Monday, April 29, 2024
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मध्य प्रदेश में अचानक क्यों बढ़ी झाबुआ के 'कड़कनाथ' मुर्गे की मांग? दाम सुन हो जाएंगे हैरान

झाबुआ मूल के कड़कनाथ मुर्गे को स्थानीय जुबान में "कालामासी" कहा जाता है। इसकी त्वचा और पंखों से लेकर मांस तक का रंग काला होता है। कड़कनाथ प्रजाति के जीवित पक्षी, इसके अंडे और इसका मांस दूसरी मुर्गा प्रजातियों के मुकाबले महंगी दरों पर बिकता है।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: November 10, 2023 12:30 IST
kadaknath murga- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO कड़कनाथ मुर्गे के दाम में तेजी से हो रही बढ़ोतरी

झाबुआ: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के तहत 17 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले झाबुआ के कड़कनाथ (Kadaknath) मुर्गे की मांग बढ़ने के साथ ही इसके दामों में इजाफा दर्ज किया गया है। काले रंग के पौष्टिक मांस के लिए मशहूर इस मुर्गा प्रजाति को जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स (GI) का तमगा हासिल है। झाबुआ के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिक डॉ. चंदन कुमार ने बताया,‘‘ठंड के मौसम की शुरुआत हो गई है और चुनावों का भी समय है। ऐसे में कड़कनाथ की मांग 30 से 40 प्रतिशत बढ़ गई है।’’ उन्होंने बताया कि देश भर के पोल्ट्री फार्म संचालक कड़कनाथ मुर्गे की शुद्ध नस्ल के चूजों के लिए झाबुआ का रुख करते हैं।

चुनाव में रहती है ज्यादा डिमांड

इस नस्ल की शुद्धता बचाने की दिशा में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘‘सारा सेवा संस्थान समिति’’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुधांशु शेखर ने बताया कि उनकी संस्था के चलाए जाने वाले दो किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के पोल्ट्री फार्म में चुनावों के दौरान कारोबार बढ़ गया है। उन्होंने बताया, ‘‘चुनावों के दौरान मांग में उछाल से कड़कनाथ के एक वयस्क मुर्गे का दाम बढ़कर 1,200 से 2,000 रुपये के बीच पहुंच गया है जो पहले 800 से 1,200 रुपये के बीच बिक रहा था। मांग बढ़ने के कारण हमें इसकी आपूर्ति तेज करनी पड़ी है।’’

काला होता है पंखों से लेकर मांस तक का रंग

झाबुआ में भील आदिवासियों की बड़ी आबादी रहती है जहां मुर्गा आहार और अर्थव्यवस्था का अविभाज्य अंग है। आदिवासी समुदाय में देवी-देवताओं और पुरखों के लिए किए जाने वाले अलग-अलग अनुष्ठानों में मुर्गे की बलि का रिवाज है। झाबुआ मूल के कड़कनाथ मुर्गे को स्थानीय जुबान में "कालामासी" कहा जाता है। इसकी त्वचा और पंखों से लेकर मांस तक का रंग काला होता है। कड़कनाथ प्रजाति के जीवित पक्षी, इसके अंडे और इसका मांस दूसरी मुर्गा प्रजातियों के मुकाबले महंगी दरों पर बिकता है।

इस मुर्गे के सेवन से बढ़ती है इम्यूनिटी

जानकारों ने बताया कि दूसरी मुर्गा प्रजातियों के चिकन के मुकाबले कड़कनाथ के काले रंग के मांस में चर्बी और कोलेस्ट्रॉल काफी कम होता है, जबकि इसमें प्रोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा होती है। कड़कनाथ का रंग इसलिए काला होता है, क्योंकि इसमें अतिरिक्त आयरन और मेलोनिन पाया जाता है। कड़कनाथ मुर्गे के सेवन से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है। देश की जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स रजिस्ट्री ने वर्ष 2018 में "मांस उत्पाद तथा पोल्ट्री एवं पोल्ट्री मांस" की श्रेणी में कड़कनाथ चिकन के नाम भौगोलिक पहचान (GI) का चिन्ह पंजीकृत किया था।

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