भाजपा अध्यक्ष ने रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने पर अगले 5 साल में हर घुपैठिए को देश से बाहर कर दिया जाएगा
म्यांमार से भागकर बांग्लादेश में शरण लेने वाले लोगों की उम्मीदों को गहरा धक्का लगा है।
असम के वरिष्ठ मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने शुक्रवार को दावा किया कि कुछ निहित स्वार्थों वाले संगठन रोहिंग्या मुसलमानों को राज्य में घुसाने की सुनियोजित कोशिश कर रहे हैं और नागरिकता विधेयक के खिलाफ हालिया प्रदर्शनों से उन्हें समर्थन मिला है।
ताजा हिंसा के ज्यादातर शिकार म्यांमार के बहुसंख्यक बौद्ध और हिंदू समुदाय के लोग हैं।
रोहिंग्या त्रिपुरा में भारत और बांग्लादेश सीमा के बीच जीरो प्वाइंट पर पिछले 4 दिन से फंसे हुए थे और मंगलवार को भारत की बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने उन्हें गिरफ्तार किया
दक्षिणपंथी संगठन राष्ट्रीय बजरंग दल (आरबीडी) के कार्यकर्ताओं ने रविवार को यहां अवैध रोहिंग्या शरणाथिर्यों और बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ प्रदर्शन किया और उन्हें निकालने के लिए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को एक सप्ताह का समय दिया।
बांग्लादेश में 400 हिंदू शरणार्थियों को अलग करके रखा गया है। उन्हें हिंदू कैंप नामक एक अलग इकाई में रखा गया है, जिसकी कड़ी सुरक्षा की जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने बताया कि म्यांमार के रखाइन राज्य में एक बार फिर हिंसा भड़कने से पिछले सप्ताह हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
इन शिविरों में करीब दस लाख रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि सीमावर्ती जिला काक्स बाजार में रह रहे रोहिंग्या लोगों को शनिवार से अपने शिविरों से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी
ख्तार अब्बास नकवी ने बुधवार को कहा कि मतदाता लिस्ट में कई फर्जी नाम जोड़े गए हैं, 700-800 मतदाताओं का पता एक ही जगह का है।
बांग्लादेश ने हजारों रोहिंग्या शरणार्थियों की आनन-फानन में म्यामां वापसी की अपनी योजना को गुरूवार रद्द कर दिया। इससे पहले रोहिंग्या समुदाय के लोगों ने म्यामां लौटने से इनकार कर दिया था जहां उन्हें अपनी जान का खतरा है।
बांग्लादेश ने रोहिंग्याओं की घर वापसी की तैयारी कर ली है। उन्हें आज से वापस उनके वतन म्यांमार भेजे जाने का काम शुरू हो जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र अधिकार प्रमुख ने बांग्लादेश से अनुरोध किया कि वह रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यामां भेजने की अपनी योजना को रोक दे क्योंकि वहां अब भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की खबरें आ रही हैं।
रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी उन्हें इस हफ्ते के मध्य में वापस म्यामांर भेजे जाने से बचने के लिए बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों से भाग रहे हैं
सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को आंग सान सू ची से अपना सर्वोच्च सम्मान रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ म्यामार की सेना द्वारा किये अत्याचारों पर उनकी ‘‘उदासीनता’’ को लेकर वापस ले लिया।
आंकड़ों के मुताबिक म्यांमार में हिंसा फैलने के दौरान करीब 7 लाख रोहिंग्या शरणार्थी सीमा पार करके बांग्लादेश चले गए थे
संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं की मानें तो आज भी म्यांमार में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों का जीवन खतरे में है।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) कार्ड धारक रोहिंग्या शरणार्थियों में से उन सभी के आधार कार्ड रद्द किये जायेंगे जिन्होंने इसे यूएनएचसीआर कार्ड के आधार पर हासिल किया था।
सू ची को एक समय विश्व भर में मानवाधिकार की मुखर आवाज के रूप में पहचाना जाता था
सरकार, अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे में राज्यों से जुटाये गए बायोग्राफिक आंकड़ों को म्यांमार सरकार के साथ साझा करेगी।
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