Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन के गूढ़ रहस्य के बारे में बताया है। आचार्य चाणक्य की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितने उनके दौर में थी। उन्होंने मनुष्य के व्यवहार से लेकर राजनीति, आर्थिक पक्ष और धर्म पर भी अपना ज्ञान दिया है। उनकी बताई बातें आज भी हमारे काम आ सकती है। नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने यह भी बताया है कि व्यक्ति को जीवन में किन चीजों को जरूर प्राप्त करना चाहिए। आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में।
आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र का श्लोक
धर्मार्थकाममोश्रेषु यस्यैकोऽपि न विद्यते।
जन्म जन्मानि मर्त्येषु मरणं तस्य केवलम्।।
अर्थ- आचार्य चाणक्य ने अपने इस श्लोक में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को जीवन के प्रमुख लक्ष्यों के रूप में बताया है। आचार्य चाणक्य के अनुसार इन चार लक्ष्यों में से जिस व्यक्ति को कोई एक भी प्राप्त न हो उसका जीवन निरर्थक होता है। ऐसा व्यक्ति जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त करता है। यानि उसके मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। ऐसा व्यक्ति केवल मरहने के लिए ही जन्म लेता है।
इस श्लोक के जरिए आचार्य चाणक्य हमें यह बताने की कोशिश करते हैं कि हमको जीवन में धर्म यानि अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। अर्थ यानि हमको जीवन में पर्याप्त मात्रा में धन प्राप्त करना चाहिए। काम यानि भोग और अपनी इच्छाओं की पूर्ति हमें करनी चाहिए। मोक्ष यानि हमें ऐसे कर्म करने चाहिए कि अंत समय में हमें परम धाम की प्राप्ति हो। आचार्य चाणक्य के अनुसार इन 4 में से यदि कोई व्यक्ति किसी एक को भी प्राप्त न कर सके तो उसका जीवन किसी अर्थ का नहीं होता और वो मृत्यु लोक में केवल मृत्यु को प्राप्त करने के लिए ही पैदा होता है।
कुल मिलाकर आचार्य चाणक्य हमें इस श्लोक के जरिए यह बताने की कोशिश करना चाहते हैं कि हमें अपने कर्मों के जरिये धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं करते तो मनुष्य जीवन का कोई भी अर्थ नहीं है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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