इंदौर की गुरदीप कौर बोल, सुन और देख नहीं सकतीं हैं। इसके बावजूद 34 साल की इस महिला ने अपने हौसले और पढ़ाई के प्रति जुनून के बूते 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करके इतिहास लिख दिया है। राज्य माध्यमिक शिक्षा मंडल के मंगलवार को घोषित नतीजों के अनुसार गुरदीप ने इस परीक्षा में 400 में से 207 अंक हासिल किए हैं। वह द्वितीय श्रेणी में पास हुई हैं।
12वीं में इन विषयों की दी परीक्षा
अधिकारियों ने कहा कि सूबे के शैक्षिक इतिहास में अपनी तरह की पहली छात्रा ने 12वीं में अंग्रेजी, भूगोल, राजनीति विज्ञान और ड्राइंग एंड डिजाइनिंग विषयों की परीक्षा दी थी। गुरदीप की विशेष स्थिति को देखते हुए उन्हें माध्यमिक शिक्षा मंडल के नियमों के मुताबिक परीक्षा के दौरान सहायक लेखक मुहैया कराया गया था।
सांकेतिक भाषा में करती है संवाद
शहर में दिव्यांगों के हित में काम करने वाली गैर सरकारी संस्था 'आनंद सर्विस सोसायटी' पढ़ाई में गुरदीप की पिछले कई सालों से मदद कर रही है। संस्था की निदेशक और सांकेतिक भाषा की जानकार मोनिका पुरोहित ने कहा कि गुरदीप किसी व्यक्ति के हाथों और उंगलियों को दबाकर उससे संकेतों की भाषा में संवाद करती हैं।
देहरादून से मंगवाई किताबें
मोनिका ने कहा, ‘हमें भी गुरदीप तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इसी सांकेतिक भाषा में उनके हाथों और अंगुलियों को दबाना होता है।’ उन्होंने कहा कि 12वीं कक्षा में गुरदीप को पढ़ाने के लिए देहरादून से ब्रेल लिपि वाली खास किताबें मंगवाई गई थीं।
घर में जश्न का माहौल
मोनिका ने कहा, ‘गुरदीप की उपलब्धि में खास बात यह भी है कि 12वीं की परीक्षा के दौरान जिस महिला लेखक ने उत्तरपुस्तिका में जवाब लिखने में गुरदीप की मदद की, वह खुद मूक-बधिर थी।’ तमाम शारीरिक बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए 12वीं उत्तीर्ण करने वाली गुरदीप के परिवार में जश्न का माहौल है।
कंप्यूटर सीखना चाहती हैं गुरदीप
परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद गुरदीप की छोटी बहन हरप्रीत ने अपनी बड़ी बहन से संकेतों की भाषा में बात की, तो 34 वर्षीय महिला ने कहा कि वह पढ़ाई के सिलसिले को कायम रखते हुए महाविद्यालय में दाखिला लेना चाहती हैं और कंप्यूटर चलाना भी सीखना चाहती हैं।
अब सरकारी नौकरी की है तलाश
हरप्रीत ने कहा कि गुरदीप अपनी पढ़ाई के साथ ही दिव्यांग कोटा के तहत चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए सरकारी नौकरी की तलाश कर रही हैं। उन्होंने कहा, 'हमारा परिवार भी चाहता है कि गुरदीप को सरकारी नौकरी मिल जाए ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके।' (भाषा के इनपुट के साथ)