Sunday, April 28, 2024
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कनाडा ने 2 वर्षों के लिए विद्यार्थी वीजा को किया सीमित, भारतीय छात्रों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

सरकार का कहना है "हम कनाडा के लिए सही संतुलन बना रहे हैं और छात्रों को उनकी आशा के अनुरूप सफलता प्रदान करते हुए हमारी आव्रजन प्रणाली की अखंडता सुनिश्चित कर रहे हैं। कनाडा अपनी कम ट्यूशन फीस, उच्च रैंकिंग वाले विश्वविद्यालयों और अध्ययन के बाद के काम के विकल्पों के कारण विदेश में सबसे लोकप्रिय अध्ययन स्थलों में से एक है।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: January 25, 2024 11:40 IST
जस्टिन ट्रूडो, कनाडा के प्रधानमंत्री। - India TV Hindi
Image Source : AP जस्टिन ट्रूडो, कनाडा के प्रधानमंत्री।

भारत से चल रहे कूटनीतिक तनाव के बीच कनाडा ने अगले 2 वर्षों के लिए छात्रों की वीजा संख्या को सीमित कर दिया है। कनाडा का यह फैसला सभी विदेशी छात्रों के लिए है। इससे माना जा रहा है कि भविष्य में इसका असर कनाडा में उच्छ शिक्षा की उम्मीद रखने वाले उन भारतीय छात्रों पर पड़ सकता है, जिनके लिए ओटावा पहली पसंद है। बता दें कि कनाडा में पढ़ने वाले कुल विदेशी छात्रों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की होती है। ऐसे में कनाडा का यह फैसला भारतीय छात्रों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। 
 
अपने फैसले में कनाडा सरकार ने अगले दो वर्षों के लिए छात्र वीज़ा की संख्या सीमित कर दी है। कनाडाई सरकार ने घोषणा की है कि वह अगले दो वर्षों के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्र परमिट आवेदनों की सीमा तय करेगी। सीमा का मतलब यह होगा कि 2024 में लगभग 360,000 अध्ययन परमिट स्वीकृत किए जाएंगे, जो 2023 में स्वीकृत संख्या से 35 प्रतिशत कम है। प्रत्येक प्रांत के लिए कैप की गणना जनसंख्या के आकार के अनुसार की गई है, जिसका अर्थ है कि जिन प्रांतों ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों में सबसे कम वृद्धि का अनुभव किया है, वहां 2024 में स्वीकृत अध्ययन परमिट में सबसे बड़ी कमी देखी जाएगी।
 

किन छात्रों पर पड़ेगा असर

कनाडा के इस फैसले से मौजूदा अध्ययन परमिट के नवीनीकरण प्रभावित नहीं होंगे और मास्टर व डॉक्टरेट की डिग्री और प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने वालों को इस सीमा में शामिल नहीं किया गया है। वर्तमान अध्ययन परमिट धारक प्रभावित नहीं होंगे। आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) प्रत्येक प्रांत और क्षेत्र को सीमा का एक हिस्सा आवंटित करेगा, जो इसे अपने विश्वविद्यालयों और नामित शिक्षण संस्थानों के बीच वितरित करेगा। यह सीमा दो वर्षों के लिए लागू रहेगी और 2025 के लिए अध्ययन परमिट स्वीकृतियों की संख्या इस वर्ष के अंत में निर्धारित की जाएगी। कनाडा सरकार भविष्य में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक स्थायी योजना बनाने के लिए प्रांतों और क्षेत्रों, विश्वविद्यालयों और नामित शिक्षण संस्थानों के साथ काम करेगी।

कनाडा ने क्यों लिया ऐसा फैसला

सरकार के अनुसार कैप लगाने का एक मुख्य कारण कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सामने आने वाली आवास की कमी से निपटना है। सरकार पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट प्रोग्राम के पात्रता मानदंडों में भी बदलाव कर रही है। 1 सितंबर 2024 से, निजी स्वामित्व वाले संस्थानों में अध्ययन करने के परमिट वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्र अब स्नातकोत्तर कार्य परमिट के लिए पात्र नहीं होंगे। एक और बदलाव यह है कि ओपन वर्क परमिट केवल मास्टर और डॉक्टरेट कार्यक्रमों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के जीवनसाथी के लिए उपलब्ध होंगे। स्नातक और कॉलेज कार्यक्रमों सहित अध्ययन के अन्य स्तरों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के पति या पत्नी अब पात्र नहीं होंगे। कनाडा में आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता मंत्री मार्क मिलर ने कहा: “अंतरराष्ट्रीय  छात्र कनाडा के लिए महत्वपूर्ण हैं और हमारे समुदायों को समृद्ध करते हैं। ऐसे में, यह सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है कि समृद्ध शैक्षणिक अनुभव के लिए आवश्यक संसाधनों तक उनकी पहुंच हो।

2022 में 8 लाख से अधिक विदेशी छात्रों में 40 फीसद थे भारतीय

आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में कनाडा ने 800,000 से अधिक विदेशी छात्रों को अस्थायी अध्ययन वीजा जारी किया था। इस दौरान कनाडाई संस्थानों में प्रवेश लेने वाले 40% विदेशी छात्र भारतीय थे। वहीं नवंबर 2023 तक उस वर्ष जारी किए गए परमिटों में से लगभग 2.15 लाख भारतीय छात्र थे। कनाडा का कहना है कि प्रांतों और क्षेत्रों को यह तय करने के लिए छोड़ दिया जाएगा कि उनके अधिकार क्षेत्र में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के बीच परमिट कैसे वितरित किए जाएंगे। कनाडा के मंत्री मिलर ने कहा कि कुछ क्षेत्रों के लिए कटौती 50% तक होगी। संघीय सरकार को परमिट के लिए आवेदन करने वाले विदेशी छात्रों को किसी प्रांत या क्षेत्र से सत्यापन पत्र प्रदान करने की भी आवश्यकता होगी। इस फैसले को कनाडा में चल रहे आवास संकट और देश में प्रवेश करने वाले गैर-स्थायी निवासियों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए संघीय सरकार पर बढ़ते दबाव की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।

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