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हिंद महासागर में उठ रहा बदलाव और अशांति का बड़ा तूफान, दुनिया में मची खलबली से भारत भी हैरान

जयशंकर ने कहा कि हिंद महासागर बदलाव और अशांति के बड़े तूफान से गुजरने वाला है। ‘‘भारत की प्राथमिक चिंताएं और चुनौतियां भी उस परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं। हम प्रतिस्पर्धा के नए रूपों पर विचार कर रहे हैं जो उच्च स्तर पर पहुंच और अंतर-निर्भरता का लाभ उठाते हैं।’

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Aug 02, 2024 10:18 pm IST, Updated : Aug 02, 2024 10:18 pm IST
हिंद महासागर (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : AP हिंद महासागर (फाइल)

नई दिल्लीः हिंद महासागर में अब बदलाव और अशांति का सबसे बड़ा तूफान पैदा होने वाला है, जिसका असर दुनिया के तमाम देशों पर हो सकता है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि हिंद महासागर में ‘‘ अशांति पैदा करने वाले’’ बदलाव होने की आशंका है और भारत को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है। उनकी यह टिप्पणी क्षेत्र में चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को लेकर चिंताओं की पृष्ठभूमि में आई है। एक विचारक संस्था (थिंक टैंक) के संवाद सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि भारत के पड़ोस में जो प्रतिस्पर्धा देखी गई है, वह निश्चित रूप से हिंद महासागर में भी होगी।

विदेश मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के बारे में बात की और कहा, ‘‘इस बारे में विलाप करने का कोई औचित्य नहीं है’’ क्योंकि भारत को प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है और वह वास्तव में यही करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर में प्रतिस्पर्धा के लिए उसी तरह तैयार है, जिस तरह वह बाकी पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है। जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हिंद महासागर में समुद्री मौजूदगी की नजर आ रही है, जो पहले नहीं थी। इसलिए यह एक विध्वंसकारी परिवर्तन के लिए तैयार है। मुझे लगता है कि हमें इसका पूर्वानुमान लगाने (और) हमें इसके लिए तैयारी करने की जरूरत है।’’ चीन धीरे-धीरे हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, जिसे पारंपरिक रूप से भारतीय नौसेना का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है।

पड़ोसियों के साथ भारत लगातार बढ़ाता रहा है सहयोग

विदेश मंत्री ने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की भी विस्तृत जानकारी दी। जयशंकर ने कहा, ‘‘ हमने महसूस किया कि हमारे इतिहास, पड़ोसियों के आकार, हमारे पड़ोसियों और हमारे समाजशास्त्र को देखते हुए, इन रिश्तों को संभालना आसान नहीं है।” जयशंकर ने भारत के कई पड़ोसियों के साथ ‘‘राजनीतिक स्तर पर उतार-चढ़ाव’’ का जिक्र किया और कहा कि ये ‘‘वास्तविकताएं’’ हैं जिन्हें स्वीकार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि आज हमारे पास ज्यादा संसाधन हैं, ज्यादा क्षमताएं हैं, हम भौगोलिक रूप से केंद्र में हैं और हमारा आकार बहुत बड़ा है।’’

जयशंकर ने कहा,‘‘समय-समय पर हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हमारे कुछ पड़ोसियों के यहां ऐसे मौके आए हैं जब हम राजनीतिक मुद्दा बन गए हैं।’’ विदेशमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक परिदृश्य बदल गया है और आगे भी बदलता रहेगा। (भाषा)

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