
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान की सेनाएं आमने-सामने थीं। इस दौरान किसी भी देश की सेना ने बॉर्डर पार नहीं किया, लेकिन एक-दूसरे पर जमकर हवाई हमले किए थे। आतंकवाद के खिलाफ भारत की इस लड़ाई को पाकिस्तान ने भले ही अपना बना लिया था, लेकिन दुनिया के अधिकतर देशों ने भारत का समर्थन किया था। हालांकि, तुर्की और अजरबैजान ने इस दौरान खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया। दोनों देशों ने अपने हथियार पाकिस्तान को दिए थे, जिनकी मदद से पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की।
भारतीय डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के सभी हमलों को नाकाम कर दिया, लेकिन इस संघर्ष के दौरान तुर्की और अजरबैजान का असली चेहरा सामने आ गया। भूकंप से तबाह तुर्की की मदद के लिए भारत ने सहायता भेजी थी, लेकिन अब भारत में तुर्की और अजरबैजान का जमकर विरोध हो रहा है। इसी कड़ी में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने दोनों देशों के 23 विश्वविद्यालयों के साथ अपने रिश्ते खत्म कर लिए हैं।
कुलाधिपति का बयान
राज्यसभा सांसद और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सतनाम सिंह संधू ने शनिवार को कहा कि राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हुए चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने 23 तुर्की और अजरबैजानी विश्वविद्यालयों के साथ अपने शैक्षणिक सहयोग को समाप्त कर दिया है। इस निर्णय की घोषणा करते हुए, संधू ने कहा, "चंडीगढ़ विश्वविद्यालय का दृष्टिकोण हमेशा राष्ट्र प्रथम की भावना के अनुरूप रहा है और उस दृष्टिकोण के अनुरूप, हमने तुर्की और अजरबैजान के साथ अपने सभी शैक्षणिक संबंधों को समाप्त करने का निर्णय लिया है। जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो हमारे लिए इससे अधिक महत्वपूर्ण कुछ नहीं है, और जब भारत की अखंडता और संप्रभुता की बात आती है तो हम किसी भी चीज से समझौता नहीं करेंगे।"
संधू ने कहा, "जैसा कि हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आतंकवाद के अपराधियों और उनकी मदद करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय आतंकवाद और इसे प्रायोजित करने वालों के खिलाफ लड़ाई में पूरे देश के साथ एकजुट है। हम उन देशों के साथ संबंध जारी नहीं रख सकते जो हमारे निर्दोष नागरिकों और भारतीय सशस्त्र बलों के सैनिकों की जान लेने के लिए जिम्मेदार हैं।" (इनपुट- पीटीआई)