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जीतन राम मांझी ने नवादा आगजनी मामले की सीबीआई जांच की मांग की, प्रभावित परिवारों से की मुलाकात

केंद्रीय मंत्री ने नवादा के डीएम और एसपी से भी मुलाकात की और पीड़ितों के लिए उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि जांच में पता चला है कि इस मामले के साथ-साथ अन्य मामलों में भी भू-माफिया शामिल हैं।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Sep 22, 2024 23:59 IST, Updated : Sep 23, 2024 0:08 IST
Jitan ram manjhi- India TV Hindi
Image Source : FILE जीतन राम मांझी

नवादा: केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार के नवादा जिले में लोगों के एक समूह द्वारा 34 घरों में आगजनी की घटना के चार दिन बाद, रविवार को इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की। केंद्रीय मंत्री और राजग के सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक मांझी ने रविवार को नवादा के मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला इलाके का दौरा किया, जहां बुधवार शाम करीब 7.15 बजे लोगों के एक समूह ने 34 घरों में आग लगा दी थी। पुलिस ने अब तक इस मामले में मुख्य आरोपी नंदू पासवान समेत कुल 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में 15 गिरफ्तार आरोपियों सहित 28 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

 भू-माफिया शामिल

केंद्रीय मंत्री ने नवादा के जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) से भी मुलाकात की और पीड़ितों के लिए उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा की। मांझी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “जांच में पता चला है कि इस मामले के साथ-साथ अन्य मामलों में भी भू-माफिया शामिल हैं। मैंने कई बार कहा है कि ऐसे मामलों में हमेशा राजद नेताओं की संलिप्तता पाई गई है। इस घटना की सीबीआई से जांच होनी चाहिए ताकि घटना में शामिल लोगों का पर्दाफाश हो और उन्हें सजा मिले। मैं मामले की सीबीआई जांच की मांग करता हूं।” 

एसएचओ को तलब किया

राज्य सरकार ने शुक्रवार को मुफ्फसिल थानाध्यक्ष (एसएचओ) को घटना के बाद ‘खुफिया जानकारी जुटाने’ में कथित विफलता के लिए तलब किया। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को घटना की निंदा की थी और अपर पुलिस महानिदेशक (विधि व्यवस्था) को मौके पर जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया था। कुमार ने सभी संदिग्धों को जल्द से जल्द पकड़ने की जरूरत पर भी जोर दिया था। 

21 पूरी तरह से नष्ट हुए

जांच से संकेत मिलता है कि जमीन विवाद के कारण हिंसा भड़की होगी। जांच में पता चला कि कुल 34 घरों में से 21 पूरी तरह से नष्ट हो गए और 13 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। जांच में यह भी पता चला कि जिन घरों में आग लगाई गई, उनमें से ज़्यादातर घर दलित आदिवासी समुदाय के लोगों के थे। मामला आर्म्स एक्ट और एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था। (भाषा)

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