केंद्र सरकार ने 2027 की पूरी तरह डिजिटल जनगणना के लिए 11,718 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। दो चरणों में होने वाली यह गिनती मोबाइल ऐप से होगी। पहली बार स्वयं-सूचीकरण, रीयल-टाइम मॉनिटरिंग और जाति-आधारित डेटा संग्रह जैसी नई सुविधाएं शामिल की गई हैं।
भारत में आगामी जनगणना को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में अहम जानकारी साझा की है। राहुल गांधी द्वारा पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में बताया गया है कि देश में जनगणना दो चरण में होगी।
हरियाणा की वित्त आयुक्त (राजस्व एवं आपदा प्रबंधन) सुमिता मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि जनगणना 2027 पूरी तरह से डिजिटल तरीके से आयोजित की जाएगी, जो इस प्रक्रिया के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा बदलाव होगा।
भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा है। 2011 की जनगणना के अनुसार, पूरे भारत में हिंदुओं की कुल आबादी लगभग 79.8 फीसदी है।
सरकार ने तय किया है कि एंड्राइड और आईफोन यूजर्स के लिए एप बनाया जाएगा। इस एप के जरिए आसानी से जनगणना से जुड़ी जानकारी भरी जा सकेगी। सरकार आसानी से यह जानकारी सुरक्षित डेटा पोर्टल पर अपडेट करेगी। इससे जनगणना की प्रक्रिया तेज होगी।
भारत की आगामी जनगणना का पहला चरण 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होगा, जिसमें देश भर के घरों की गिनती का कार्य किया जाएगा। इस चरण में प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और उपलब्ध सुविधाओं से संबंधित जानकारी जुटाई जाएगी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने जाति आधारित जनगणना को न्यायपूर्ण शासन और संसाधनों के उचित वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
जाति जनगणना को लेकर गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ कर दिया है कि 2027 की जनगणना में जाति जनगणना भी शामिल होगी। उन्होंने कहा, 'ये भ्रामक सूचना फैलाई जा रही है कि राजपत्र अधिसूचना में जाति जनगणना का कोई उल्लेख नहीं है।'
भारत में दो चरणों में जनगणना होगी, केंद्र ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। कोरोना के कारण जनगणना टल गई थी और अब 2025 में इसकी शुरुआत होने जा रही है। जानें पूरी डिटेल्स...
जाति जनगणना की तारीख सामने आ गई है। सूत्रों के हवाले से इस तारीख का पता लगा है। लंबे समय से जनता जाति जनगणना का इंतजार कर रही थी। अब ये इंतजार जल्द ही पूरा होने वाला है।
1931 में हुई जाति जनगणना के अनुसार देश में सबसे ज्यादा आबादी ब्राह्मणों की थी। इसके बाद जाटव और राजपूत थे। हालांकि, लगभग 94 साल में देश का सामाजित स्वरूप काफी बदला है और सही नीतियां बनाने के लिए जाति जनगणना जरूरी है।
भारत में जाति जनगणना आजादी के बाद रुकी, पर अब सामाजिक न्याय, नीतिगत सुधार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए इसकी जरूरत महसूस की जा रही है। पारदर्शिता और सावधानी से किया गया यह कदम समावेशी विकास की दिशा में सहायक हो सकता है।
केंद्र की घोषणा के तुरंत बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि जब वे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब संयुक्त मोर्चा सरकार ने 1996-97 में 2001 में जाति आधारित गणना कराने का निर्णय लिया था।
राहुल गांधी ने पहलगाम हमले और जाति जनगणना को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना के फैसले का समर्थन किया है लेकिन कहा है कि इसकी टाइमलाइन बताएं।
आजादी के बाद 1951 की जनगणना में केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आंकड़े लिए गए। बाद में एक नीतिगत बदलाव करते हुए सरकार ने जाति जनगणना को बंद कर दिया था।
94 साल बाद हिंदुस्तान में जातिगत जनगणना केंद्र की सरकार कराने जा रही है ऐसे में इसकी अब तक मांग करने वाली कांग्रेस हो या फिर उनकी सहयोगी पार्टियां सवालों के घेरे में खुद हैं। खासतौर पर कांग्रेस इसलिए क्योंकि 2011 की जनगणना जो देश की आखिरी जनगणना है उसमें जातियां गिनी जरूर गई थी लेकिन उसके आंकड़े कभी सामने नहीं आ पाए।
इराक में जनगणना के आंकड़े जारी किए गए हैं। 40 साल बाद जारी जनगणना के आंकड़े को इराकी अधिकारियों ने मील का पत्थर बताया है।
कांग्रेस की सीनियर नेता सोनिया गांधी ने राज्यसभा में बोलते हुए देश में जल्द से जल्द जनगणना कराए जाने की मांग की है। साथ ही सोनिया गांधी ने कहा कि ये इतिहास में पहली बार है जब जनगणना में 4 साल से अधिक की देरी हुई है।
तेलंगाना जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि तेलंगाना की आबादी में पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। इस सर्वे में राज्य के लगभग 97 फीसदी लोगों को शामिल किया गया है।
जाति जनगणना के मुद्दे पर राहुल गांधी के बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। जनता दल यूनाइटेड ने राहुल पर पलटवार करते हुए कहा कि इंडिया अलायंस की बैठकों में नीतीश कुमार जब-जब जाति जनगणना के मुद्दे को उठाते थे, तब राहुल चुप्पी साथ लेते थे।
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