Saturday, April 27, 2024
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जानें, चीन की कोरोना वैक्सीन के लोकप्रिय होने का क्या रहस्य है?

कुछ समय पहले पश्चिमी देशों और उनके मीडिया संस्थानों ने बार-बार चीन की कोरोना वैक्सीन की कारगरता और सुरक्षा पर लांछन लगाया। लेकिन चीनी वैक्सीन ने इसका दृढ़ विरोध किया।

IANS Reported by: IANS
Published on: February 26, 2021 7:58 IST
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Image Source : IANS जानें, चीन की कोरोना वैक्सीन के लोकप्रिय होने का क्या रहस्य है?

बीजिंग: कुछ समय पहले पश्चिमी देशों और उनके मीडिया संस्थानों ने बार-बार चीन की कोरोना वैक्सीन की कारगरता और सुरक्षा पर लांछन लगाया। लेकिन चीनी वैक्सीन ने इसका दृढ़ विरोध किया। कई देशों के नेताओं ने चीनी वैक्सीन लगाने में पहल की और चीनी वैक्सीन की कारगरता और सुरक्षा की प्रशंसा की। क्योंकि चीन की कोरोना वैक्सीन निष्क्रियता की तकनीक का प्रयोग करती है। मतलब है कि वायरस की सक्रियता मारने के साथ इसका प्रोटीन बाहरी खोल छोड़कर मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है। यह वैक्सीन बनाने का सबसे परंपरागत तरीका है, जो लंबे समय से सत्यापित किया गया है।

वहीं ब्रिटेन और अमेरिका ने एडेनोवायरस वेक्टर डीएनए वैक्सीन और एमआरएनए वैक्सीन का विकास किया। हालांकि यह आधुनिक तकनीक है, लेकिन इसकी सुरक्षा और स्थिरता का समय से सत्यापन नहीं किया गया। ब्रिटेन और अमेरिका की वैक्सीन अच्छी है या नहीं, हम चर्चा नहीं करते, लेकिन ब्रिटेन और अमेरिका की वैक्सीन लोगों की पहुंच से दूर है। रिपोर्ट के अनुसार फाइजर ने इससे पहले घोषणा की कि अमेरिका के अलावा, अन्य क्षेत्रों में वैक्सीन का वितरण कम किया जाएगा। इसका कारण अमेरिका में पर्याप्त वैक्सीन को सुनिश्चित करना है। वहीं एस्ट्राजेनेका ने भी यूरोपीय संघ को देने वाली वैक्सीन घटाने की बात कही, क्योंकि वैक्सीन का इस्तेमाल सबसे पहले ब्रिटेन में होगा।

इसके बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस अधनोम घेब्रेयसस ने कहा कि दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन के वितरण में गंभीर असमानता है। आंकड़ों के अनुसार अमीर देशों में जनसंख्या दुनिया की कुल जनसंख्या का 16 प्रतिशत है, लेकिन इन देशों ने दुनिया की 70 प्रतिशत से अधिक वैक्सीन जमा की। इससे बहुत गरीब देशों को वैक्सीन नहीं मिल पा रही है।

उधर, चीन ने सबसे पहले वचन दिया था कि चीनी कोरोना वैक्सीन का अनुसंधान पूरा होने और इस्तेमाल शुरू होने के बाद चीन इसे वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद बनाएगा और सबसे पहले विकासशील देशों को देगा। अब चीन 53 देशों को मुफ्त में वैक्सीन प्रदान कर रहा है और इच्छा रखने वाले 27 देशों को वैक्सीन का निर्यात कर रहा है। एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और यूरोप के बहुत सारे देशों को चीनी वैक्सीन मिल चुकी हैं। यूरोपीय संघ के सदस्य देश हंगरी ने भी चीनी वैक्सीन लगाने का काम शुरू किया है।

लेकिन पश्चिमी देशों के विचार में जिसकी वैक्सीन मानव जाति को बचाएगी, वह दुनिया का मुक्ति दाता होगा, लेकिन यह मुक्ति दाता अवश्य पश्चिमी व्यक्ति होना चाहिए। क्योंकि पश्चिमी देशों को अपने चिकित्सा विज्ञान पर गर्व रहता है। अगर चीनी वैक्सीन दुनिया को बचाती है, तो पश्चिमी देशों के लिए न सिर्फ पैसे का नुकसान होगा, बल्कि बड़ी प्रतिष्ठा और विश्व नेतृत्व को भी क्षति पहुंचेगी। पश्चिमी मीडिया द्वारा चीनी वैक्सीन पर कालिख पोतने का कारण ऐसा भी है।

वास्तव में चीन वैक्सीन सहयोग में कोई राजनीतिक शर्तें नहीं जोड़ता। चीन बस चाहता है कि वैक्सीन को सार्वजनिक उत्पाद बनाया जाए, ताकि सभी देशों के लोगों को टीके लगाए जा सकें। चीन को आशा है कि सभी सक्षम देश एकजुट होकर महामारी की रोकथाम में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन करने, विशेषकर विकासशील देशों की सहायता करने में सक्रिय योगदान करेंगे। इसलिए चीन भरसक कोशिश से लगातार विभिन्न पक्षों के साथ सहयोग करेगा।

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