महाकुंभ अब अपने समापन की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अब तक 62 करोड़ से अधिक श्रद्धालु महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं और यह संख्या अभी भी लगातार बढ़ रही है। उम्मीद की जा रही है कि यह संख्या महाकुंभ के आखिरी स्नान तक 65 करोड़ पार कर लेगी। जानकारी दे दें कि महाकुंभ का आखिरी बड़ा स्नान फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ रहा है, यानी कि 26 फरवरी को महाकुंभ का आखिरी स्नान है। ऐसे में जो श्रद्धालु स्नान के लिए जा रहे हैं वे विधि पूर्वक स्नान करें। ऐसे में आइए जानते हैं कि श्रद्धालुओं का किन बातों को ध्यान में रखना है?
क्या है सही विधि?
महाकुंभ में अगर श्रद्धालु स्नान करने जा रहे हैं तो उन्हें स्नान की सही विधि जरूर जान लेनी चाहिए। हिंदू धर्म में स्नान को जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा माना गया है, वहीं गंगा स्नान को बेहद महत्वपूर्ण कहा गया है। पर श्रद्धालु जाने-अनजाने स्नान के नियमों की अवहेलना कर रहे हैं।
शास्त्रों की मानें तो स्नान केवल शरीर को ही नहीं धुलता बल्कि मन को भी शांत करता है। मनु स्मृति में स्नान को शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए जरूरी माना है। मनु स्मृति में कहा गया गया कि ‘स्नानमूलाः क्रियाः सर्वाः श्रुतिस्मृत्युदिता नृणाम्। तस्मात् स्नानं निषेवेत श्रीपुष्ट्यारोग्यवर्धनम्॥’ यानी शरीर की पुष्टि और आरोग्य की चाह रखने वाले जातक को नियमित स्नान करना ही चाहिए। इसी में आगे कहा गया कि ‘नित्यं स्नात्वा शुचिः कुर्याद्देवर्षिपितृतर्पणम्।’ अर्थात स्नान के बाद ही आप संध्यावंदन, तर्पण आदि का काम कर सकते हैं।
गंगा स्नान के लिए जातक को अपने घर से स्नान करके जाना चाहिए क्योंकि कहा गया कि गंगा में मन का मैल धोना चाहिए, शरीर का नहीं। साथ ही श्रद्धालु संगम की पवित्र नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती का ध्यान करते हुए पवित्र जल में प्रवेश करें और 3 बार डुबकी जरूर लगाएं। कहा जाता है कि इस दौरान गंगा मंत्र उच्चारित करना बेहद शुभ रहता है।
गंगा मंत्र- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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