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होटल-ढाबे पर नाम लिखने को लेकर क्या है नियम? किस कानून के तहत नेमप्लेट लगाने का आदेश दे रही योगी सरकार

उत्तर प्रदेश में होटल-ढाबे पर नाम लिखने के आदेश को लेकर बवाल हो रहा है, लेकिन खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुसार ऐसा करना जरूरी है।

Edited By: Shakti Singh
Published : Jul 19, 2024 20:15 IST, Updated : Jul 19, 2024 20:15 IST
Yogi Adityanath- India TV Hindi
Image Source : PTI यूपी सरकार नियम के अनुसार नेमप्लेट लगाने के लिए कह रही है

उत्तर प्रदेश में होटलों, ढाबों और ठेलों सहित सभी भोजनालयों के मालिकों को दुकान के सामने अपना पूरा नाम लिखने का आदेश दिया गया है। इस आदेश को लेकर काफी बवाल मच रहा है। हालांकि, योगी आदित्यनाथ की सरकार पूरे राज्य में यह नियम लागू करने की तैयारी कर रही है। सरकार के प्रवक्ता के अनुसार जल्द ही औपचारिक आदेश जारी किया जा सकता है। इस बीच यूपी के ही एक अधिकारी ने बताया है कि सरकार कानून के हिसाब से ही यह आदेश पारित कर रही है।

मेरठ के बाट-माप विभाग के प्रभारी वी के मिश्रा ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुसार, प्रत्येक रेस्टोरेंट या ढाबा संचालक के लिए फर्म का नाम, अपना नाम और लाइसेंस नंबर लिखना अनिवार्य है। उनके अनुसार 'जागो ग्राहक जागो' योजना के तहत नोटिस बोर्ड पर मूल्य सूची भी लगाना अनिवार्य है। 

मुजफ्फरनगर के बाद पूरे राज्य में लागू होगा आदेश

मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया था। इसके कुछ दिनों बाद शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य के लिए ऐसा ही आदेश जारी करने का फैसला किया है। सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि जल्द ही एक औपचारिक आदेश जारी होने की संभावना है। 

विवाद से बचने के लिए दिया आदेश

मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अभिषेक सिंह ने सोमवार को कहा था, “जिले में कांवड़ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यहां लगभग 240 किलोमीटर लंबा कांवड़ मार्ग है। मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेले वालों से अपने मालिकों या फिर वहां काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने को कहा गया है। यह इसलिए जरूरी है, ताकि किसी कांवड़िये के मन में कोई भ्रम न रहे। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि कांवड़ियों के बीच कोई भ्रम न हो और कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा न हो। सभी स्वेच्छा से इसका पालन कर रहे हैं।" (इनपुट- पीटीआई भाषा)

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