Friday, May 03, 2024
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"सत्ता और अमित शाह के साथ जाने के बजाय पिता के साथ संघर्ष का रास्ता चुना," NCP टूट पर बोलीं सुप्रिया सुले

NCP की कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद सुप्रिया सुले ने कहा है कि उनके पास विकल्प था कि वह सत्ता और संघर्ष में से कोई एक चुनें और उन्होंने संघर्ष को चुना। सुले ने ये बात जुलाई में पार्टी में हुई दो फाड़ का जिक्र करते हुए कहा।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: December 29, 2023 8:40 IST
sharad pawar supriya sule- India TV Hindi
Image Source : PTI संसद के विशेष सत्र के दौरान एनसीपी सांसद शरद पवार और सुप्रिया सुले

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की कार्यकारी अध्यक्ष और बारामती से लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने गुरुवार को कहा कि उनके सामने सत्ता और संघर्ष के दो विकल्प थे और उन्होंने संघर्ष का चयन किया। सुप्रिया ने ये बात कुछ महीने पहले एनसीपी में हुई दो फाड़ के बारे में बात करते हुए कहा। सुले ने इंदापुर में एक सार्वजनिक बैठक में कहा, ‘‘मेरे पास दो विकल्प थे- सत्ता और संघर्ष। संघर्ष के पक्ष में मेरे पिता थे और सत्ता के पक्ष में (केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता) अमित शाह थे। मुझे सत्ता और संघर्ष के बीच चयन करना था। मैंने संघर्ष का चयन किया।’’ 

"उसे मत भूलिए जिसने आपको जन्म दिया"

सुप्रिया सुले ने इस साल 2 जुलाई को हुई एनसीपी में विभाजन का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा, ‘‘उस व्यक्ति को मत भूलिए जिसने आपको जन्म दिया है। किसी न किसी को तो सच कहना ही होगा। अगर हम सब डर गए तो देश में कोई लोकतंत्र नहीं रहेगा। आज हमारे साथ तोड़फोड़ की गई। कल आपका भी यही हश्र होगा।’’ बता दें कि अजित पवार और आठ विधायक एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए, जबकि सुले और कई अन्य ने पार्टी संस्थापक शरद पवार के साथ रहना स्वीकार किया। 

10 महीने तक बारामती में रहेंगी

सुले ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार को सूचित कर दिया है कि वह अगले 10 महीने तक बारामती में रहेंगी और मुंबई नहीं आएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने पति और बच्चों से कहा कि मैं अक्टूबर तक बारामती में रहूंगी। मैंने उनसे कहा कि मैं मुंबई नहीं आऊंगी और उनसे अपना ध्यान रखने के लिए कहा है।’’

सुप्रिया ने किया 'किसान आक्रोश मोर्चा' का आगाज

गौरतलब है कि महाविकास अघाड़ी द्वारा 'किसान आक्रोश मोर्चा' का 27 दिसंबर से महाराष्ट्र के जुन्नर से आगाज हो चुका है। इसका सांसद डॉ अमोल कोल्हे और सुप्रिया सुले नेतृत्व कर रहे हैं। इसका समापन पुणे कलेक्टर कार्यालय में प्रमुख नेताओं की बैठक के साथ होगा। दरअसल, सांसद सुप्रिया सुले और सांसद डॉ अमोल कोल्हे को किसानों के मुद्दे पर आवाज उठाने के बाद संसद से सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद सांसद डॉ कोल्हे और सुप्रिया सुले ने 'किसान आक्रोश मोर्चा' आयोजित करने का फैसला किया था। 

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