Saturday, April 27, 2024
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NASA ने शेयर की सूर्य की हैरान कर देने वाली तस्वीर, क्या आपने देखी?

NASA ने सूर्य की धधकती हुई तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, हमारे सौर मंडल सबसे बड़ा सूर्य है, जो अपने विशाल आकार और चुंबकीय उपस्थिति से ग्रहों से लेकर धूल तक हर चीज को प्रभावित करता है।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: September 18, 2023 13:42 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

दुनियाभर के वैज्ञानिक सूर्य के बारे में खोज और अध्ययन में लगातार जुटे रहे हैं। इस बीच, भारत ने 2 सितंबर को अपने पहले सन मिशन के तरह आदित्य L-1 को सूर्य की तरफ भेजा है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने आदित्य L-1 को सूरज-पृथ्वी के सिस्टम में लैगरेंज पॉइंट-1 (L-1) तक भेजा है, जो धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां से वह पांच सालों तक सूर्य का अध्ययन करेगा। इस बीच, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने सूर्य की एक हैरान करने वाली तस्वीर शेयर की है।

"सनी, धूप के गुलदस्ते के लिए धन्यवाद"

नासा ने सूर्य की तस्वीर इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए लिखा, "सनी, धूप के गुलदस्ते के लिए धन्यवाद सनी। हमारे सौर मंडल सबसे बड़ा सूर्य है, जो अपने विशाल आकार और चुंबकीय उपस्थिति से ग्रहों से लेकर धूल तक हर चीज को प्रभावित करता है।" नासा ने धधकते सूर्य की तस्वीर के साथ आगे लिखा, सूर्य का वायुमंड या कोरोना एक गतिशील स्थान है, जहां सौर ज्वालाएं और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) जैसे बड़े विस्फोट होते हैं। निकट-पृथ्वी सौर डायनेमिक्स वेधशाला ने सितंबर 2012 में इस सीएमई को कैप्चर किया था, जिसने 900 से अधिक मील प्रति सेकंड (1,448 किलोमीटर प्रति सेकंड) की यात्रा कर अंतरिक्ष में पहुंचा और सूर्य की नारंगी और पीले रंग की तस्वीर खींची। तस्वीर में सूर्य की सतह पीली दरारों से चिन्हित है, जो अंतरिक्ष के कालेपन को हटा रही है।"

कोरोनल मास इजेक्शन क्या है?

नासा के मुताबिक, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सौर विस्फोट के बाद अंतरिक्ष में छोड़े गए सौर प्लाज्मा और एम्बेडेड चुंबकीय क्षेत्रों के बड़े बादल हैं। सीएमई का विस्तार तब होता है जब वे अंतरिक्ष में घूमते हैं। यह अक्सर लाखों मील की दूरी तय करते हैं और ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्रों से टकरा सकते हैं। जब पृथ्वी की ओर से बढ़ता है, तो भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकता है, जो पृथ्वी पर उज्ज्वल अरोरा, शॉर्ट-सर्किट उपग्रहों और पावर ग्रिड को प्रज्वलित करता है या सबसे खराब स्थिति में यह हमारी कक्षा में अंतरिक्ष यात्रियों की जान को भी खतरे में डालता है।

साफ तौर पर कहा जाए तो सौर ज्वालाएं प्रकाश की तेज चमक हैं, जो अचानक सूर्य की सतह पर दिखाई देती हैं। वे आम तौर पर कुछ मिनटों तक रहती हैं। सौर ज्वाला का स्रोत क्या है, यह बताते हुए नासा का कहना है, "सूर्य के गतिशील ऊपरी वायुमंडल को कोरोना कहा जाता है। यह प्लाज्मा से भरा हुआ है, जिसकी गति सूर्य के आस-पास के चुंबकीय क्षेत्रों से नियंत्रित होती है। कोरोना में तापमान लाखों डिग्री तक पहुंच सकता है। कोरोना सौर हवा के साथ-साथ सौर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन का स्रोत है।

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