Saturday, April 20, 2024
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दिल्ली में पुलिस की भारी मौजूदगी के बावजूद नहीं लगा झपटमारी की घटनाओं पर ब्रेक

राजधानी में महामारी के कारण कम ट्रैफिक, पुलिस की हर जगह मौजूदगी भी चेन स्नैचिंग के मामलों पर अंकुश लगाने में पुलिस आश्चर्यजनक रूप से विफल रही है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 29, 2020 21:25 IST
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Image Source : PTI REPRESENTATIONAL राजधानी में महामारी के कारण कम ट्रैफिक, पुलिस की हर जगह मौजूदगी भी चेन स्नैचिंग के मामलों पर अंकुश लगाने में पुलिस आश्चर्यजनक रूप से विफल रही है।

नई दिल्ली: राजधानी में महामारी के कारण कम ट्रैफिक, पुलिस की हर जगह मौजूदगी भी चेन स्नैचिंग के मामलों पर अंकुश लगाने में पुलिस आश्चर्यजनक रूप से विफल रही है। इस साल 15 अगस्त तक दिल्ली की सड़कों पर करीब 4257 लोग झपटमारी के शिकार हुए हैं। वहीं पिछले साल की समान अवधि के दौरान शिकार हुए लोगों की संख्या से 247 ज्यादा थी। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2019 में करीब 6266 लोगों ने दिल्ली की सड़कों पर स्नैचिंग की रिपोर्ट की थी, जबकि साल 2018 में 6932 लोगों ने इसी तरह के अपराध की शिकायत दर्ज कराई थी।

कई घटनाओं में पीड़ितों को लगी गंभीर चोट

चिंताजनक बात यह है कि कुछ मामलों में स्नैचिंग से पीड़िताओं को गंभीर चोटें आईं और यह अपराध राष्ट्रीय राजधानी में सड़क पर होने वाले सबसे घातक अपराधों में से एक है। हाल ही में एक ऐसी ही घटना सामने आई थी, जिसमें एक 50 वर्षीय एक महिला से सोने के चेन छीनने के प्रयास में उनको दोपहिया वाहन से घसीटकर नीचे गिरा दिया गया था और चौराहा व्यस्त होने के बावजूद घटना को अंजाम दिया। पीड़िता की पहचान अस्पताल में काम करने वाली स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रमिला सिंह के रूप में हुई। घटना में उन्हें एक हाथ में फ्रैक्चर, सिर और घुटनों पर चोट आई और दुर्घटना के कारण उनके बाएं कान ने काम करना बंद कर दिया। वह शुक्रवार रात कश्मीरी गेट के पास से गुजर रही थीं और मोटरसाइकिल उनके पति चला रहे थे।

कई जगहों पर पुलिस की लापरवाही का आरोप
दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी की एक अन्य महिला मंगलवार सुबह झपटमारों से बचने के दौरान गिर पड़ीं। वह पार्क में सुबह की सैर के लिए निकली थीं, तभी 2 मोटरसाइकिल सवारों ने उनका मोबाइल छीन लिया। पीड़िता के पति अकरम रजा ने कहा, 'जब यह घटना घटी, तब दिल्ली पुलिस के दो जवान मौजूद थे, लेकिन उन्होंने हमारी मदद नहीं की।' वहीं इस साल मई में झपटमारों ने एक महिला पत्रकार को निशाना बनाया। वह नई दिल्ली में RML अस्पताल के बाहर खड़ी थी और अपने मोबाइल पर कहानी फिल्मा रही थी और उसका फोन सेल्फी स्टिक से जुड़ा था।

लॉकडाउन में खाली सड़कों ने काम किया आसान
झपटमारी की घटनाओं से संकेत मिलता है कि लॉकडाउन के बावजूद झपटमार बहुत अधिक सक्रिय थे और ऐसा लगता है कि दिल्ली की खाली सड़कों ने उन्हें आसानी से भाग जाने में मदद की। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'स्नैचिंग और लूट के मामलों में शामिल कई अपराधी ऐसे हैं, जिनका पिछला रिकॉर्ड है। स्नैचिंग और डकैती के कई मामलों में शामिल रहे कई लोग महामारी के कारण जेलों से परोल पर बाहर हैं। इससे राजधानी में झपटमारी और डकैती के मामले बढ़ सकते हैं।' (IANS)

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