Saturday, April 20, 2024
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चीन के कड़े विरोध के बावजूद नहीं माना चेक रिपब्लिक, ताइवान पहुंचा डेलिगेशन

चीन के कड़े विरोध के बावजूद चेक रिपब्लिक की संसद के उच्च सदन सीनेट के अध्यक्ष मिलोस विस्त्रसिल रविवार को ताइवान पहुंचे।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 30, 2020 15:23 IST
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Image Source : AP चीन के कड़े विरोध के बावजूद चेक रिपब्लिक की संसद के उच्च सदन सीनेट के अध्यक्ष रविवार को ताइवान पहुंचे।

ताइपे: चीन के कड़े विरोध के बावजूद चेक रिपब्लिक की संसद के उच्च सदन सीनेट के अध्यक्ष मिलोस विस्त्रसिल रविवार को ताइवान पहुंचे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिलोस विस्त्रसिल के साथ प्राग के महापौर जेनेक हरिब तथा सरकार, व्यापार और अकादमिक जगत के 80 से अधिक प्रतिनिधि ताइवान की सरकार से बातचीत के लिए पहुंचे हैं। चीन के विशेषज्ञों का मानना है कि चेक गणराज्य का यह डेलिगेशन अमेरिका के उकसावे पर आया है। उनके मुताबिक, चेक रिपब्लिक का यह कदम चीन के साथ उसके रिश्ते को संकट में डाल देगा।

चेक रिपब्लिक ने चीन की एक न सुनी

बता दें कि बीजिंग द्वारा ताइवान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने का प्रयास किया जाता रहा है। चीन शुरू से ही ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता रहा है और उसे अपने साथ जोड़ने के लिए तमाम हथकंडे अपनाता रहा है। हालांकि चीन की तमाम धमकियों के बावजूद चेक रिपब्लिक का डेलिगेशन ताइवान पहुंच गया है। चेक गणराज्य के प्रतिनिधियों की इस यात्रा से ताइवान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाभ मिलने की उम्मीद है। ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने हवाई अड्डे पर प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।

अब प्रॉपेगैंडा फैलाने में जुटा है चीन
चीन ने पिछले सप्ताह विस्त्रसिल की यात्रा को ‘चीन-चेक संबंधों की राजनीतिक आधारशिला को कमजोर करने वाला’ कदम बताया था। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चेक रिपब्लिक में मौजूद चीन विरोधी ताकतों ने अमेरिका के उकसावे पर ताइवान कार्ड खेला है। अखबार के मुताबिक, इससे सिर्फ और सिर्फ चेक रिपब्लिक को नुकसान होगा क्योंकि उसे ताइवान से ज्यादा जरूरत चीन की है। चीनी विशेषज्ञ अब यह प्रॉपेगैंडा फैलाने में जुटे हैं कि चेक डेलिगेशन का उनके अपने देश में विरोध हो रहा है।

कोरोना ने गिरा दी है चीन की साख
बता दें कि इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है, और स्थिति के भयावह होने में चीन का बड़ा हाथ माना जा रहा है। दुनिया के कई देशों में चीन की बदमाशियों को लेकर गुस्सा है। चीन ने शुरू में इस वायरस की भायवहता को छिपाया था और माना जाता है कि इसके चलते संक्रमण काफी तेजी से फैला था। इस वायरस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव डाला और धीरे-धीरे कई देशों कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ-साथ चीन को लेकर कड़वाहट भी फैलती चली गई।

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