स्वदेश लौटने वाले छात्रों के चेहरे पर हम वतन लौटने का सुकून तो है, लेकिन सकुशल घर लौटने वाले छात्रों को अब उनके करियर की चिंता भी सताने लगी है। इधर, बच्चों के अभिभावकों को भी उनके भविष्य को लेकर असुरक्षा की भावना पनप रही है।
जिन बच्चों को अरमानों से विदेश पढ़ने भेजा था वो एक बिस्किट और एक चम्मच चावल पर दिन काटने को मजबूर हुए।
यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मायखाइलो पोडोलीक के अनुसार, दोनों पक्ष मिलकर नागरिकों को निकालने के लिए मानवीय गलियारा प्रदान करेंगे।
राहुल गांधी और पार्टी के कुछ अन्य सांसद यूक्रेन संकट को लेकर बुलाई गई विदेश मंत्रालय की परामर्श समिति की बैठक में शामिल हुए।
देहरादून के जिला चिकित्सालय में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीपी जोशी के बेटे अक्षत खारकीव में एमबीबीएस कर रहे हैं। वहां हालात बिगड़ने पर उन्होंने मैट्रो स्टेशन के बेसमेंट में शरण ली थी। डॉ. जोशी ने बताया कि उनकी मंगलवार सुबह अक्षत से बात हुई। अक्षत समेत दस भारतीय छात्र खारकीव से निकल गए हैं।
चंदन जिंदल के चाचा कृष्ण गोपाल ने बरनाला में कहा कि उन्हें 3 फरवरी को उसके खराब स्वास्थ्य की सूचना मिली थी।
भारत पहुंची छात्रा ने बताया कि हड्डियां कंपा देने वाली ठंड झेलते हुए मेडिकल विद्यार्थी पैदल चलकर पोलैंड सरहद के पास पहुंचे लेकिन वहां तैनात यूक्रेनी सैनिकों ने उन्हें सीमा चौकी पार करने की तुरंत अनुमति नहीं दी।
भारतीय दूतावास की ओर से जारी की गई दूसरी एडवाइजरी में कहा गया कि बिगड़ते हालातों को देखते हुए खारकीव में मौजूद सभी भारतीयों की सुरक्षा के लिए फिर दोहराया जा रहा है कि वह खारकीव छोड़ दें।
राजस्थान की मंत्री ने कहा, ‘‘अभी तक जो पहचान की गई है, एक हजार से ज्यादा...1008 राजस्थानी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। आज सुबह तक लौटने वालों की गिनती 207 पर पहुंच गई है।’’
यूक्रेन के खारकीव में भारतीयों के लिए इमरजेंसी एडवाइजरी जारी की गई है। एडवाइजरी में भारतीय छात्रों को कहा गया है कि जल्द से जल्द खारकीव से भारतीय छात्र बाहर निकलें और जितनी जल्दी हो सके पेसोचीन या बाबाय की तरफ पहुंच जाएं।
यूक्रेन से अंबाला पहुंची नेहा ने बताया कि अब वहां पर हालात बहुत ज्यादा खराब है। पहले सीविलियंस पर कोई हमला नहीं होता था, लेकिन अब वह भी होने लगा है। हम 6 लोगों ने मिलकर ग्रुप में निकलने का फैसला किया और इस दौरान रोमानिया बॉर्डर तक पहुंचने के लिए कई बार ट्रेन और कई बार बसें बदली।
स्मृति ईरानी ने कहा, करीब 220 छात्र तुर्की की राजधानी इस्तांबुल के रास्ते आये हैं। मैंने जब एक लड़की से पूछा कि वह किस राज्य की है तो उसने कहा कि वह भारतीय है। तनाव के कारण वे अब भी यह भरोसा नहीं कर पा रहे हैं कि वे भारत आ गये हैं। हमने यह सुनिश्चित किया कि वे अपने माता-पिता के साथ बात करें।
रोमानिया के बुखारेस्ट पहुंचे भारतीय छात्रों ने बताया कि तिरंगे का सहारा लेकर उनके साथ-साथ पाकिस्तान और तुर्की के छात्र भी यूक्रेन की सीमा से बाहर निकलने में सफल रहे।
रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद भारत युद्धग्रस्त देश में फंसे अपने नागरिकों को 27 फरवरी से रोमानिया और हंगरी के रास्ते स्वदेश ला रहा है।
भारत में करीब 8 लाख छात्र एमबीबीएस के लिए परीक्षा देते हैं लेकिन इनमें से महज 1 लाख छात्रों को ही भारतीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिल पाता है। यही कारण है कि हर वर्ष हजारों की तादाद में भारतीय छात्रों को यूक्रेन समेत अन्य देशों का रुख करना पड़ता है।
यूक्रेन के खारकीव में रूस ने बहुत बड़ा हमला किया है। खारकीव में शहर के बीचों-बीच बड़ा धमाका हुआ है। रूस ने खारकीव के सेंट्रल स्क्वॉयर पर बम गिराया है।
वर्तमान में कोटद्वार क्षेत्र के चार छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हैं, जिनमें से दो कीव व दो खारकीव में हैं। इधर, 10 छात्र रोमानिया बॉर्डर पर फ्लाइट का इंतजार कर रहे हैं, जबकि दो छात्राएं देश वापस पहुंच गई हैं।
यूक्रेन से लौटे विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए गए थे और उन्हें एअर इंडिया के विशेष उड़ान से स्वदेश लाया गया। विद्यार्थियों को लेकर आ रही बस रविवार को सूरत, वडोदार और अहमदबाद से गुजरी तब स्थानीय नेताओं और सरकारी अधिकारियों ने फूल देकर उनका अभिवादन किया।
झारखंड सरकार द्वारा बनाये गए नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी ने कहा, “यूक्रेन में फंसे छात्रों और कर्मचारियों के संबंध में हमें शुक्रवार रात से लगभग सौ कॉल मिले हैं।”
मेहुल, मेघना और आयुषी की तरह यूक्रेन में राजस्थान के सैकड़ों सहित हजारों भारतीय छात्र हैं जो वहां के ताजा हालात में दहशत और चिंता के साये में हैं और वहां से बाहर निकलने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
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