वहीं बद्रीनाथ मंदिर के साथ ही धाम में स्थित प्राचीन मठ-मंदिरों को भी फूलों से सजाया गया है। मुख्य मंदिर को 15 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है।
चारधाम यात्रा में मौसम से यात्रियों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े, इसके लिए पुलिस ने कमर कस ली है। वहीं, मौसम विभाग ने भी यात्रियों को मौसम के बेहतर होने के बाद ही यात्रा में आने को कहा है।
जोशीमठ में तिमुंडिया मेले के साथ बद्रीनाथ यात्रा का आगाज हो गया है। जोशीमठ के नृसिंह मंदिर प्रांगण में तिमुंडिया मेले का आयोजन हुआ। पौराणिक काल से चली आ रही परंपरा आज भी उसी रूप में मनाई जा रही है।
उत्तराखंड में कोरोना केसों में लगातार इजाफा हो रहा है। चिंता की बात है कि सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण देहरादून में बढ़ा है। संक्रमण दर 10 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है।
Char Dham Yatra 2023: बीकेटीसी ने बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर में स्पेशल दर्शन की कीमत तय कर दी है। अब भक्तों को भगवान बद्री और केदार के दर्शन के लिए इतना भुगतान करना होगा।
Badrinath Dham Temple: जल्द ही बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने वाले हैं। इससे पहले हम आपको बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी कई बातें और मान्यताओं के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं बद्रीनाथ धाम मंदिर के बारे में।
चार धाम यात्रा 2023: इस बार बिना QR Code के चार धाम यात्रा के लिए नहीं मिलेगी एंट्री। आपको इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जानिए रजिस्ट्रेशन का पूरा प्रोसेस।
दोनों धामों के लिए श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन मंगलवार को शुरू हुआ और पहले दो दिनों में अब तक 61,250 लोग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं।
उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू करने की तारीखों की घोषणा शनिवार को की थी लेकिन जोशीमठ के पास बद्रीनाथ राजमार्ग पर कई बड़ी दरारें फिर से दिखाई दी हैं। ऐसे में ये यात्रा कितनी सुरक्षित होगी, ये चिंता का विषय है।
केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल से खुल जाएंगे और भक्त भगवान का दर्शन कर सकेंगे। आज विधिवत इसका ऐलान किया गया। बद्रीनाथ धाम मंदिर के कपाट 27 अप्रैल से खुल जाएंगे।
पुलिस प्रशासन की ओर से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर पुराने ट्रैफिक प्लान को ही यथावत रखने का फैसला लिया है।
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जिले में स्थित हैं। गंगोत्री धाम के कपाट 22 अप्रैल को खुल रहे हैं। गंगोत्री प्रमुख हिन्दू तीर्थस्थल है। गंगोत्री नगर से 19 किमी दूर गोमुख है, जो गंगोत्री हिमानी का अन्तिम छोर है और गंगा नदी का उद्गम स्थान है।
मंदिर कमेटी की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, बद्रीनाथ धाम के कपाट इस साल 27 अप्रैल को सुबह 7:10 बजे से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। वसंत पंचमी के अवसर पर नरेंद्रनगर में आयोजित समारोह में कपाट खुलने की तारीख की घोषणा हुई है।
जोशीमठ में नई दरारें पड़ने से इलाके में हड़कंप मच गया है। दरअसल ये नई दरारें बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर देखी गई हैं। इन्हें देखने के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है और लोग डरे हुए नजर आ रहे हैं।
Joshimath: उत्तराखंड के बद्रीनाथ मंदिर को लेकर हिंदुओं की गहरी आस्था है। ऐसे में इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि लाखों सालों बाद बद्रीनाथ मंदिर जोशीमठ के करीब स्थापित हो जाएगा और फिर वही जगह भगवान विष्णु का स्थान होगा।
जोशीमठ में घरों, सड़कों और खेतों में दरारें लगातार बढ़ रही हैं। इतना ही नहीं यहां पर जमीन से अचानक पानी भी निकलने लगा है। इस बीच एक सदियों पुरानी भविष्यवाणी की चर्चा खूब हो रही है। आइए जानते हैं।
जोशीमठ में प्रवेश करने के बाद तीर्थयात्री बद्रीनाथ आने-जाने वाले वाहनों से यहां वन-वे रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जोशीमठ में जारी भू-धंसाव संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। यहां सैंकड़ों घरों और सड़कों में दरारें आ गई हैं, जिसके चलते धाम बद्रीनाथ तक ले जाने के रास्ते पर सवाल उठ रहे हैं।
शीतकालीन के दौरान बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन तक सभी होटल, ढाबा व अन्य व्यवसायियों को बदरीनाथ धाम छोड़ने के लिए कहा जाता है। कपाट बंद होने के बाद आम लोगों को धाम तक जाने की अनुमति नहीं दी जाती है।
आज श्री केदारनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक विधि-विधान के साथ शीतकाल हेतु बंद हो गए हैं। इस वर्ष कपाट खुलने के उपरांत लगभग 16 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए
3 मई को शुरू हुई चारधाम यात्रा अब अपने समापन की ओर है। आंकड़ों के मुताबिक, इस बार 42 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने यात्रा में हिस्सा लिया।
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