Wednesday, December 24, 2025
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Ganesh Ji Ki Aarti, Jai Ganesh Deva Live: जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा, एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी...देखें गणेश जी की आरती के लिरिक्स

Shri Ganesh Ji Ki Aarti, Jai Ganesh Deva (जय गणेश आरती) Live Update: आज यानी 6 सितंबर 2025 को गणेश उत्सव के भव्य त्योहार का समापन हो जाएगा। ऐसे में इस दिन गणेश विसर्जन से पहले बप्पा की विधि विधान पूजा करके उनकी आरती करना बिल्कुल भी न भूलें। यहां आप देखेंगे गणेश जी की आरती के लिरिक्स लिखित में।

Written By: Laveena Sharma @laveena1693
Published : Sep 06, 2025 06:32 am IST, Updated : Sep 06, 2025 02:52 pm IST
Ganesh ji ki aarti lyrics- India TV Hindi
Image Source : CANVA जय गणेश जय गणेश देवा आरती

Shri Ganesh Ji Ki Aarti, Jai Ganesh Deva (जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा) Live Update: आज अनंत चतुर्दशी पर बप्पा की विदाई की जाती है जिसे गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। जिस तरह से गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा का आगमन धूमधाम से किया जाता है ठीक वैसे ही गणेश विसर्जन के दिन उनकी विदाई भी बड़े ही धूमधाम से की जाती है। इस साल गणेश विसर्जन का आखिरी दिन 6 सितंबर 2025 को मनाया जा रहा है। इस दिन ढोल नगाड़ों के साथ झांकियां निकालकर बप्पा को स-सम्मान किसी पवित्र जलाशय या नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। लेकिन बप्पा की विदाई से पहले सपरिवार उनकी आरती की जाती है। यहां जानिए गणेश विसर्जन के दिन गणेश भगवान की कौन-कौन सी आरती करनी चाहिए।

गणेशजी की आरती (Ganeshji Ki Aarti Lyrics)

ganpati ji ki aarti

Image Source : CANVA
गणपति जी की आरती

  • जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
  • माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
  • एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
  • माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
  • माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
  • पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
  • लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
  • जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
  • माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
  • अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
  • बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
  • जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
  • माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
  • ‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
  • माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
  • जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
  • माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
  • दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
  • कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
  • जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
  • माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
  • भगवान गणेश की जय, पार्वती के लल्ला की जय

स‍िंदूर लाल चढ़ायो गणेश आरती (Sindoor Lal Chadhayo Aarti Lyrics in hindi)

ganesh aarti likhit

Image Source : CANVA
गणेश जी की आरती हिंदी में

  • स‍िंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
  • दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको। 
  • हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
  • महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको 
  • जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
  • धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
  • अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
  • विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
  • कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
  • गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि 
  • जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
  • धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥ 
  • भावभगत से कोई शरणागत आवे।
  • संतत संपत सबही भरपूर पावे।
  • ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
  • गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे
  • जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
  • धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा आरती (Ganpati Ki Seva Mangal Meva Aarti)

ganpati ji ki aarti

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गणपति जी की आरती

  • गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न टरैं।
  • तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥
  • रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें, अरु आनन्द सों चमर करैं।
  • धूप-दीप अरू लिए आरती भक्त खड़े जयकार करैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥
  • गुड़ के मोदक भोग लगत हैं मूषक वाहन चढ्या सरैं।
  • सौम्य रूप को देख गणपति के विघ्न भाग जा दूर परैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥
  • भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थी दिन दोपारा दूर परैं।
  • लियो जन्म गणपति प्रभु जी दुर्गा मन आनन्द भरैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥
  • अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का देव बंधु सब गान करैं।
  • श्री शंकर के आनन्द उपज्या नाम सुन्यो सब विघ्न टरैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥
  • आनि विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करैं।
  • देख वेद ब्रह्मा जी जाको विघ्न विनाशक नाम धरैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥
  • एकदन्त गजवदन विनायक त्रिनयन रूप अनूप धरैं।
  • पगथंभा सा उदर पुष्ट है देव चन्द्रमा हास्य करैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥
  • दे शराप श्री चन्द्रदेव को कलाहीन तत्काल करैं।
  • चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज्य करैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥
  • उठि प्रभात जप करैं ध्यान कोई ताके कारज सर्व सरैं
  • पूजा काल आरती गावैं। ताके शिर यश छत्र फिरैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥
  • गणपति की पूजा पहले करने से काम सभी निर्विघ्न सरैं।
  • सभी भक्त गणपति जी के हाथ जोड़कर स्तुति करैं॥
  • गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

Ganesh Ji Ki Aarti Pdf Download

Shri Ganesh Ji Ki Aarti, Jai Ganesh Deva Live

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  • 11:36 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Lalbaugcha Raja pandal, on Ananta Chaturdashi

  • 10:21 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Shri Ganesh Chalisa Lyrics: श्री गणेश चालीसा

    दोहा

    जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
    विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

    चौपाई

    जय जय जय गणपति गणराजू।
    मंगल भरण करण शुभः काजू॥

    जै गजबदन सदन सुखदाता।
    विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥

    वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना।
    तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

    राजत मणि मुक्तन उर माला।
    स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

    पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
    मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

    सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
    चरण पादुका मुनि मन राजित॥

    धनि शिव सुवन षडानन भ्राता।
    गौरी लालन विश्व-विख्याता॥

    ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।
    मुषक वाहन सोहत द्वारे॥

    कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
    अति शुची पावन मंगलकारी॥

    एक समय गिरिराज कुमारी।
    पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

    भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
    तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥

    अतिथि जानी के गौरी सुखारी।
    बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

    अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा।
    मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

    मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
    बिना गर्भ धारण यहि काला॥

    गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
    पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

    अस कही अन्तर्धान रूप हवै।
    पालना पर बालक स्वरूप हवै॥

    बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।
    लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥

    सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
    नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

    शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं।
    सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥

    लखि अति आनन्द मंगल साजा।
    देखन भी आये शनि राजा॥20॥

    निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
    बालक, देखन चाहत नाहीं॥

    गिरिजा कछु मन भेद बढायो।
    उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥

    कहत लगे शनि, मन सकुचाई।
    का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥

    नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
    शनि सों बालक देखन कहयऊ॥

    पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।
    बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥

    गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी।
    सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥

    हाहाकार मच्यौ कैलाशा।
    शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥

    तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
    काटी चक्र सो गज सिर लाये॥

    बालक के धड़ ऊपर धारयो।
    प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥

    नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
    प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥

    बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
    पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥

    चले षडानन, भरमि भुलाई।
    रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

    चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
    तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

    धनि गणेश कही शिव हिये हरषे।
    नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

    तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
    शेष सहसमुख सके न गाई॥

    मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
    करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥

    भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
    जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥

    अब प्रभु दया दीना पर कीजै।
    अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

    दोहा

    श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
    नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥

    सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
    पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश॥

  • 9:51 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Vishnu Ji Ki Aarti: विष्णु भगवान की आरती

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
    भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे ॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

    जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का ।
    सुख-सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

    मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी ।
    तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

    तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
    पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

    तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता ।
    मैं मूरख फलकामी, कृपा करो भर्ता ॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति ।
    किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

    दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, तुम ठाकुर मेरे ।
    अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

    विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।
    श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

    तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
    तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

    श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
    कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

    ॐ जय जगदीश हरे ॥

  • 8:58 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    गणेश जी की आरती कैसे करते हैं?

    गणेश जी की आरती पूर्व दिशा की तरफ मुख करके करनी चाहिए। आरती से पहले भगवान की प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं फिर सच्चे मन से गणेश जी की आरती करें। इससे आपके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।

  • 8:21 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    स‍िंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको। दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको...

  • 7:47 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Ganesh Visarjan Aarti: गणेश जी की आरती

    आज गणेश विसर्जन के दिन भगवान गणेश की आरती करना बिल्कुल भी न भूलें। इस आरती को गाकर बप्पा की विदाई करें और उनसें अगले साल फिर से आने की प्रार्थना करें।

  • 7:25 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    गणेश विसर्जन के दौरान इन दो मंत्रों का जरूर करें जाप

    • ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
    • ॐ मोदाय नम:
  • 6:48 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Ganesh Ji Ke 108 Naam: गणेश जी के 108 नाम

    1. गजानन: ॐ गजाननाय नमः।
    2. गणाध्यक्ष: ॐ गणाध्यक्षाय नमः।
    3. विघ्नराज: ॐ विघ्नराजाय नमः।
    4. विनायक: ॐ विनायकाय नमः।
    5. द्वैमातुर: ॐ द्वैमातुराय नमः।
    6. द्विमुख: ॐ द्विमुखाय नमः।
    7. प्रमुख: ॐ प्रमुखाय नमः।
    8. सुमुख: ॐ सुमुखाय नमः।
    9. कृति: ॐ कृतिने नमः।
    10. सुप्रदीप: ॐ सुप्रदीपाय नमः।
    11. सुखनिधी: ॐ सुखनिधये नमः।
    12. सुराध्यक्ष: ॐ सुराध्यक्षाय नमः।
    13. सुरारिघ्न: ॐ सुरारिघ्नाय नमः।
    14. महागणपति: ॐ महागणपतये नमः।
    15. मान्या: ॐ मान्याय नमः।
    16. महाकाल: ॐ महाकालाय नमः।
    17. महाबला: ॐ महाबलाय नमः।
    18. हेरम्ब: ॐ हेरम्बाय नमः।
    19. लम्बजठर: ॐ लम्बजठरायै नमः।
    20. ह्रस्वग्रीव: ॐ ह्रस्व ग्रीवाय नमः।
    21. महोदरा: ॐ महोदराय नमः।
    22. मदोत्कट: ॐ मदोत्कटाय नमः।
    23. महावीर: ॐ महावीराय नमः।
    24. मन्त्रिणे: ॐ मन्त्रिणे नमः।
    25. मङ्गल स्वरा: ॐ मङ्गल स्वराय नमः।
    26. प्रमधा: ॐ प्रमधाय नमः।
    27. प्रथम: ॐ प्रथमाय नमः।
    28. प्रज्ञा: ॐ प्राज्ञाय नमः।
    29. विघ्नकर्ता: ॐ विघ्नकर्त्रे नमः।
    30. विघ्नहर्ता: ॐ विघ्नहर्त्रे नमः।
    31. विश्वनेत्र: ॐ विश्वनेत्रे नमः।
    32. विराट्पति: ॐ विराट्पतये नमः।
    33. श्रीपति: ॐ श्रीपतये नमः।
    34. वाक्पति: ॐ वाक्पतये नमः।
    35. शृङ्गारिण: ॐ शृङ्गारिणे नमः।
    36. अश्रितवत्सल: ॐ अश्रितवत्सलाय नमः।
    37. शिवप्रिय: ॐ शिवप्रियाय नमः।
    38. शीघ्रकारिण: ॐ शीघ्रकारिणे नमः।
    39. शाश्वत: ॐ शाश्वताय नमः।
    40. बल: ॐ बल नमः।
    41. बलोत्थिताय: ॐ बलोत्थिताय नमः।
    42. भवात्मजाय: ॐ भवात्मजाय नमः।
    43. पुराण पुरुष: ॐ पुराण पुरुषाय नमः।
    44. पूष्णे: ॐ पूष्णे नमः।
    45. पुष्करोत्षिप्त वारिणे: ॐ पुष्करोत्षिप्त वारिणे नमः।
    46. अग्रगण्याय: ॐ अग्रगण्याय नमः।
    47. अग्रपूज्याय: ॐ अग्रपूज्याय नमः।
    48. अग्रगामिने: ॐ अग्रगामिने नमः।
    49. मन्त्रकृते: ॐ मन्त्रकृते नमः।
    50. चामीकरप्रभाय: ॐ चामीकरप्रभाय नमः।
    51. सर्वाय: ॐ सर्वाय नमः।
    52. सर्वोपास्याय: ॐ सर्वोपास्याय नमः।
    53. सर्व कर्त्रे: ॐ सर्व कर्त्रे नमः।
    54. सर्वनेत्रे: ॐ सर्वनेत्रे नमः।
    55. सर्वसिद्धिप्रदाय: ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः।
    56. सिद्धये: ॐ सिद्धये नमः।
    57. पञ्चहस्ताय: ॐ पञ्चहस्ताय नमः।
    58. पार्वतीनन्दनाय: ॐ पार्वतीनन्दनाय नमः।
    59. प्रभवे: ॐ प्रभवे नमः।
    60. कुमारगुरवे: ॐ कुमारगुरवे नमः।
    61. अक्षोभ्याय: ॐ अक्षोभ्याय नमः।
    62. कुञ्जरासुर भञ्जनाय: ॐ कुञ्जरासुर भञ्जनाय नमः।
    63. प्रमोदाय: ॐ प्रमोदाय नमः।
    64. मोदकप्रियाय: ॐ मोदकप्रियाय नमः।
    65. कान्तिमते: ॐ कान्तिमते नमः।
    66. धृतिमते: ॐ धृतिमते नमः।
    67. कामिने: ॐ कामिने नमः।
    68. कपित्थपनसप्रियाय: ॐ कपित्थपनसप्रियाय नमः।
    69. ब्रह्मचारिणे: ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।
    70. ब्रह्मरूपिणे: ॐ ब्रह्मरूपिणे नमः।
    71. ब्रह्मविद्यादि दानभुवे: ॐ ब्रह्मविद्यादि दानभुवे नमः।
    72. जिष्णवे: ॐ जिष्णवे नमः।
    73. विष्णुप्रियाय: ॐ विष्णुप्रियाय नमः।
    74. भक्त जीविताय: ॐ भक्त जीविताय नमः।
    75. जितमन्मधाय: ॐ जितमन्मधाय नमः।
    76. ऐश्वर्यकारणाय: ॐ ऐश्वर्यकारणाय नमः।
    77. ज्यायसे: ॐ ज्यायसे नमः।
    78. यक्षकिन्नेर सेविताय: ॐ यक्षकिन्नेर सेविताय नमः।
    79. गङ्गा सुताय: ॐ गङ्गा सुताय नमः।
    80. गणाधीशाय: ॐ गणाधीशाय नमः।
    81. गम्भीर निनदाय: ॐ गम्भीर निनदाय नमः।
    82. वटवे: ॐ वटवे नमः।
    83. अभीष्टवरदाय: ॐ अभीष्टवरदाय नमः।
    84. ज्योतिषे: ॐ ज्योतिषे नमः।
    85. भक्तनिधये: ॐ भक्तनिधये नमः।
    86. भावगम्याय: ॐ भावगम्याय नमः।
    87. मङ्गलप्रदाय: ॐ मङ्गलप्रदाय नमः।
    88. अव्यक्ताय: ॐ अव्यक्ताय नमः।
    89. अप्राकृत पराक्रमाय: ॐ अप्राकृत पराक्रमाय नमः।
    90. सत्यधर्मिणे: ॐ सत्यधर्मिणे नमः।
    91. सखये: ॐ सखये नमः।
    92. सरसाम्बुनिधये: ॐ सरसाम्बुनिधये नमः।
    93. महेशाय: ॐ महेशाय नमः।
    94. दिव्याङ्गाय: ॐ दिव्याङ्गाय नमः।
    95. मणिकिङ्किणी मेखालाय: ॐ मणिकिङ्किणी मेखालाय नमः।
    96. समस्त देवता मूर्तये: ॐ समस्त देवता मूर्तये नमः।
    97. सहिष्णवे: ॐ सहिष्णवे नमः।
    98. सततोत्थिताय: ॐ सततोत्थिताय नमः।
    99. विघातकारिणे: ॐ विघातकारिणे नमः।
    100. विश्वग्दृशे: ॐ विश्वग्दृशे नमः।
    101. विश्वरक्षाकृते: ॐ विश्वरक्षाकृते नमः।
    102. कल्याणगुरवे: ॐ कल्याणगुरवे नमः।
    103. उन्मत्तवेषाय: ॐ उन्मत्तवेषाय नमः।
    104. अपराजिते: ॐ अपराजिते नमः।
    105. समस्त जगदाधाराय: ॐ समस्त जगदाधाराय नमः।
    106. सर्वैश्वर्यप्रदाय: ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः।
    107. आक्रान्त चिद चित्प्रभवे: ॐ आक्रान्त चिद चित्प्रभवे नमः।
    108. श्री विघ्नेश्वराय: ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः।
  • 6:36 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    श्री संकष्टनाशन स्तोत्रम् (Sankat Nashan Ganesh Stotra)

    • प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
    • भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥॥
    • प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
    • तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥॥
    • लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
    • सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥॥
    • नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
    • एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥॥
    • द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
    • न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥॥
    • विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
    • पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥॥
    • जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
    • संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥॥
    • अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
    • तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥॥
    • ॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
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