Thursday, May 02, 2024
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कानपुर शेल्टर होम मामले में योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई, प्रोबेशन अधिकारी और डीपीओ निलंबित

कानपुर शेल्टर होम मामले में योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी अजीत कुमार को सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा शेल्टर होम मामले में लापरवाही बरतने पर डीपीओ को भी निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में शेल्टर होम की अधीक्षिका पर भी गाज गिरी है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 26, 2020 19:49 IST
Kanpur shelter home case: Probation officer and DPO suspended by Yogi government- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Kanpur shelter home case: Probation officer and DPO suspended by Yogi government

लखनऊ: कानपुर शेल्टर होम मामले में योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी अजीत कुमार को सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा शेल्टर होम मामले में लापरवाही बरतने पर डीपीओ को भी निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में शेल्टर होम की अधीक्षिका पर भी गाज गिरी है। अनियमितताओं के आरोप में अधीक्षिका मिथलेश पाल को भी निलंबित किया गया है। 

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित महिला संवासिनी गृह में एक के बाद एक 7 युवतियों के गर्भवती पाए जाने और 57 के कोरोना संक्रमित होने का मामला सामने आया था। शेल्टर होम की बच्चियों के गर्भवती और कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्‍तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस भेजा था। 

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कानपुर के आश्रय गृह की कोविड संक्रमण वाली नाबालिग लड़कियों के उचित उपचार के लिये न्यायालय में आवेदन

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित आश्रय गृह की कोविड-19 संक्रमण से ग्रस्त नाबालिग लड़कियों के समुचित उपचार और सुविधाओं के लिये उच्चतम न्यायालय में बृहस्पतिवार को एक आवेदन दायर किया है। अधिवक्ता अपर्णा भट ने तमिलनाडु में अनाथालयों में बच्चों के शोषण से संबंधित 2007 के मामले में नियुक्त न्याय मित्र की हैसियत से यह आवेदन दायर किया है। 

अपर्णा भट ने ऐसे बच्चों के लिये बेहतर सुविधायें मुहैया कराने का अनुरोध करते हुये इस आवेदन को स्वीकार करने और कानपुर जिले के आश्रय गृह में कोविड-19 संक्रमण से ग्रस्त नाबालिग लड़कियों को उचित चिकित्सा और उपचार प्रदान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। साथ ही इन लड़कियों के स्वास्थ्य के बारे में नियमित रूप से रिपोर्ट मंगाने का भी अनुरोध किया गया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पहले ही कानपुर के आश्रय गृह के बारे में सामने आयी इस खबर का संज्ञान ले चुका है कि इसमें 57 नाबालिग लड़कियां कोविड-19 संक्रमण से ग्रस्त मिली हैं। 

भट ने सभी बाल कल्याण समितियों को यह सुनिश्चित करने का केन्द्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है कि किसी भी नये बच्चे को बाल देखभाल संस्थान में दाखिल करने से पहले उन्हें उचित तरीके से पृथकवास में रखा जाये और महामारी के दौरान अभूतपूर्व जरूरतों के मद्देनजर अंतिम उपाय के रूप में इन संस्थानों को आवश्यक संसाधन मुहैया कराये जायें। आवेदन में यह अनुरोध भी किया गया है कि किसी भी नये बच्चे को बाल देखभाल संस्थान में दाखिल करने से पहले उनकी अनिवार्य रूप से जांच करायी जाये और इसके बाद आवश्यक औपचारिकताओं का पालन किया जाये। 

भट ने शीर्ष अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर भी आकर्षित किया है कि उसने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर तीन अप्रैल को संरक्षण और आश्रय गृहों में बच्चों की स्थिति का स्वत: ही संज्ञान लिया था और बच्चों के संरक्षण के लिये राज्य सरकारों तथा अन्य प्राधिकारियों को कई निर्देश दिये थे। इससे पहले, 11 जून को न्यायालय ने तमिलनाडु में सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृह में 35 बच्चों के कोविड-19 से संक्रमित होने का संज्ञान लेने के साथ ही राज्य सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। यही नहीं, न्यायालय ने विभिन्न राज्यों में आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों के संरक्षण के लिये उठाये गये कदमों के बारे में राज्य सरकारों से भी स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।

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