
वेटिकन सिटी: कैथोलिक चर्च के इतिहास में पहली बार अमेरिका से चुने गए पोप लियो 14वें (उम्र 69) ने शनिवार को एक भव्य प्रार्थना सभा में दुनिया में एकता और शांति के लिए काम करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने सेंट पीटर्स स्क्वायर में आयोजित समारोह में कहा कि चर्च को "एकजुटता का प्रतीक" बनाना उनकी प्राथमिकता है।
हजारों श्रद्धालुओं, कार्डिनलों, बिशपों और पादरियों की उपस्थिति में पोप लियो ने कहा, “मैं चाहता हूं कि हमारी पहली बड़ी इच्छा एक संयुक्त चर्च की हो, जो एकता का प्रतीक हो, जो मेल-मिलाप वाली दुनिया के लिए एक उदाहरण बन जाए।” उन्हें इस मौके पर पारंपरिक धार्मिक वस्त्र और पोंटिफिकल अंगूठी प्रदान की गई, जो पोप बनने का प्रतीक होती है। उन्होंने अंगूठी को सम्मानपूर्वक देखा और फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना की।
सुरक्षा व्यवस्था और वैश्विक प्रतिनिधित्व
इस ऐतिहासिक अवसर पर वेटिकन में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। दिवंगत पोप फ्रांसिस से मिलने वाले अंतिम विदेशी नेताओं में से एक अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अर्जेंटीना के पोप की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और शिकागो में जन्मे पोप लियो 14वें को सम्मानित करने के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। उनके साथ अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो भी मौजूद थे, जो रूस-यूक्रेन शांति वार्ता के लिए पहले ही रोम पहुंच चुके थे।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में दुनिया भर से धार्मिक और राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पेरू की राष्ट्रपति डिना बोलुआर्टे, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, रूस की संस्कृति मंत्री ओल्गा लियुबिमोवा, 36 अन्य ईसाई चर्चों के प्रतिनिधिमंडल, यहूदी समुदाय के 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, जिनमें आधे रब्बी थे। इसके अलावा बौद्ध, मुस्लिम, हिंदू, सिख, पारसी और जैन धर्मों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। (एपी)