Monday, May 13, 2024
Advertisement

अभी जेल में ही रहेंगे RJD चीफ लालू यादव, जमानत याचिका पर सुनवाई टली

RJD चीफ लालू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है। झारखंड हाई कोर्ट में आज यानि 6 नवंबर को यह सुनवाई होनी थी लेकिन कोर्ट ने इसे 27 नवंबर तक के लिए टाल दिया है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 06, 2020 13:16 IST
अभी जेल में ही रहेंगे RJD...- India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE अभी जेल में ही रहेंगे RJD चीफ लालू यादव, जमानत याचिका पर सुनवाई टली

रांची: RJD चीफ लालू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है। झारखंड हाई कोर्ट में आज यानि 6 नवंबर को यह सुनवाई होनी थी लेकिन कोर्ट ने इसे 27 नवंबर तक के लिए टाल दिया है। अब 27 नवंबर को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। उन्होंने दुमका ट्रेजरी मामले में यह जमानत याचिका दायर की थी।

दरअसल, लालू यादव दुमका ट्रेजरी मामले में 7 साल की जेल की सजा काट रहे हैं। ऐसे में उनके वकील ने सजा की आधी अवधि पूरी हो जाने को आधार बनाते हुए लालू यादव के लिए जमानत की अर्जी दाखिल की थी, जिसपर आज सुनवाई होनी थी लेकिन हाई कोर्ट ने सुनवाई को 27 नवंबर तक के लिए आगे बढ़ा दिया।

बता दें कि इससे पहले 9 अक्टूबर को झारखंड हाई कोर्ट ने लालू यादव को एक दूसरे केस में जमानत दी थी। लालू प्रसाद यादव को वह जमानत चाईबासा ट्रेजरी मामले में मिली थी, सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में लालू को 5 साल की सजा सुनाई हुई थी। 

जिस मामले में उन्हें जमानत मिली थी, वह चारा घोटाले केस में चाईबासा कोषागार से 33 करोड़ 67 लाख रुपये के गबन का मामला था। यह मामला 1992-93 के दौरान का है। इस दौरान लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। 

क्या है चारा घोटाला?

यह चर्चित घोटाला बिहार के पशुपालन विभाग की पूरी तस्वीर बयान करता है कि किस तरह से फर्जी बिलों के जरिए ट्रेजरी से पासा निकाला गया। न जानवारों के लिए चारा खरीदा गया और नहीं दवाएं खरीदी गई। इतना ही नहीं पशुपालन विभाग से जुड़े उपरकरणों की सप्लाई हुई। 950 करोड़ का यह घोटाला 1996 में सामने आया और हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच CBI को सौंपी। 

इसके बाद आरोपियों पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया गया। 1997 में लालू ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जुलाई 1997 में पहली बार उन्हें जेल जाना पड़ा। नया राज्य बनने के बाद केस 2001 में रांची ट्रांसफर हो गया। इस घोटाले के दौरान लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री भी थे।

जाली दस्तावेजों से दवा-चारे की खपत दिखाई गई और बड़ी कंपनियों के नाम से फर्जी आवंटन पत्र बनवाए गए। 1991 से 1994 के बीच फर्जी दस्तावेजों से पैसे निकाले गए। लालू प्रसाद को फर्जीवाड़े की जानकारी 1993 में हो गई थी। लेकिन लालू प्रसाद ने फर्जीवाड़ा नहीं रोका और जांच रुकवाने के हथकंडे अपनाए। इतना ही नहीं लालू ने इस घोटाले के आरोपी को नौकरी में एक्सटेंशन भी दिया।

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें बिहार सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement