Saturday, December 27, 2025
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UP: मदीना मस्जिद पर नहीं चलेगा बुलडोजर, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गिराए जाने पर लगाई रोक, जानिए मामला

मदीना मस्जिद के ध्वस्तीकरण की सुनवाई कोर्ट में कई महीनों से चल रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में अब इस मामले की अलगी सुनवाई 23 मई को है। इसके बाद ही मस्जिद को लेकर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। 23 मई तक कोर्ट ने ध्वस्तीकरण पर रोक लगाया है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Apr 19, 2025 11:05 am IST, Updated : Apr 19, 2025 11:19 am IST
इलाहाबाद हाई कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में बनी एक मस्जिद में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी। फतेहपुर जिले की मदीना मस्जिद के ध्वस्तीकरण पर हाई कोर्ट ने 23 मई को अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है।

कोर्ट ने दो हफ्ते के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया

हाई कोर्ट के जज मनीष कुमार निगम ने राज्य सरकार को वक्फ सुन्नी मदीना मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका पर दो हफ्ते के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। साथ ही मस्जिद के ध्वस्तीकरण के आदेश को चुनौती दी गई है।

हैदर अली ने हाई कोर्ट में दायर की थी याचिका

वक्फ सुन्नी मदीना मस्जिद समिति के अध्यक्ष हैदर अली द्वारा जिला राजस्व अधिकारियों द्वारा मस्जिद को गिराए जाने के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए जज मनीष कुमार निगम ने गुरुवार को राज्य सरकार को दो हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। 

सबूत दाखिल करने का नहीं दिया गया मौका

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को तर्क दिया कि मस्जिद को गिराने का आदेश 22 अगस्त, 2024 को केवल इस आधार पर पारित किया गया था कि उसने ग्राम सभा की जमीन पर अतिक्रमण किया था। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि पूरी कार्यवाही 26 दिनों की अवधि के भीतर पूरी कर ली गई। उसे अपने मामले के समर्थन में सबूत दाखिल करने का कोई मौका नहीं दिया गया।

कुछ सालों से विवादों के केंद्र में है ये मस्जिद

बता दें कि फतेहपुर की मदीना मस्जिद फतेहपुर जिले के मलवां थाना क्षेत्र में कोटिया रोड पर स्थित है। कुछ सालों से ये मस्जिद विवादों के केंद्र में है। यह मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा 1976 में आवंटित तीन बिस्वा जमीन पर बनाई गई थी। इसका उपयोग सालों से नियमित नमाज के लिए किया जाता रहा है। हालांकि, इस मस्जिद को लेकर कानूनी और प्रशासनिक विवाद चल रहे हैं।

 

 

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