Wednesday, April 24, 2024
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'गोडसे भक्त' पर कांग्रेस में घमासान, कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री आमने-सामने

मध्य प्रदेश की सियासत में हिंदू महासभा से नाता रखने वाले बाबू लाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के विरोध में पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने आवाज बुलंद की है।

IANS Reported by: IANS
Updated on: February 26, 2021 13:04 IST
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Image Source : ANI 'गोडसे भक्त' पर कांग्रेस में घमासान, कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री आमने सामने

भोपाल: मध्य प्रदेश की सियासत में हिंदू महासभा से नाता रखने वाले बाबू लाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के विरोध में पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने आवाज बुलंद की है। उनका कहना है कि वे गोडसे की पूजा करने वाले के कांग्रेस में प्रवेश का विरोध करेंगे चाहे इसके एवज में उन्हें किसी भी तरह का राजनीतिक नुकसान भले ही झेलना पड़े। ज्ञात हो कि दो दिन पहले कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ की मौजूदगी में बाबू लाल चौरसिया ने कांग्रेस की सदस्यता ली थी। इसका अरुण यादव ने कड़ा विरोध किया था। अब उन्होंने एक बयान जारी कर अपनी बात कही है।

यादव का कहना है कि, "मैं आरआरएस विचारधारा को लेकर लाभ हानि की चिंता किये बगैर जुबानी जंग नहीं, सड़कों पर लड़ता हूं। मेरी आवाज कांग्रेस और गांधी विचारधारा को समर्पित एक सच्चे कांग्रेस कार्यकर्ता की आवाज है। जिस संघ कार्यालय में कभी तिरंगा नहीं लगता है, वहां इंदौर के संघ कार्यालय (अर्चना) पर कार्यकर्ताओं के साथ जाकर मैंने तिरंगा फहराया था। देश के सारे बड़े नेता कहते हैं कि देश का पहला आतंकवादी नाथूराम गोडसे था। आज गोडसे की पूजा करने वाले की कांग्रेस में प्रवेश को लेकर वे सब खामोश क्यों है?"

अरुण यादव ने आगे कहा, "यदि यही स्थिति रही तो आतंकवाद से जुड़ी भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर, जिसने गोडसे को देशभक्त बताया है, जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि मैं प्रज्ञा ठाकुर को जिंदगी भर माफ नहीं कर सकता हूं, अगर वो भविष्य में कांग्रेस में प्रवेश करेगी तो क्या कांग्रेस उसे स्वीकार करेगी?"

यादव ने कमल नाथ के मुख्यमंत्रित्च कार्यकाल की चर्चा करते हुए बताया कि, "अपनी ही सरकार में कमल नाथ ने इन्हीं बाबूलाल चौरसिया और उनके सहयोगियों का ग्वालियर में गोडसे का मंदिर बनाने और पूजा करने के विरोध में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। इन स्थितियों में जब संघ और पूरी भाजपा एकजुट होकर महात्मा गाधी, पं नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल के चेहरे को षडयंत्रपूर्वक नई पीढ़ी के सामने भद्दा करने की कोशिश कर रही है, तब कांग्रेस की गांधीवादी विचारधारा को समर्पित एक सच्चे सिपाही के नाते मैं शांत नहीं बैठ सकता। यह मेरा वैचारिक संघर्ष किसी व्यक्ति के खिलाफ न होकर कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को समर्पित है। इसके लिए मैं हर राजनीतिक क्षति सहने को तैयार हूं।"

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