पटनाः बिहार में 6 और 11 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गर्मियां तेज हैं। डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी माहौल गर्म है। यहां पर भी विभिन्न राजनीतिक दलों के संभावित उम्मीदवार जनता के बीच जा रहे हैं।
डुमरांव विधानसभा के बारे में
डुमरांव विधानसभा बिहार के बक्सर जिले के अंतर्गत आती है। डुमरांव विधानसभा क्षेत्र की स्थापना साल 1951 में हुई थी। अब तक यहां से 17 बार विधायक चुने जा चुके हैं। इनमें से कांग्रेस सात बार, जबकि जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत हासिल की है। भाकपा, समाजवादी पार्टी, अखिल जन विकास दल और भाकपा (माले) (एल) ने एक-एक बार जीत हासिल की है। डुमरांव किसी एक जाति के प्रभुत्व वाला इलाका नहीं है।
डुमरांव सीट का चुनावी इतिहास
साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने यह सीट जीती थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन) (CPI(ML)(L) के अजीत कुमार सिंह ने जनता दल (यूनाइटेड) की अंजुम आरा को 24415 मतों के अंतर से हराकर यह सीट जीती थी। विधानसभा चुनाव 2015 में जेडी(यू) के ददन यादव ने यह सीट जीती थी। दूसरे स्थान पर बीएलएसपी पार्टी के राम बिहारी सिंह रहे थे। जीत का अंतर 30,339 मतों का था।
साल 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में जेडीयू के टिकट पर डॉ. दाउद अली ने जीत दर्ज की थी। वहीं, 2005 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर ददन ने जीत दर्ज की थी। वहीं, 1990 और 1995 के चुनाव में जनता दल के बसंत सिंह को जीत मिली थी।
इस बार दिलचस्प रहने वाला मुकाबला
डुमरांव सीट पर इस बार मुकाबला कभी रोचक रहने वाला है। पिछले 15 सालों में इस सीट पर एकतरफा किस दल का प्रभाव नहीं रहा है। इस बार प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी अपना किस्मत अजमाएगी। अब देखना होगा कि भाकपा माले अपना सीट बचाने में कामयाब होती है या फिर जेडीयू एक बार फिर से इसे जीतने में कामयाब होगी। यहां पर निर्दलीय भी अपना दमखम दिखाने को तैयार हैं।