लंदन: ब्रिटेन सरकार ने भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त खालिस्तान समर्थक एक सिख व्यापारी और समूह पर बैन लगा दिया है। ब्रिटेन ने गुरुवार को पहली बार अपने ‘डोमेस्टिक काउंटर-टेररिज्म रेजीम’ का इस्तेमाल करते हुए एक ब्रिटिश सिख व्यापारी गुरप्रीत सिंह रेहल और उनके जुड़े एक समूह पर प्रतिबंध लगाए हैं। ये प्रतिबंध भारत में खालिस्तान समर्थक आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा को फंडिंग पहुंचाने के संदेह में लगाए गए हैं।
सिख व्यापारी की संपत्तियां भी सीज
पंजाब वॉरियर्स स्पोर्ट्स इन्वेस्टमेंट फर्म से जुड़े गुरप्रीत सिंह रेहल की ब्रिटेन में मौजूद सभी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया है और उन्हें कंपनी डायरेक्टर बनने से भी अयोग्य घोषित कर दिया गया है। ब्रिटेन का ट्रेजरी विभाग कहता है कि रेहल भारत में आतंकवाद में शामिल संगठनों से जुड़े हैं। साथ ही, “बब्बर अकाली लहर” नामक संगठन की भी सभी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया है, क्योंकि यह बब्बर खालसा को बढ़ावा देने और समर्थन देने में लगा हुआ है। ट्रेजरी की आर्थिक सचिव लूसी रिग्बी ने कहा: “हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे कि आतंकवादी ब्रिटेन की वित्तीय व्यवस्था का दुरुपयोग करें।
ब्रिटेन ने की खालिस्तान पर ऐतिहासिक कार्रवाई
लूसी रिग्बी ने कहा कि ब्रिटेन की यह ऐतिहासिक कार्रवाई दिखाती है कि आतंकवाद की फंडिंग रोकने के लिए हम हर उपलब्ध हथियार इस्तेमाल करने को तैयार हैं -चाहे वह कहीं भी हो और जिम्मेदार कोई भी हो। ब्रिटेन शांतिप्रिय समुदायों के साथ खड़ा है, उन लोगों के खिलाफ जो हिंसा और नफरत फैलाते हैं।” ब्रिटिश ट्रेजरी का आकलन है कि रेहल:बब्बर खालसा और बब्बर अकाली लहर की आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं, इन संगठनों के लिए भर्ती करते हैं, हथियार और सैन्य सामग्री खरीदने में मदद करते हैं,इन्हें वित्तीय सेवाएं और सहायता प्रदान करते हैं।
बब्बर खालसा और बब्बर अकाली लहर का गठजोड़
बब्बर अकाली लहर भी बब्बर खालसा की भर्ती, प्रचार-प्रसार और आतंकवादी गतिविधियों में सीधे शामिल पाया गया है। इन प्रतिबंधों के तहत:ब्रिटेन में रेहल और बब्बर अकाली लहर की सारी संपत्ति फ्रीज, कोई भी ब्रिटिश व्यक्ति या संस्था इनके साथ कोई वित्तीय लेन-देन नहीं कर सकेगा, इनके स्वामित्व वाली किसी भी कंपनी/संगठन के साथ भी यही नियम लागू होगा।
रेहल पर कई अतिरिक्त बैन
रेहल पर ब्रिटिश सरकार ने कई अतिरिक्त “डायरेक्टर अयोग्यता” प्रतिबंध भी लगाया है। अब वह किसी कंपनी का डायरेक्टर नहीं बन सकता और न ही किसी कंपनी के गठन या प्रबंधन में हिस्सा ले सकता है। प्रतिबंधों का असर रेहल की इन संस्थाओं पर भी पड़ेगा। (एपी)