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नागपुर में मोहन भागवत का बयान, कहा- 'हनुमान हमारे पौराणिक आदर्श, शिवाजी आधुनिक आदर्श'

मोहन भागवत ने कहा कि शिवाजी कि एक के बाद एक वीर गाथाएं सामने आईं। उन्होंने भारत की लगातार पराजय के युग को बदल दिया और सब कुछ बदल दिया और आगे का रास्ता दिखाया।

Reported By : Yogendra Tiwari Edited By : Shakti Singh Published : Apr 03, 2025 08:52 am IST, Updated : Apr 03, 2025 10:22 am IST
Mohan Bhagwat- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार (2 अप्रैल) को नागपुर में कहा कि हमारे लिए हनुमान पौराणिक युग के आदर्श हैं और शिवाजी महाराज आधुनिक युग के आदर्श हैं। भागवत नागपुर में 'युगांधर शिवराय' नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे।

भागवत ने कहा कि राजा अलेक्जेंडर के समय से शुरू हुए आक्रमण और इस्लाम के नाम पर हुए आक्रमण ने सब कुछ नष्ट कर दिया। तब अनेकों प्रयत्नों के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला, परन्तु शिवाजी महाराज ने समाधान दिया, एक के बाद एक वीर गाथाएं सामने आईं। 

शिवाजी ने पराजय के युग को बदला

भागवत ने आगे कहा कि आरएसएस का काम व्यक्ति-आधारित नहीं है बल्कि शिवाजी महाराज हमेशा भारत के लिए प्रेरणा रहे हैं। शिवाजी महाराज ने दक्षिण पर विजय प्राप्त की, लेकिन उन्हें उत्तर की ओर बढ़ने का समय नहीं मिला। उन्होंने भारत की लगातार पराजय के युग को बदल दिया और सब कुछ बदल दिया और आगे का रास्ता दिखाया। भागवत ने कहा कि भारत में हार का सिलसिला सिंकदर के हमले से शुरू हुआ और देश में इस्लाम फैलाने के नाम पर होने वाले हमलों तक जारी रहा। इसके बाद 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य स्थापित हुआ और शिवाजी इस समस्या का समाधान लेकर आए। विजयनगर साम्राज्य और राजस्थान के राजा के पास भी इसका समाधान नहीं था, लेकिन शिवाजी महाराज ने इस समस्या को खत्म किया।

शिवाजी महाराज आधुनिक युग के आदर्श

भागवत ने कहा कि डॉ. हेडगेवार (आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार), गुरुजी (द्वितीय सरसंघचालक एमबी गोलवलकर) और देवरस (तृतीय सरसंघचालक एमडी देवरस) ने कहा था कि हनुमान हमारे लिए पौराणिक युग के आदर्श हैं और शिवाजी महाराज आधुनिक युग के आदर्श हैं। वे 250 वर्ष पहले, उसके बाद और आज भी आदर्श हैं।

शिवाजी महाराज आज भी प्रासंगिक

भागवत ने कहा कि शिवाजी महाराज आज भी प्रासंगिक हैं और हम सभी व्यक्तियों और राष्ट्र के लिए उनका अनुसरण करने का एक उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के एक अभिनेता ने शिवाजी पर बनी फिल्म में काम किया। इस फिल्म के बाद उनका नाम गणेशन से बदलकर शिवाजी गणेशन हो गया।

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