Tuesday, April 30, 2024
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BLOG: चीन की सफलता के 70 साल

70 साल हो चुके हैं जब सन् 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना हुई और देखते ही देखते कुछ ही दशकों के भीतर यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई...

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 02, 2019 17:52 IST
BLOG: चीन की सफलता के 70 साल- India TV Hindi
BLOG: चीन की सफलता के 70 साल

बीजिंग: 70 साल हो चुके हैं जब सन् 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना हुई और देखते ही देखते कुछ ही दशकों के भीतर यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई। चीन को आर्थिक, तकनीक और वैज्ञानिक क्षेत्र में मिली उल्लेखनीय सफलता अन्य देशों, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए विचार के योग्य है।

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के ठीक बाद, नए देश को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिस पर तत्काल ध्यान देने की बड़ी आवश्यकता थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के साथ युद्ध से तबाह होने वाला यह एशियाई देश गरीब था और सकल उत्पादन की तुलना में इसकी विशाल आबादी कमजोर थी। देश की नीतियां तब कृषि पर आत्मनिर्भरता पर ही केंद्रित थीं, लेकिन एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने के लिए यह पर्याप्त नहीं था।

सन् 1978 में, चीन ने आधुनिकीकरण और औद्योगिकीकरण के एक नए युग की शुरुआत की और व्यापक सुधारों और खुलेपन के आधार पर एक नीति अपनाई। चीन जिस आबादी को अपने विकास का रोड़ा मानता था, उसे अपनी शक्ति बनायी और सस्ते मजदूरों का लाभ दिखाते हुए विदेशी निवेशकों को लुभाया। आधुनिक चीन के मुख्य वास्तुकार, तंग श्याओफिंग, जिन्होंने राष्ट्र प्रमुख और कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में पद संभाला, ने चार क्षेत्रों जैसे कि कृषि, उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और सैन्य से निपटने की रणनीति तैयार की। चीन ने जिस तरह से अर्थव्यवस्था, विज्ञान और टेकनोलॉजी, राष्ट्रीय रक्षा, और व्यापक राष्ट्रीय ताकत के मामले में ऐतिहासिक छलांग लगायी, वो दुनिया के तमाम देशों के लिए ध्यानाकर्षण का केंद्र बन गया।

शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक होने के कारण चीनी नेता तंग श्याओफिंग ने अपनी दीर्घकालिक योजनाओं में शिक्षा पर बड़ा जोर दिया। उन्होंने हजारों चीनियों को विदेश में अध्ययन करने और देश के निर्माण और आधुनिकीकरण में योगदान करने के लिए भेजा। चीन इतने कम समय में आगे निकल गया है। चीन ने अपने आर्थिक विकास के इस सफर में अपनी आबादी को बाधा नहीं बनने दिया। तंग श्याओफिंग को उन लोगों के प्रेरक नेता के रूप में देखा जाता है जिन्होंने उनकी नीतियों को आगे तक लेकर गये और दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में चीन को सबसे आगे रखने के लिए अपना दृष्टिकोण अपनाया।

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पूरी दुनिया के सामने समान भाग्य समुदाय का विचार प्रस्तुत किया, जो काफी हद तक भारत के दृष्टिकोण वसुधैव कुटुम्बकम से मिलता जुलता है। मानव एक ही वैश्विक गांव में रहता है और हम बिना भेदभाव के संपूर्ण पृथ्वी को एक परिवार के समान समझते हैं। शी की समान भाग्य समुदाय की अवधारणा का अर्थ यही है कि सभी देशों के लोगों को उचित तरीके से विश्व आर्थिक विकास का लाभ देना चाहिए।  

चीन में रहते हुए मैंने इस देश में भारी प्रगति के कई उल्लेखनीय संकेत देखे। मैंने देखा कि कैसे चीनी लोग जीवन के सभी क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली तकनीक का उपयोग करते हैं। मैं मोबाइल एप्प का इस्तेमाल करके कुछ भी और सबकुछ खरीद सकता हूं। 20 से अधिक लाइनों वाली बीजिंग मेट्रो ट्रेन शहर के लगभग सभी हिस्सों से जुड़ी है। पिछले 8 सालों से चीन में काम करते हुए, मैंने महसूस किया कि चीन किस तरह से सुधार और खुलेपन के लाभों को प्राप्त कर रहा है जिन्होंने देश की समृद्धि को बढ़ाया है।

मेरा मानना है कि देश की विशाल जीडीपी एक प्रमुख कारक है जिसने दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश को आर्थिक विकास और विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख प्रगति करने में मदद की है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, चीन की जीडीपी 2018 में 90 ट्रिलियन युआन (13 ट्रिलियन डॉलर) रही, जो विश्व अर्थव्यवस्था का लगभग 20 प्रतिशत है। चीन ने देश भर में विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाते हुए पिछले दो दशकों में 6 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखी है।

हालांकि पिछले साल के मध्य में अमेरिका ने चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ा, फिर भी साल 2019 की पहली छमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.39 प्रतिशत रही, जो कि चीन के राष्ट्रीय ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में सबसे ऊंची दर है।

खैर, चीन ने भगवान भरोसे इतनी प्रगति हासिल नहीं की। उसने पहले लक्ष्यों को निर्धारित किया, फिर उत्तरोत्तर सरकारों ने उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए काम किया। आज चीन ने दुनिया में अपना सही स्थान हासिल कर लिया है। अब समय है कि अन्य विकासशील देश चीन के उदाहरण का अनुसरण करें।

(इस ब्लॉग के लेखक अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप में पत्रकार हैं)

 

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