Sunday, April 28, 2024
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बिहार में एक तिहाई से ज्यादा परिवार गरीब, 6 हजार रु. महीने से भी कम पर करते हैं गुजारा; जाति जनगणना रिपोर्ट पेश

बिहार विधानसभा में जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट आज पेश की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में एक तिहाई से भी ज्यादा परिवार गरीबी में गुजारा करते हैं।

Reported By : Nitish Chandra Edited By : Niraj Kumar Updated on: November 07, 2023 16:39 IST
Bihar, cast census- India TV Hindi
Image Source : एएनआई जाति जनगणना की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करते हुए बिहार के संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी

पटना: बिहार विधानसभा में जाति जनगणना की रिपोर्ट आज पेश की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 34.1 फीसदी परिवार गरीब हैं और जिनकी महीने की आय 6 हजार रुपये से भी कम है। जाति आधारित सर्वेक्षण पर बिहार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधानसभा में कहा कि इस सर्वे के मुताबिक बिहार में साक्षरता दर 79.70% है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में साक्षरता दर अधिक है। बिहार में प्रत्येक 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं हैं, जबकि 2011 में  918 महिलाएं थीं।इस रिपोर्ट के मुताबिक सवर्णों में भी काफी गरीबी है, हालांकि पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों में यह प्रतिशत काफी अधिक है।

94 लाख से ज्यादा परिवार गरीब

संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 2.97 करोड़ परिवार रहते हैं, जिनमें से 94 लाख से अधिक (34.13 प्रतिशत) गरीब हैं। बिहार के 50 लाख से ज्यादा लोग आजीविका या बेहतर शिक्षा के अवसरों की तलाश में राज्य से बाहर रह रहे थे। दूसरे राज्यों में जीविकोपार्जन करने वालों की संख्या लगभग 46 लाख है, जबकि अन्य 2.17 लाख लोगों को विदेशों में रह रहे हैं। दूसरे राज्यों में पढ़ाई करने वालों की संख्या लगभग 5.52 लाख है जबकि लगभग 27 हजार लोग विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। 

महिलाओं में साक्षरता की दर ज्यादा

संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा-आंकड़े सटीक रहें इसके लिए रैंडम सैम्पलिंग के जरिये त्रुटि की जांच की तो त्रुटियां नहीं के बराबर  मिली। न्यायालय ने भी सरकार के जातीय गणना को  करने के तरीके को सही माना है। उन्होंने कहा कि साक्षरता दर पुरुषों मे 17.9 प्रतिशत जबकि महिलाओं मे 22.4 प्रतिशत है। ग़रीबी रेखा से सबसे ज्यादा लोग बिहार मे ऊपर उठे हैं।

बीजेपी ने कभी जातीय सर्वे का विरोध नहीं किया-सिन्हा

नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि NDA की सरकार में जातीय गणना की नींव पड़ी थी। कोर्ट के अंदर बीजेपी ने कभी जातीय सर्वे का विरोध नहीं किया, इन्होंने जातीय गणना की बात कही और लोगों को भरमा रहे हैं। सिन्हा ने कहा कि सर्वे में कई शिकायतें आयी हैं। जेडीयू नेताओं का भी बयान आया था। बेरोजगारों का जिक्र क्यों नहीं  किया गया? लालू केंद्र मे मंत्री थे तब जातीय गणना क्यों नहीं करवाया? कर्नाटक में भी गणना हुई, क्यों नहीं आंकड़े सार्वजनिक किए गए? ओबीसी आयोग को कांग्रेस ने संवैधानिक दर्जा क्यों नहीं दिया?

किस जाति में कितने भूमिहीन ?

राजद ने 15 साल तक अति पिछड़ों को आरक्षण नहीं दिया। किस जाति में कितने भूमिहीन हैं, ये आंकड़े क्यों नहीं जारी किए गए? 2011 में 18914 जैन की आबादी थी, घटकर 12000 हो गयी, ये कैसे हुआ? हिन्दू की आबादी 2011 मे 82.68 थी, जो अब 81.99 प्रतिशत हो गई है।अतिपिछड़े को आपने अपना उत्तराधिकारी क्यों नहीं घोषित किया।

आंकड़े के अंदर हैं विसंगतियां, ध्यान दें-नंद किशोर यादव

बीजेपी नेता नंदकिशोर यादव ने सदन मे जातीय गणना पर बहस के दौरान कहा कि इस आंकड़े के अंदर जो विसंगतिया हैं उस पर ध्यान देना चाहिए। पंचायत वार आंकड़े देते तो लोग संतुष्ट होते। अति पिछड़ी जातियों में एक भी मंत्री आप आगे अपने साथ नहीं बिठाते और यहां देखिए। आरक्षण की श्रेणी में लोग नहीं मिल रहे, क्यों नहीं मिल रहे, प्लस 2 पास करने वाले सिर्फ 9 प्रतिशत हैं। किसी भी नौकरी में न्यूनतम योग्यता प्लस 2 हैं।

आरक्षण की सीमा बढ़ा दीजिए हम आपके साथ हैं-नंद किशोर यादव

6.11 प्रतिशत स्नातक हैं। 0.06 प्रतिशत स्नातक चिकित्सा के क्षेत्रमें हैं। आरक्षण की सीमा बढ़ा दीजिए हम आपके साथ हैं। केवल साक्षरता दर बढ़ा हुआ बताकर संतुष्ट मत होइए।सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 63840 भूमिहीन लोग हैं। सर्वे ठीक से नहीं हुआ, आज भी इनकी संख्या बहुत है। आप जमीन नहीं देने से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

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