ना शुरू कर दिया और आसपास के लोगों को धक्का देना शुरू कर दिया... जब वे एक छोटा शहर नहीं चला सकते, तो वे एक राज्य कैसे चला सकते हैं? ...उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस करने दीजिए, हम गलत नहीं हैं। हम चुनाव जीत गए हैं...''
पहले तो उन्होंने बैलेट पेपर को गिना उसके बाद फिर उन्होंने पहले पेन से मार्क किया और फिर उसके बाद टिक किया और उसको अलग रख दिया जब आदमी कोई ग़लत काम करता है तो हाथ कांपते हैं तो अनिल मसीह के भी कांप रहे थे बिना एजेंट के जब ईवीएम की वोटिंग होती है तो एजेंट के सामने ही उसे सील किया जाता है और एजेंट के सामने ही ईवीएम खोली जाती है।
हाई कोर्ट पहुंची आम आदमी पार्टी
आप ने उच्च न्यायालय का रुख किया है, जहां पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने तत्काल सुनवाई के लिए कुमार की याचिका का उल्लेख किया है। सिंह ने कहा कि बिना कोई कारण बताए आठ वोटों को अवैध घोषित कर दिया गया और चुनाव के रिकॉर्ड को सील करने की मांग की गई। हाई कोर्ट इस मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगा।. इन आरोपों के संबंध में न तो नगर निगम अधिकारियों और न ही मसीह ने अब तक कोई स्पष्टीकरण जारी किया है।
पूर्व कांग्रेस सांसद पवन कुमार बंसल ने इस घटना को लोकतंत्र को नष्ट करने का एक बेशर्म प्रयास करार दिया और मसीह पर चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करने के लिए एक पूर्व-निर्धारित योजना बनाने का आरोप लगाया। “कांग्रेस-आप उम्मीदवार के एजेंट को मतपत्र देखने की अनुमति नहीं दी गई, पीठासीन अधिकारी ने आठ वोटों को अस्वीकार करने की घोषणा की, भाजपा उम्मीदवार को विजेता घोषित किया और चले गए। भाजपा सदस्य मेज पर पहुंचे और मतपत्र फाड़ दिये।
केजरीवाल ने लगाया आरोप
आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर हमला बोलते हुए उन पर चुनावी प्रक्रिया में ''धोखाधड़ी'' करने का आरोप लगाया। केजरीवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "अगर ये लोग मेयर चुनाव में इस स्तर तक गिर सकते हैं, तो वे राष्ट्रीय चुनावों में किसी भी हद तक जा सकते हैं।" उन्होंने कहा, "यह बहुत चिंताजनक है।"
18 जनवरी को होना था चुनाव, इस वजह से टला
बता दें कि मतदान मूल रूप से 18 जनवरी को होना था, लेकिन पीठासीन अधिकारी के बीमार पड़ने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे 6 फरवरी तक के लिए टाल दिया था। प्रशासन ने उस समय भी कहा था कि कानून-व्यवस्था की स्थिति का आकलन करने के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया था। चुनाव टालने के प्रशासन के आदेश पर कांग्रेस और आप पार्षदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। कुलदीप कुमार ने चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर के चुनाव टालने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
24 जनवरी के अपने आदेश में, उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ प्रशासन को 30 जनवरी को सुबह 10 बजे मेयर चुनाव कराने का निर्देश दिया। इसने चुनाव स्थगित करने के प्रशासन के 18 जनवरी के आदेश को "अनुचित, अन्यायपूर्ण और मनमाना" करार देते हुए रद्द कर दिया।
मतदान मूल रूप से 18 जनवरी को निर्धारित थे, लेकिन पीठासीन अधिकारी के बीमार पड़ने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे 6 फरवरी तक के लिए टाल दिया था। प्रशासन ने उस समय भी कहा था कि कानून-व्यवस्था की स्थिति का आकलन करने के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया था। कुमार ने चुनाव टालने के चंडीगढ़ के उपायुक्त के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
मेयर चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण हो गए हैं क्योंकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक के सदस्यों, कांग्रेस और आप ने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए हाथ मिलाया है, जो पिछले आठ वर्षों से मेयर पद पर काबिज है। गठबंधन के हिस्से के रूप में, AAP मेयर पद के लिए चुनाव लड़ रही थी, जबकि कांग्रेस ने सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के लिए उम्मीदवार खड़े किए थे। अब नवनिर्वाचित मेयर सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए चुनाव कराएंगे।