गाजा में संयुक्त राष्ट्र फिलिस्तीनी शरणार्थी एजेंसी के मुख्यालय के नीचे हमास आतंकियों की सुरंग मिलने से खलबली मच गई है। इजरायली सेना ने यह सुरंग खोजने का दावा किया है। इजरायली सेना का कहना है कि हमास के आतंकी इन्हीं सुरंगों के जरिये बिजली आपूर्ति करते थे। हालांकि यूएन एजेंसी ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी।
आइजोल बाईपास सुरंग बनने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने इसके लिए 1300 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी दी है। इसके बनने से मिजोरम के साथ असम के लोगों को भी फायदा होगा।
सीएम धामी ने कहा कि सुरंग हादसे के चलते हम सब इस बार दीवाली नहीं मना पाए थे और सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिए जाने के बाद आज दीवाली और ईगास का जश्न मनाया गया है।
असम के सीएम हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड के सुरंग में जब मजदूर फंसे हुए थे और सारा देश उनकी सुरक्षित वापसी के लिए दुआएं कर रहा था तब राहुल गांधी और प्रियंका डांस कर रहे थे।
ये ऑपरेशन 41 हिन्दुस्तानियों की जिंदगी और मौत का फैसला करने वाला मिशन था। पूरे भारत की दुआएं लगीं, पूरा सिस्टम लगा, सारी सरकारी ताकत लगी और 17 दिन की लंबी जंग के बाद आखिरकार जिंदगी जीत गई। पहाड़ का सीना चीर कर सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और इस खबर ने हर हिन्दुस्तानी के चेहरे पर खुशी ला दी।
उत्तराखंड सुरंग हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे कर्मियों को उत्तराखंड सरकार 50 हजार रुपये का इनाम देगी। इसका ऐलान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यालय की ओर से किया गया है।
उत्तराखंड के टनल में फंसे मजदूरों के सुरक्षित रेस्क्यू ऑपरेशन पर गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम नेताओं ने खशी जाहिर की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता पर खुशी जताई है। इन दोनों ने मजदूरों और बचाव दल के साहस और धैर्य को सलाम किया है।
उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी सफलता मिली है। टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बीते 16 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था।
कंपनी ने कहा कि कोई भी वाहन पहाड़ी स्थान पर नहीं जा सकता है। वहां कोई खंभा और बिजली नहीं है और साथ ही कोई फाइबर कनेक्टिविटी भी नहीं है। उसके अनुसार, “इन सभी चुनौतियों पर काबू पा लिया गया है और जरूरी कनेक्टिविटी बहाल कर दी गई है।
प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स 20 नवंबर को ही सुरंग स्थल पर पहुंच गए थे और तब से वहीं रुके हुए थे। उन्होंने पिछले 17 दिनों में हमेशा सभी को पॉजीटिव रहने की सलाह दी। डिक्स दिन-रात सुरंग स्थल पर मजदूरों से संपर्क में रहे।
भारी भरकम मशीनों के फेल हो जाने के बाद अब सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रैट माइनर्स को लगाया गया है। अब सबकी उम्मीद इन्हीं रैट माइनर्स पर टिक गई हैं।
उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू में लगी एजेंसियों ने पूरी ताकत झोंक दी। अब टनल से मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है।
उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही हैं। लगातार आती समस्याओं के बीच केवल कुछ ही मीटर की ड्रिलिंग बची है जिस कारण 41 मजदूरों और उनके परिवारजनों की उम्मीदें बढ़ रही हैं।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब अन्य विकल्प अपनाए जा रहे हैं। ऑगर ड्रिलिंग मशीन में आई खराबी के बाद मैन्युअल ड्रिलिंग के साथ ही अन्य विकल्प पर भी काम शुरू कर दिया गया है।
उत्तरकाशी टनल ऑपरेशन में अब भारतीय सेना के जवान भी मोर्चा संभालेंगे। बता दें कि ड्रिलिंग के काम में दिक्कतें आने के बाद अब सेना के जवान मैनुअल ड्रिलिंग करें। इसके लिए सिविलियन की भी मदद ली जाएगी।
सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने की पूरी कोशिश हो रही है। नए प्लान के मुताबिक, अब ड्रिलिंग की बजाय मैनुअली ही मलबा हटाया जाएगा।
उत्तराखंड के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन लंबा खिंचेगा। इसके मद्देनजर सुरंग में मजदूरों तक मोबाइल फोन और बोर्ड गेम्स पहुंचाए गए ताकि वे अपना तनाव दूर कर सकें।
उत्तराखंड के सुरंग में फंसे श्रमिकों को अभी और इंतजार करना होगा। ड्रिलिंग मशीन में आई खराबी के बाद अब बचा हुआ काम मैन्यूअल तरीके से किया जाएगा। ऐसी स्थिति में रेस्क्यू ऑपरेशन लंबा खिंच सकता है।
डिक्स ने बताया कि ऑगर मशीन टूट गई है। अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। गौरतलब है कि चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे।
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