नई दिल्ली: अभिनेत्री सोहा अली खान का कहना है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को दर्शकों के साथ बच्चों जैसा व्यवहार करना बंद करना चाहिए। सोहा की मां शर्मिला टैगोर भी एक समय इस संस्था की प्रमुख रह चुकी हैं। सोहा की फिल्म '31 अक्टूबर' को सेंसर बोर्ड से पास होने के लिए संघर्ष करना पड़ा था।
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'31 अक्टूबर' पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों और उसके परिणाम पर आधारित है। फिल्म के संवेदनशील विषय पर बने होने के कारण इसके निर्माताओं को सीबीएफसी की तरफ से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह पूछे जाने पर कि यह कितना निराशाजनक था, सोहा ने कहा, ‘यह निश्चित तौर पर निराशाजनक था। हम कलाकार सेंसरशिप में यकीन नहीं करते। हम सर्टिफिकेशन में यकीन करते हैं। मुझे लगता है कि कभी-कभी वे बहुत ज्यादा (दृश्यों में) कांट-छांट कर देते हैं।’
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37 साल की इस खूबसूरत बॉलीवुड ऐक्ट्रेस ने कहा कि बोर्ड दर्शकों के साथ बच्चों जैसा सलूक करता है। यह बेहद निराशाजनक है। सोहा अली खान का कहना है कि फिल्म के निर्माता व लेखक हैरी सचदेवा के लिए यह फिल्म बेहद खास है। इसीलिए उन्होंने कूटनीतिक रास्ता अपनाया। निर्माता इस बात को लेकर आक्रामक नहीं हुए और धीरे-धीरे वह सेंसर बोर्ड को भरोसा दिलाने में कामयाब रहे। सोहा ने कहा कि पहले तो सेंसर ने 40 कट लगाने के लिए कहा, लेकिन फिर कोई कट नहीं लगाया गया। सचदेवा ने कहा कि रचनात्मकता में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।