
बीजिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए कड़ा संदेश दिया। उन्होंने आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों, इसके आयोजकों और इसके लिए पैसे देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। यह बयान मुख्य रूप से पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद के खिलाफ माना जा रहा है।
डोभाल ने क्या कहा?
डोभाल ने अपने भाषण में कहा कि भारत को लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अलकायदा, आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों से लगातार खतरा है, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने भी प्रतिबंधित किया है। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन टीआरएफ ने 26 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की हत्या की थी और कई लोगों को घायल किया था। इस हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसका मकसद आतंकी ठिकानों को नष्ट करना और भारत में हमलों को रोकना था। डोभाल ने इसे एक सटीक और संयमित कार्रवाई बताया, जो किसी को उकसाने के लिए नहीं थी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरा रवैया नहीं अपनाना चाहिए। उन्होंने सभी देशों से आतंकी संगठनों और उनके समर्थकों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की अपील की। डोभाल ने यह भी कहा कि सीमा पार आतंकवाद सहित कोई भी आतंकी कृत्य इंसानियत के खिलाफ अपराध है। उन्होंने एससीओ देशों से आतंकवादियों, उनके आयोजकों, फंड देने वालों और समर्थकों को सजा दिलाने में सहयोग करने का अनुरोध किया। साथ ही, उन्होंने आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरपंथ से लड़ने के लिए एकजुट होकर सूचना अभियान चलाने की बात भी कही।
डोभाल का संदेश साफ- आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
डोभाल ने साफ कर दिया कि आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत ने पहलगाम हमले के बाद आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए कदम उठाए हैं। वे चाहते हैं कि सभी देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों और इसके जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए। (इनपुट: PTI)