Tuesday, April 30, 2024
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खुदा की इबादत का महीना रमज़ान आज से शुरु, ध्यान रखें नियम

इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर ने ही यह आदेश दिया था कि रमजान अल्लाह का माह है और इसके पहले के माह से रोजा और इबादत शुरू कर रमजान में रोजा जरूर रखें। इससे अल्लाह खुश होकर हर रोजेदार की इबादत कबूल करता है। जानिए क्या है नियम और कैसे रखते है रोज़ा

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Published on: May 28, 2017 8:01 IST
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धर्म डेस्क: इस्लाम धर्म भी प्रेम और करुणा का संदेश देता है। इस्लाम में दो बड़े त्योहार हैं- ईद-उल-फ़ितर (जिसे मीठी ईद भी कहते हैं) और ईद-उल-ज़ुहा (जिसे बक़रीद भी कहते हैं)। ईद-उल-फ़ितर के ठीक एक महीने पहले मुसलमान एक महीने तक उपवास यानी रोज़े रखते हैं। इस्लाम में रमज़ान का महीना बहुत पवित्र माना जाता है।

इस्लाम धर्म की परंपराओं में रमजान माह का रोजा हर मुसलमान खासतौर पर युवा मुसलमान के लिए जरूरी फर्ज होता है। उसी तरह जैसे 5 बार की नमाज अदा करना जरूरी है। (भूलकर भी सोते समय न करें ये गलतियां, पड़ेगा खराब असर)

इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर ने ही यह आदेश दिया था कि रमजान अल्लाह का माह है और इसके पहले के माह से रोजा और इबादत शुरू कर रमजान में रोजा जरूर रखें। इससे अल्लाह खुश होकर हर रोजेदार की इबादत कबूल करता है। रमजान आज से यानी कि 28 मई, रविवार से शुरु हो रहे है। जो कि पूरे एक महीना तक चलेगे।

ध्यान रखें रमज़ान के ये नियम

कहा जाता है कि रमज़ान में रोज़ा रखने से इंसान और ख़ुदा के बीच दूरी कम होती है। रमज़ान के नियम बहुत कठिन होते हैं। (अगर आपके शरीर का ये अंग फड़का, तो समझो मिलने वाला है स्त्री सुख)

ख़ुदा की इबादत: रमज़ान में रोज़ा रखने के अलावा अल्लाह का नाम लिया जाता है और नमाज़ पढ़ी जाती है।

ग़लत कामों से दूरी: रमज़ान के महीने में ख़ासकर ग़लत कामों से दूर रहने की हिदायत दी गई है। नशा से दूर रहा जाता है और यहां तक कि ग़लत देखने, सुनने और बोलने की भी मनाही है।
मारपीट, हिंसा की मनाही: रमज़ान में किसी भी प्रकार की हिंसा को बहुत ग़लत माना जाता है। हिंसा में हाथ-पैर का इस्तेमाल रमज़ान के नियमों का उल्लंघन माना जाता है। लड़ाई देखना भी ग़लत माना जाता है।

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