Saturday, April 27, 2024
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16 नवंबर को सूर्य कर रहा है वृश्चिक राशि में प्रवेश, इन 5 राशियों पर पड़ेगा विशेष प्रभाव

सूर्य की वृश्चिक संक्रांति एवं स्थिर योग और आर्द्रा नक्षत्र कि अब बात करते है इस दिन विभिन्न राशि वाले लोगों को कौन सा उपाय करने से क्या फल प्राप्त होंगे। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: November 15, 2019 7:36 IST
sun transit Scorpio in 16 november- India TV Hindi
sun transit Scorpio in 16 november

16 नवंबर को देर रात 12 बजकर 51 मिनट पर सूर्य देव तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे और बता दें कि जिस दिन सूर्यदेव किसी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन सूर्य की संक्रांति होती है | अतः शनिवार की रात सूर्य की वृश्चिक संक्रांति है और इसका पुण्य काल रविवार सूर्योदय से दोपहर तक रहेगा | दरअसल आपको बता दूं कि लगभग 30 दिनों के अंतराल पर सूर्यदेव एक-एक करके सभी बारह राशियों में गोचर करते हैं। ये चक्र मेष राशि से शुरू होकर मीन राशि तक चलता है और फिर मेष राशि से दोबारा शुरू हो जाता है। संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जिसकी तिथि का निर्धारण सूर्य की गति के आधार पर होता है, जबकि भारतीय पंचांग की अन्य तिथियां चन्द्रमा की गति के आधार पर तय की जाती हैं । 

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार एक साल में 12 संक्रांतियां होती हैं जिनमें से 6 दक्षिणायन और 6 उत्तरायण होती हैं | सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही उत्तरायण और कर्क राशि में प्रवेश होते ही दक्षिणायन काल शुरू हो जाता है। फिलहाल दक्षिणायन चल रहा है। 

किसी भी संक्रांति में पुण्यकाल का बहुत महत्व होता है | सूर्य की इस वृश्चिक संक्रांति का पुण्यकाल रविवार को सूर्योदय से दोपहर तक रहेगा| सूर्य की वृश्चिक संक्रांति के पुण्यकाल के दौरान नर्मदा नदी में स्नान का महत्व है । साथ ही दीपदान और वस्त्रदान का भी बड़ा ही महत्व है|

16 नवंबर को देर रात 12 बजकर 51 मिनट पर सूर्य देव तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे और बता दें कि जिस दिन सूर्यदेव किसी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन सूर्य की संक्रांति होती है | अतः शनिवार की रात सूर्य की वृश्चिक संक्रांति है और इसका पुण्य काल रविवार सूर्योदय से दोपहर तक रहेगा | दरअसल आपको बता दूं कि लगभग 30 दिनों के अंतराल पर सूर्यदेव एक-एक करके सभी बारह राशियों में गोचर करते हैं। ये चक्र मेष राशि से शुरू होकर मीन राशि तक चलता है और फिर मेष राशि से दोबारा शुरू हो जाता है। संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जिसकी तिथि का निर्धारण सूर्य की गति के आधार पर होता है, जबकि भारतीय पंचांग की अन्य तिथियां चन्द्रमा की गति के आधार पर तय की जाती हैं।
 
 
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार एक साल में 12 संक्रांतियां होती हैं जिनमें से 6 दक्षिणायन और 6 उत्तरायण होती हैं | सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही उत्तरायण और कर्क राशि में प्रवेश होते ही दक्षिणायन काल शुरू हो जाता है। फिलहाल दक्षिणायन चल रहा है। 
 
किसी भी संक्रांति में पुण्यकाल का बहुत महत्व होता है | सूर्य की इस वृश्चिक संक्रांति का पुण्यकाल रविवार को सूर्योदय से दोपहर तक रहेगा| सूर्य की वृश्चिक संक्रांति के पुण्यकाल के दौरान नर्मदा नदी में स्नान का महत्व है । साथ ही दीपदान और वस्त्रदान का भी बड़ा ही महत्व है|
 
 
सूर्य की वृश्चिक संक्रांति एवं स्थिर योग और आर्द्रा नक्षत्र कि अब बात करते है इस दिन विभिन्न राशि वाले लोगों को कौन सा उपाय करने से क्या फल प्राप्त होंगे। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से। 
 
मेष राशि 
अगर आपकी जल्द ही शादी होने वाली है और आप अपना रूप-सौन्दर्य बनाये रखना चाहते हैं, तो आपको स्नान से पहले तिल का तेल या तिल का उबटन लगाना चाहिए और उसके कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए। साथ ही चौदह कन्याओं को कोई सौन्दर्य प्रसाधन गिफ्ट करना चाहिए । ऐसा करने से आपका रूप-सौन्दर्य बना रहेगा और शादी में आपके चेहरे पर एक अलग ही रौनक दिखेगी। वैसे तो मौजूदा ग्रह स्थिति के अनुसार ये उपाय मेष राशि वालों के लिये विशेष फलदायी है, लेकिन बाकी राशि वाले लोग भी इसका फायदा उठा सकते हैं। 
 
वृष राशि 
अगर आप आर्थिक रूप से अपनी उन्नति करना चाहते हैं, तो आपको तिल और गुड़ से बने चौदह लड्डूओं का मन्दिर में दान करना चाहिए । साथ ही खुद भी तिल के लड्डू खाने चाहिए । ऐसा करने से आर्थिक रूप से आपकी उन्नति ही उन्नति होगी । वैसे तो मौजूदा ग्रह स्थिति के अनुसार ये उपाय वृष राशि वालों के लिये विशेष फलदायी है, लेकिन बाकी राशि वाले लोग भी इसका फायदा उठा सकते हैं।
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