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कंपनियों ने H-1B वीजा होल्डरों को दी प्राथमिकता, हजारों अमेरिकियों को नौकरी से निकाला: White House

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से एच1-बी वीजा धारकों पर 88 लाख रुपये का शुल्क लगाए जाने के बाद ह्वाइट हाउस ने इसके पीछे बड़ी वजह बताई है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अमेरिकियों को नौकरी से निकालर सस्ते विदेशी श्रमिकों को प्राथमिकता दी जा रही थी।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Sep 21, 2025 01:49 pm IST, Updated : Sep 21, 2025 02:02 pm IST
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति। - India TV Hindi
Image Source : AP डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति।

वाशिंगटनः अमेरिका में H-1B वीजा के शुल्क को 88 लाख रुपये करने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी वजह भी बताई है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह शुल्क इसलिए लगाया गया है, ताकि अमेरिकियों को अधिक से अधिक नौकरियों में प्राथमिकता मिल सके। ह्वाइट हाउस ने एक बयान जारी करके कहा कि एक कंपनी को 2025 में 5,189 H-1B वीजा स्वीकृत हुए। इसके बाद उसने इन सभी को नौकरी पर रखा। जबकि 16,000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी कर दी।

एच1-बी वीजा धारकों को मिल रही थी प्राथमिकता

ह्वाइट हाउस ने कहा है कि यह शुल्क लगाने से एच1-बी वीजा धारकों की संख्या कम होगी तो अमेरिकियों को अधिक नौकरी मिलेगी। ह्वाइट हाउस के अनुसार इसी तरह दूसरी कंपनी को 1,698 H-1B वीजा मिले, लेकिन जुलाई में ओरेगन में 2,400 अमेरिकी कर्मचारियों को निकाल दिया। जबकि तीसरी कंपनी ने 2022 से अब तक 27,000 अमेरिकी नौकरियां घटा दी...और उसने 25,075 H-1B वीजा प्राप्त किए। इसी तरह एक अन्य कंपनी ने FY 2025 में 1,137 H-1B वीजा प्राप्त करने के बावजूद फरवरी में 1,000 अमेरिकी नौकरियां कम की। यहां तक कि कुछ अमेरिकी IT कर्मचारियों को अपने विदेशी प्रतिस्थापन को प्रशिक्षण देने के लिए मजबूर किया गया और उन पर गोपनीयता समझौतों (NDAs) पर हस्ताक्षर कराए गए।

ट्रंप प्रशासन का बड़ा फैसला

ह्वाइट हाउस का कहना है कि उक्त सभी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने एक नया घोषणापत्र साइन किया है, जिसके तहत कुछ H-1B वीजा धारकों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाई गई है, जब तक कि उनके आवेदन के साथ $100,000 (लगभग ₹88 लाख) का भुगतान न किया गया हो। यह कदम उन दुरुपयोगों को रोकने के लिए उठाया गया है, जिनसे अमेरिकी कामगारों की नौकरियां छीनी जाती हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ती है।

H-1B वीजा का दुरुपयोग: ट्रंप की चिंता

राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि अमेरिकी कंपनियां सस्ते विदेशी श्रमिकों को लाकर अमेरिकी कामगारों को निकाल रही हैं, जिससे यह आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है। IT क्षेत्र में H-1B वीजा धारकों की हिस्सेदारी 2003 में 32% थी, जो अब 65% से अधिक हो चुकी है। कंप्यूटर साइंस स्नातकों में बेरोजगारी 6.1% और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में 7.5% तक पहुंच गई है, जो अन्य विषयों की तुलना में दोगुनी है। 2000 से 2019 के बीच अमेरिका में विदेशी STEM श्रमिकों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई, जबकि कुल STEM नौकरियों में केवल 44.5% की वृद्धि हुई।

क्यों लगाया भारी शुल्क

H-1B वीजा पर भारी शुल्क लगाने के पीछे ट्रंप का उद्देश्य इस वीजा कार्यक्रम के दुरुपयोग को रोकना, अमेरिकी वेतन दरों की रक्षा करना, STEM करियर में अमेरिकी छात्रों की भागीदारी को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना, इसलिए अब कंपनियों को H-1B उपयोग के लिए भारी शुल्क देना होगा, जिससे वे सोच-समझकर इसका उपयोग करें।

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