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Rajasthan Cabinet Expansion: पंजाब के बाद राजस्थान कांग्रेस में हलचल तेज, वेणुगोपाल व माकन पहुंचे जयपुर

कांग्रेस की पंजाब इकाई का विवाद सुलझने के बाद अब राजस्थान कांग्रेस में हलचल तेज हो रही है और पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल व राजस्थान प्रभारी अजय माकन शनिवार रात जयपुर पहुंचे।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Jul 24, 2021 11:33 pm IST, Updated : Jul 24, 2021 11:33 pm IST
पंजाब के बाद राजस्थान कांग्रेस में हलचल तेज, वेणुगोपाल व माकन पहुंचे जयपुर - India TV Hindi
Image Source : PTI FILE PHOTO पंजाब के बाद राजस्थान कांग्रेस में हलचल तेज, वेणुगोपाल व माकन पहुंचे जयपुर 

नयी दिल्ली/जयपुर। कांग्रेस की पंजाब इकाई का विवाद सुलझने के बाद अब राजस्थान कांग्रेस में हलचल तेज हो रही है और पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल व राजस्थान प्रभारी अजय माकन शनिवार रात जयपुर पहुंचे। राज्य में अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में विस्तार व फेरबदल होना है तथा हजारों की संख्या में राजनीतिक नियुक्तियां की जानी हैं। वेणुगोपाल व माकन शनिवार रात सड़क मार्ग से जयपुर पहुंचे और सीधे मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचे। 

इससे पहले पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल में फेरबदल व विस्तार की अटकलों के बीच कांग्रेस के दोनों वरिष्ठ नेता राजस्थान पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि अजय माकन व वेणुगोपाल की गहलोत से मुलाकात के बाद राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की राह साफ हो सकती है। पहले यह कहा जा रहा था कि सारी कवायद को अंतिम रूप देने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत दिल्ली आएंगे। लेकिन जयपुर में मुख्यमंत्री कार्यालय सूत्रों ने शनिवार को कहा, ‘‘फिलहाल गहलोत का दिल्ली जाने का कोई कार्यक्रम नहीं है। कम से एक दो दिन वह कहीं नहीं जा रहे।’’ 

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पंजाब के मसले के समाधान के बाद अब सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी का पूरा फोकस राजस्थान को लेकर है और पार्टी आलाकमान की ओर से माकन से कहा गया है कि राजस्थान के सियासी मसले का समाधान जुलाई में ही हो जाना चाहिए। मौजूदा हिसाब से राजस्थान की गहलोत सरकार में नौ और मंत्री बनाए जा सकते हैं। पिछले साल तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट व 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बागी रुख अपनाया था। तब पायलट, विश्वेंद्र सिंह व रमेश मीणा को मंत्री पद से हटा दिया गया था। 

जयपुर में राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि अब मंत्रिमंडल विस्तार में पार्टी को पायलट ग्रुप के साथ साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से कांग्रेस में आए छह विधायकों व पार्टी का समर्थन कर रहे निर्दलियों को भी ध्यान रखना होगा। ऐसा माना जा रहा है मंत्री पद से वंचित रहने वालों को संसदीय सचिव, विभिन्न निगम बोर्डों का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। 

वहीं राज्य में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों के पद भी लंबे समय से रिक्त हैं। राजस्थान में जिला स्तर पर विभिन्न निगमों व बोर्ड में लगभग 30 हजार राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं जो किसी न किसी कारण से लगातार टल रही हैं। जिला स्तर पर राजनीतिक नियुक्तियों के लिए इस साल 9-10 फरवरी तक नाम मांगे गए थे। तब कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने कहा था, 'हम लोगों की कोशिश रहेगी कि जिला स्तर पर जो बोर्ड व निगम हैं जहां लगभग 25 से 30 हजार राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं, इसकी कार्रवाई हम फरवरी के पहले पखवाड़े में पूरा कर लें।' लेकिन उसके बाद विधानसभा का बजट सत्र व विधानसभा की तीन सीटों पर उपचुनाव के चलते मामला टल गया। 

फिर लॉकडाउन के कारण राजनीतिक गतिविधियां ठप रहीं। वहीं, इन्हीं दिनों में राज्य के स्वायत्त शासन विभाग ने राजनीतिक नियुक्तियों के तहत 155 नगर निकायों में 850 से अधिक पार्षद मनोनीत किए हैं। हालांकि यह महज शुरूआत मानी जा रही है और बहुत से महत्वपूर्ण बोर्ड/ निगमों पर नियुक्तियां होनी हैं। राजस्थान की मौजूदा अशोक गहलोत सरकार दिसंबर 2018 में सत्ता में आई थी और अपना लगभग आधा कार्यकाल पूरा कर चुकी है।

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